Friday, November 15, 2024
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क्या कोर्ट ने लियो टॉलस्टॉय की ‘वॉर एंड पीस’ पुस्तक को लेकर आपत्ति जताई? जानिए सच

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो पुस्तक पढ़ रहे थे और अर्बन नक्सल गोंजाल्विस के घर में जो पुस्तक पड़ी थी, दोनों अलग-अलग हैं लेकिन दोनों के नाम कमोबेश समान हैं, जिसका फ़ायदा सोशल मीडिया के ठेकेदारों ने उठाया।

भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने अर्बन नक्सल वर्नोन गोंजाल्विस से पूछा कि उनके घर में पुस्तक ‘वॉर एंड पीस इन जंगल महल- पीपल, स्टेट एंड माओइस्ट्स‘ क्या कर रही थी? दरअसल, अदालत ने केवल इसी पुस्तक को लेकर उनसे सवाल नहीं पूछे बल्कि उनके पास कई अन्य आपत्तिजनक पुस्तकें और सीडी पड़ी हुई थीं, जिसे लेकर कोर्ट ने आपत्ति जताई। इनमें से एक सीडी तो ‘सरकार द्वारा किए जा रहे दमन का विरोध’ के बारे में था।

इसके बाद सोशल मीडिया पर दरबारी पत्रकारों व वामपंथी ठेकेदारों ने जज का ही मज़ाक बनाना शुरू कर दिया। न सिर्फ़ जज का मज़ाक बनाया गया बल्कि भीमा कोरेगाँव हिंसा जैसी गंभीर घटना के मामले में असंवेदनशीलता दिखाई गई। इतना ही नहीं, ठेकेदारों, दरबारियों और वामपंथियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक वीडिओ निकाल कर लाया, जिसमें दावा किया गया कि वह भी ‘वॉर एंड पीस‘ पुस्तक पढ़ते दिख रहे हैं। सवाल पूछे जाने लगे कि क्या नरेन्द्र मोदी भी अर्बन नक्सल हैं? क्या उनसे भी अदालत सवाल पूछेगी?

इसे लेकर भ्रामक चीजें फैलाई गई। आगे आपको हम ऐसी सच्चाई बताएँगे, जिसे जान कर आप इनके प्रोपेगंडा को समझ कर इन्हें लताड़ेंगे लेकिन उससे पहले जरा देख लीजिए कि किस तरह से झूठ फैलाया गया और कौन-कौन लोग इसमें शामिल हैं।

ऊपर आपने देखा कि कुछ लोग जहाँ जज के विवेक पर सवाल खड़े कर रहे हैं, वहीं कुछ अन्य लोग नरेन्द्र मोदी वाला विडियो शेयर कर पूछ रहे हैं कि क्या वह भी अर्बन नक्सल हैं? अब आपको सच्चाई बताते हैं।

यह पुस्तक लियो टॉलस्टॉय वाली नहीं है, अर्बन नक्सल गोंजाल्विस के घर में यही मिली थी

कोर्ट ने जिस पुस्तक को लेकर आपत्ति जताई, उसका नाम है- “वॉर एंड पीस इन जंगलमहल- पीपल, स्टेट्स एंड माओइस्ट्स” और यही पुस्तक अर्बन नक्सल गोंजाल्विस के पास मिली थी।

नरेन्द्र मोदी ये क्लासिक पुस्तक पढ़ रहे थे, कोर्ट ने इसे लेकर आपत्ति नहीं जताई

और नरेन्द्र मोदी जो ‘वॉर एंड पीस’ पुस्तक पढ़ रहे हैं, वह लियो टॉलस्टॉय की क्लासिक कृति है। दिमाग के अभाव में वामपंथियों ने समझ लिया कि अर्बन नक्सल गोंजाल्विस भी यही क्लासिक कृति अपने घर में रखे हुआ था और कोर्ट ने इसी को लेकर आपत्ति जताई है। लेकिन अफ़सोस, वह पुस्तक विश्वजीत रॉय द्वारा एडिटेड है। देखिए सच्चाई:

अब आप समझ गए होंगे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो पुस्तक पढ़ रहे थे और अर्बन नक्सल गोंजाल्विस के घर में जो पुस्तक पड़ी थी, दोनों अलग-अलग हैं लेकिन दोनों के नाम कमोबेश समान हैं, जिसका फ़ायदा सोशल मीडिया के ठेकेदारों ने उठाया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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