ऑस्ट्रेलियाई लेखक सीजे वर्लमैन अपनी हिंदूफोबिया के लिए कुख्यात हैं। मुस्लिमों को पीड़ित बताने और भारत विरोधी प्रोपेगेंडा को वे आए दिन हवा देते रहते हैं। इसी कड़ी में उन्होंने बुधवार (15 जून 2022) को ट्विटर पर दो साल पुराना वीडियो शेयर कर हिंदुओं और यूपी पुलिस के खिलाफ घृणा को बढ़ावा देने की कोशिश की।
इस वीडियो में एक मुस्लिम पर पुलिस लाठीचार्ज करती दिख रही है। वर्लमैन ने पुलिस को हिंदू कट्टरपंथ से ग्रसित बताते हुए लिखा कि एक बुजुर्ग मुस्लिम को बेरहमी से मारा जा रहा है। इस ट्वीट को लिबरलों और कट्टरपंथियों ने हाथोंहाथ लिया। कई ने तो संयुक्त राष्ट्र संघ और अरब देशों को टैग भी कर दिया।
Watch Hindutva radicalized cops brutally assault an elderly Muslim man. pic.twitter.com/r02VLWHOfQ
— CJ Werleman (@cjwerleman) June 14, 2022
कभी अरबी मुस्लिमों की आँधी से काफिरों को मिटाने की बात करने वाले जफरुल इस्लाम के ‘मिली गैजेट’ ने वर्लमैन के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा कि ऐसा लगा रहा जैसे वर्दीधारी की कोई निजी खुन्नस हो।
जम्मू-कश्मीर की नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के नेता और पूर्व विधायक डॉ. गगन भगत ने लिखा, “ये मोदी के नेतृत्व में भारत की कानून-व्यवस्था है। उत्तर प्रदेश पुलिस विश्व की सबसे क्रूर और मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाली फ़ोर्स बन चुकी है।”
खुद को राकेश टिकैत के भारतीय किसान यूनियन का गोरखपुर मंडल अध्यक्ष बताने वाले अतुल त्रिपाठी ने इसे रिट्वीट करते हुए लिखा,”उत्तर प्रदेश की पुलिस का बर्बर चेहरा देखिए।” उसने पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया।
खालिद बेडौन ने लिखा, “हिंदुत्ववादी पुलिस को खत्म करो।”
एंटी RSS मुस्लिम (@SaudiChina10) नाम के ट्विटर हैंडल ने लिखा, “बहुत जल्द 1992 मुंबई कांड जैसा करने की जरूरत है।”
2 साल से भी ज्यादा पुरानी है वीडियो
जब ऑपइंडिया ने वर्लमैन द्वारा शेयर किए गए वीडियो की पड़ताल की तो वह 6 अप्रैल 2020 का निकला। यह वीडियो बरेली जिले के इज्जतनगर थाना क्षेत्र का है। इस हिंसा को काबू करते हुए IPS अभिषेक वर्मा घायल हो गए थे।
लड़के को पीटने की उसी अफवाह मेडिकल परीक्षण में निकली थी झूठ
इस घटना पर तत्कालीन SSP बरेली IPS शैलेश पांडेय ने कहा था, “लॉकडाउन का पालन करवाने के लिए पुलिस टीम गश्त कर कर रही थी। इस दौरान नई उम्र के कुछ लड़कों को सड़क पर देख कर टोका गया। बाद में 70-80 लोगों की भीड़ पुलिस चौकी पर लड़के की पुलिस द्वारा पिटाई का आरोप लगाकर हंगामा करने लगी। लड़के को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसको कोई चोट नहीं पाई गई। भीड़ को सोशल डिस्टेंस का पालन करवाने के लिए हटने को कहा गया तो उसने इनकार कर दिया। बाद में पुलिस ने बल प्रयोग कर के भीड़ को तितर-बितर किया।”
SSP-BRY @ShaileshP_IPS द्वारा थाना इज्जतनगर के चैाकी बैरियर-1 क्षेत्र में हुए घटनाक्रम का मौके पर पहॅुच कर जायजा लिया गया एवं महोदय द्वारा घटना के परिपेक्ष में बाईट दी गयी। @Uppolice @dgpup @adgzonebareilly @igrangebareilly @AmarUjalaNews @JagranNews @htTweets @ETVUPpolitics pic.twitter.com/TBTpvypo7W
— Bareilly Police (@bareillypolice) April 6, 2020
तलवार और भालों ने पुलिस पर हुआ था हमला
इस घटना में दर्ज FIR के मुताबिक भीड़ ने पुलिस कस्टडी से आरोपितों को छुड़ाने के लिए पुलिस फ़ोर्स पर तलवार, भालों और अन्य अवैध अस्त्रों से हमला किया था। हिंसक भीड़ से न सिर्फ कोरोना फैलने, बल्कि दूसरों की जान खतरे में भी डालने का डर फ़ैल गया था। तब हमलावरों के हमले से न सिर्फ लॉ एंड ऑर्डर छिन्न-भिन्न हो गया था, बल्कि मेडिकल सेवाएँ भी प्रभावित हुई थीं। हमले में औरतें भी शामिल थीं। FIR में दर्ज कुल 43 नामजद आरोपित मुस्लिम समुदाय से ही हैं। इसी के साथ 200 अन्य अज्ञात पर भी केस दर्ज हुआ था।
FIR लिखा गया है, “शुरू में जब पुलिस ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को कहा तो पुलिस को माँ-बहन की गाली दी गई और कहा गया कि हमारा जो मन होगा वो करेंगे।”
स्पष्ट है कि दो साल से अधिक पुराने वीडियो को वर्लमैन ने जुमे पर इस्लामी कट्टरपंथियों की हिंसा पर पर्दा डालने और मुस्लिमों को पीड़ित बताने के मकसद से शेयर किया है। वे ऐसा पहले भी करते रहे हैं। इसी तरह उन्होंने बिहार में जेडीयू नेता खलील आलम की हत्या के बाद भी मामले को सांप्रदायिक एंगल देने की कोशिश की थी।