शुक्रवार (4 मार्च, 2022) को न्यूज वेबसाइट दि प्रिंट के स्तंभकार और एडिटर्स गिल्ड एग्जिक्यूटिव कमेटी के सदस्य प्रोफेसर दिलीप मंडल ने तमिलनाडु की राजनीति चेन्नई में दलित समाज से आने वाली आर प्रिया के मेयर बनने पर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की सराहना की। प्रोफेसर दिलीप मंडल ने ट्विट कर लिखा, “चेन्नई/मद्रास निगम की स्थापना 1688 में हुई थी। एक दलित महिला को चेन्नई की मेयर बनने में 334 साल लगे। 28 वर्षिय आर प्रिया ने लिंग और जाति की बाधाओं की तोड़ दिया, यह एमके स्टालिन के शासनकाल में हुआ।”
उन्होंने आगे लिखा, “मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता और दिल्ली में कभी भी एक दलित महिला मेयर के रूप में नहीं थी।” बता दें कि ये वही दिलीप मंडल हैं जिन पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि भोपाल में प्रोफेसर रहते हुए भी जाति के आधार पर भेदभाव करने के आरोप विवि के छात्रों द्वारा लगाए गए थे।
The Chennai/Madras Corporation was established in 1688. It took 334 years for a Dalit woman to become the Mayor of Chennai. R Priya, 28, DMK, smashed the barriers of gender & caste. This happened in the regime of @mkstalin
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) March 4, 2022
Delhi, Mumbai, Kolkata, Bangaluru… are you listening? pic.twitter.com/bfxOz6wk8h
दिलीप मंडल का ट्विट उस खबर के जवाब में आया जिसमें यह दावा किया गया था कि डीएमके पार्टी की आर प्रिया चेन्नई शहर की सबसे कम उम्र की दलित समाज से आने वाली पहली मेयर हैं।
Tamil Nadu | Greater Chennai Corporation gets its youngest and first-ever Dalit woman mayor, as DMK’s R Priya takes the oath of office in Chennai. The 29-year-old is Chennai’s third woman mayor. pic.twitter.com/erfAt365h0
— ANI (@ANI) March 4, 2022
नेटिज़न्स ने पकड़ा दिलीप मंडल का झूठ
दिलीप मंडल के ट्विट करते ही नेटिज़न्स ने उनके झूठ को बेनकाब कर दिया। ट्विटर पर सक्रिय रहने वाले एक व्यक्ति ने लिखा, “दिलीप मंडल को बुनियादी ज्ञान तक नहीं है, यह व्यक्ति बस मूर्खों की तरह ट्विट करता है।”
This moron doesn’t have basic knowledge tweets like a fool and this nincompoop is professor, dei go read about Blore, Maha mayors…and also about Chennai mayor history https://t.co/SlZvo3gB0f
— AK (@kumar_ak) March 4, 2022
स्वराज्य के प्रसन्ना विश्वनाथन ने प्रोफेसर मंडल के ट्विट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “मंडल का ट्विट उनके द्वारा फर्जी समाचार फैलाने का रोजाना कोटा का हिस्सा है। बेंगलुरू को 11 साल पहले एक दलित महिला मेयर (भारतीय जनता पार्टी से) मिल चुकी है।”
Mandal’s daily quota of fake news and lies. Bengaluru city got a Dalit woman mayor (incidentally from BJP) a good 11 years ago.https://t.co/ZZdWeGqDUW https://t.co/823wesM3wP
— Prasanna Viswanathan (@prasannavishy) March 4, 2022
प्रसन्ना विश्वनाथन के तथ्य बिल्कुल सही हैं, बेंगलुरु को दलित समाज से आने वाली पहली महिला मेयर साल 2011 में ही मिल चुकी है। 45 वर्षीय शारदम्मा बेंगलुरु की मेयर बनने वाली पहली दलित महिला रह चुकी हैं।
दिलीप मंडल ने अपने ट्विट में मुबंई का भी जिक्र किया था, उन्हे यह पता होना चाहिए कि साल 2014 में मुबंई में दलित समाज से आने वाली स्नेहल आंबेडकर मेयर के बतौर रह चुकी हैं।
The Mayorship was reserved for SC, until it was made open to all by the DMK in 1969. Sit yourself down, pick up some books and get yourself and education. https://t.co/5KZ8SENR2M
— Suren (@zeneraalstuff) March 4, 2022
बता दें कि दिलीप मंडल पहले इंडिया टुडे हिंदी पत्रिका में मैनेजिंग एडिटर रह चुके हैं और इन्होंने मीडिया और सोशियोलॉजी पर किताबें भी लिखी हैं। भारतीय जनसंचार संस्थान और माखनलाल पत्रकारिता विवि जैसे पत्रकारिता संस्थानों में मंडल गेस्ट के बतौर पढ़ाते भी रहे हैं।