Tuesday, November 19, 2024
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‘चेन्नई महानगरों में दलित महिला मेयर नियुक्त करने वाला एकमात्र शहर’: दिलीप मंडल ने फिर फैलाया जातिवादी झूठ, लोगों ने ट्विटर पर लगाई लताड़

दिलीप मंडल ने अपने ट्विट में मुबंई का भी जिक्र किया था, उन्हे यह पता होना चाहिए कि साल 2014 में मुबंई में दलित समाज से आने वाली स्नेहल आंबेडकर मेयर के बतौर रह चुकी हैं।

शुक्रवार (4 मार्च, 2022) को न्यूज वेबसाइट दि प्रिंट के स्तंभकार और एडिटर्स गिल्ड एग्जिक्यूटिव कमेटी के सदस्य प्रोफेसर दिलीप मंडल ने तमिलनाडु की राजनीति चेन्नई में दलित समाज से आने वाली आर प्रिया के मेयर बनने पर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की सराहना की। प्रोफेसर दिलीप मंडल ने ट्विट कर लिखा, “चेन्नई/मद्रास निगम की स्थापना 1688 में हुई थी। एक दलित महिला को चेन्नई की मेयर बनने में 334 साल लगे। 28 वर्षिय आर प्रिया ने लिंग और जाति की बाधाओं की तोड़ दिया, यह एमके स्टालिन के शासनकाल में हुआ।”

उन्होंने आगे लिखा, “मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता और दिल्ली में कभी भी एक दलित महिला मेयर के रूप में नहीं थी।” बता दें कि ये वही दिलीप मंडल हैं जिन पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि भोपाल में प्रोफेसर रहते हुए भी जाति के आधार पर भेदभाव करने के आरोप विवि के छात्रों द्वारा लगाए गए थे।

दिलीप मंडल का ट्विट उस खबर के जवाब में आया जिसमें यह दावा किया गया था कि डीएमके पार्टी की आर प्रिया चेन्नई शहर की सबसे कम उम्र की दलित समाज से आने वाली पहली मेयर हैं।

नेटिज़न्स ने पकड़ा दिलीप मंडल का झूठ

दिलीप मंडल के ट्विट करते ही नेटिज़न्स ने उनके झूठ को बेनकाब कर दिया। ट्विटर पर सक्रिय रहने वाले एक व्यक्ति ने लिखा, “दिलीप मंडल को बुनियादी ज्ञान तक नहीं है, यह व्यक्ति बस मूर्खों की तरह ट्विट करता है।”

स्वराज्य के प्रसन्ना विश्वनाथन ने प्रोफेसर मंडल के ट्विट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “मंडल का ट्विट उनके द्वारा फर्जी समाचार फैलाने का रोजाना कोटा का हिस्सा है। बेंगलुरू को 11 साल पहले एक दलित महिला मेयर (भारतीय जनता पार्टी से) मिल चुकी है।”

प्रसन्ना विश्वनाथन के तथ्य बिल्कुल सही हैं, बेंगलुरु को दलित समाज से आने वाली पहली महिला मेयर साल 2011 में ही मिल चुकी है। 45 वर्षीय शारदम्मा बेंगलुरु की मेयर बनने वाली पहली दलित महिला रह चुकी हैं।

दिलीप मंडल ने अपने ट्विट में मुबंई का भी जिक्र किया था, उन्हे यह पता होना चाहिए कि साल 2014 में मुबंई में दलित समाज से आने वाली स्नेहल आंबेडकर मेयर के बतौर रह चुकी हैं।

बता दें कि दिलीप मंडल पहले इंडिया टुडे हिंदी पत्रिका में मैनेजिंग एडिटर रह चुके हैं और इन्होंने मीडिया और सोशियोलॉजी पर किताबें भी लिखी हैं। भारतीय जनसंचार संस्थान और माखनलाल पत्रकारिता विवि जैसे पत्रकारिता संस्थानों में मंडल गेस्ट के बतौर पढ़ाते भी रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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