Saturday, November 16, 2024
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‘अडानी सेब’: तीन नए कानूनों के पास होते ही अडानी ने कृषि सेक्टर पर जमा लिया कब्जा?

अडानी समूह को अपनी उपज बेचने वाले 15,000 किसान क्षेत्र के 700 गाँवों में फैले हुए हैं और इसमें 90 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान शामिल हैं।

तीन नए कृषि बिलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को शिकायत है कि मोदी सरकार कृषि क्षेत्र को कॉरपोरेट सेक्टर, मुख्य रूप से अडानी और अंबानी को को सौंप रही है। वहीं सोशल मीडिया पर इसी बात को लेकर दावा किया जा रहा है कि अडानी ने भारत में अब सेब की खेती पर कब्जा कर लिया है।

कुछ लोगों ने आज पता लगाया है कि बाजार में आए सेब अडानी ब्रांडेड है और इससे यह निष्कर्ष निकाला कि मोदी ने नए कृषि कानूनों के जरिए अडानी को यह सेक्टर तोहफे में दिया है।

ट्विटर पर अजय (MalabarHornbill) नाम के एक सोशल मीडिया यूजर ने अपने प्रोफाइल पर अडानी सेब की तस्वीरें पोस्ट कीं। उसने लिखा, “अडानी सेब!! और मोदी सरकार यह झूठ बोलकर किसानों को आश्वस्त कर रही थी कि कॉर्पोरेट कृषि क्षेत्र पर कब्जा नहीं करेंगे।”

साभार: ट्विटर

इसी तरह का एक पोस्ट जम्मू-कश्मीर प्रदेश कॉन्ग्रेस सेवादल ने किया। जिसमें उन्होंने कहा, “कश्मीरी सेब अडानी के नहीं। बहुत ज्यादा विकास।” इसी तरह के पोस्ट फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी साझा किए गए थे।

साभार: फेसबुक
ट्विटर से लिया गया स्क्रीनशॉट

सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही तस्वीर में सेबों के ऊपर अडानी और फार्म पिक शब्द लिखा हुआ दिख रहा है। यह सच है कि फार्म पिक अडानी समूह का हिस्सा है। कंपनी कृषि उत्पादों का व्यवसाय करती है, जो उत्पादकों से सेब खरीदती है और उन्हें देश भर के बाजार में बेचती है।

लेकिन ऐसा नहीं है कि तीन कृषि कानूनों को पारित किए जाने के बाद कंपनी ने हाल ही में ऐसा करना शुरू किया है। कंपनी लगभग एक दशक से भी ज्यादा समय से ऐसा कर रही है। सिर्फ यहीं कंपनी नहीं, ऐसी कई कंपनियाँ हैं जो किसानों से कृषि उत्पादों को खरीदती हैं और उन्हें बाजार में बेचती हैं। ऐसा नहीं है कि यह केवल मोदी सरकार के दौरान शुरू हुआ है।

अडानी के सेब का इतिहास

भारत में कंज्यूमर लंबे समय से फार्म पिक द्वारा खरीदकर और आयात किए गए सेब और अन्य फलों को कंज्यूम कर रहे हैं। यह ब्रांड अडानी एग्री फ्रेश लिमिटेड के तहत आता है। इसे कंपनी में दिसंबर 2004 में शामिल किया गया था, यानी जब यूपीए-1 सत्ता में थी। अडानी एंटरप्राइजेज वेबसाइट के अनुसार, कंपनी हिमाचल प्रदेश में 15,000 किसानों से सेब खरीदती है।

इस कंपनी ने हिमाचल प्रदेश के तीन स्थानों ( रोहड़ू, सैंज और रेवली) पर कंट्रोल एटमॉस्फियर स्टोरेज की सुविधाएँ स्थापित की हैं। ब्रांड फार्म पिक के तहत, कंपनी सेब, नाशपाती, कीवी, संतरे, अंगूर और कई अन्य फलों का कारोबार करती है।

फार्म पिक की वेबसाइट के अनुसार, कंपनी कनाडा, अमेरिका, यूरोप, चीन, दक्षिण अफ्रीका, चिली, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से भी सेबों का आयात कर रही है। भारतीय सेब के मुख्य स्रोत में हिमाचल प्रदेश के शिमला और किन्नौर जिलों का उल्लेख किया गया है।

अडानी समूह को अपनी उपज बेचने वाले 15,000 किसान क्षेत्र के 700 गाँवों में फैले हुए हैं और इसमें 90 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान शामिल हैं। AAFL ने इन किसानों को लॉजिस्टिक और तकनीकी सहायता प्रदान की है, जिससे इन किसानों को उपज में काफी बढ़त हासिल हुई है और इससे इन क्षेत्रों में घाटा भी कम हो रहा है।

वहीं 2013 में जब हिमाचल प्रदेश में सेब की बंपर पैदावार हुई थी और बाजार में इसका कीमत 33 रुपए प्रति किलो तक कम हो गया था, तब भी दो थोक खरीदार फार्म पिक और कॉनकॉर (कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) बाजार मूल्य से अधिक इन सबों का भुगतान कर रहे थे। इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, कॉनकॉर ने 53 रुपए प्रति किलोग्राम की कीमत पर इसका भुगतान किया, वहीं फार्म पिक ने 50 रुपए प्रति किलोग्राम के साथ शुरुआत की और बाद में इसे बढ़ाकर 60 रुपए प्रति किलोग्राम कर दिया था।

अडानी ग्रुप के और प्रोडक्ट

अडानी समूह केवल सेब तक ही सीमित नहीं है। समूह ने 1999 में विल्मर इंटरनेशनल (सिंगापुर की एक कंपनी) के साथ हाथ मिलाया और फॉर्च्यून फूड्स के स्वामित्व वाले अडानी विल्मर का गठन किया। फॉर्च्यून ब्रांड को वर्ष 2000 में लॉन्च किया गया था। इसके अलावा कंपनी कई कृषि उत्पादों में सौदा करती है, जिसमें खाद्य तेल, चीनी, दाल, आटा, जैसे कई उत्पाद शामिल हैं।

निष्कर्ष

उल्लेखनीय है कि अडानी सेब बाजार में मौजूद है। इन सेबों को बेचने वाला ब्रांड फार्म पिक कोई नया ब्रांड नहीं है। कंपनी सालों से काम कर रही है। नए कृषि कानून लागू होने के बाद अडानी सेब को बाजार में लॉन्च करने का दावा फेक है, जो केंद्र सरकार को नीचा दिखाने और लोगों को गुमराह करने के लिए वायरल किया जा रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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