Saturday, November 16, 2024
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‘नरेंद्र मोदी ने गुजरात CM रहते मुस्लिमों को OBC सूची में जोड़ा’: आधा-अधूरा वीडियो शेयर कर झूठ फैला रहे कॉन्ग्रेसी हैंडल्स, सच सहन नहीं कर पाएँगे

यहाँ पीएम मोदी ने एक बार भी ये नहीं कहा कि उन्होंने OBC की सूची बदल कर उसमें मुस्लिमों को जोड़ा। सच्चाई तो ये है कि कई राज्यों में कई मुस्लिम जातियों को ओबीसी कोटा का फायदा मिलता रहा है।

लोकसभा चुनाव 2024 में मतदान का आगाज हो चुका है और इसके साथ ही कॉन्ग्रेस समर्थक हैंडलों ने सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार फैलाना और तेज़ कर दिया है। जहाँ एक तरफ कॉन्ग्रेस के नेता नरेंद्र मोदी की वापसी को अवश्यम्भावी मान कर सुस्त पड़े हुए हैं, ट्रॉल्स बाज नहीं आ रहे। अब उन्होंने दावा करना शुरू कर दिया है कि नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते गुजरात में मुस्लिमों को आरक्षण दिया था। पीएम मोदी ने ध्यान दिलाया था कि कॉन्ग्रेस SC-ST-OBC समाज का आरक्षण लेकर मुस्लिमों को देना चाहती है, जिसके बाद ये सब कुछ शुरू हुआ।

राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि कॉन्ग्रेस और I.N.D.I. अलायंस जब सत्ता में था, तो ये लोग दलितों-पिछड़ों के आरक्षण में सेंधमारी करके अपने खास वोटबैंक को अलग से आरक्षण देना चाहते थे, जबकि संविधान इसके बिल्कुल खिलाफ है। पीएम मोदी ने स्पष्ट कहा था कि आरक्षण का जो हक बाबासाहेब ने दलित, पिछड़ों और जनजातीय समाज को दिया, कॉन्ग्रेस और I.N.D.I. अलायंस वाले उसे मजहब के आधार पर मुस्लिमों को देना चाहते थे।

इसी के बाद कॉन्ग्रेसियों ने बवाल शुरू कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये भी बताया था कि कैसे आंध्र प्रदेश में कॉन्ग्रेस पार्टी ने 2004 में दलितों और जनजातीय समाज का आरक्षण लेकर मुस्लिमों को देने की कोशिश की थी, पार्टी संविधान के खिलाफ गई थी। इसके बाद ‘Amock’ नाम के सोशल मीडिया हैंडल ने लिखा कि नरेंद्र मोदी ने गुजरात का CM रहते OBC का आरक्षण मुस्लिमों को दे दिया। साथ ही पीएम मोदी के इंटरव्यू की एक क्लिप भी शेयर की।

आधा-अधूरा वीडियो के जरिए प्रोपेगंडा का प्रयास

कॉन्ग्रेस समर्थकों ने इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी के आधे-अधूरे वीडियो शेयर कर के अपना गंदा एजेंडा चलाने की कोशिश की। इस वीडियो में वो बता रहे हैं कि उनके कार्यकाल में गुजरात में कई मुस्लिम जातियों को OBC कोटा का फायदा मिला। उन्होंने बताया कि कैसे मीडिया इन चीजों को नज़रअंदाज़ करता है। यहाँ पीएम मोदी ने एक बार भी ये नहीं कहा कि उन्होंने OBC की सूची बदल कर उसमें मुस्लिमों को जोड़ा। सच्चाई तो ये है कि कई राज्यों में कई मुस्लिम जातियों को ओबीसी कोटा का फायदा मिलता रहा है।

पिछले 40 वर्षों से ऐसा होता रहा है। सेन्ट्रल OBC कोटा में भी मुस्लिमों को आरक्षण दिया गया था, केंद्र की UPA सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी। नरेंद्र मोदी जब मुख्यमंत्री तक नहीं बने थे, तभी से ये सब चला आ रहा है। जब हम गुजरात में OBC जातियों की सूची का अध्ययन करते हैं तो हमें पता चलता है कि इसमें जो भी मुस्लिम जातियाँ हैं वो नरेंद्र मोदी के CM बनने से पहले से ही मौजूद हैं। नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में इसमें 14 नई जातियाँ जोड़ी गईं, जिनमें से किसी का भी इस्लाम मजहब से कोई ताल्लुक नहीं है।

गुजरात की सरकारों द्वारा विभिन्न जातियों को OBC सूची में जोड़ने के लिए जारी की गई अधिसूचनाएँ

7 अक्टूबर, 2001 – ये वो तारीख़ थी जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। 22 मई, 2014 तक वो इस पद पर रहे। गुजरात सरकार द्वारा जारी की गई शैक्षिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों की सूची में 7 मौके ऐसे आए जब इसमें नई जातियाँ जोड़ी गईं। ये हैं – कमली, तम्बोली, गड़ई, गौरव, कलाल (हिन्दू), संघर (हिन्दू), नगरची, कायस्थ, गंधर्व (हिन्दू), दर्जी, भंडारी, काठी राजगीर, अहीर गोर, कुरुहिन शेट्टी और हजारी (राजपूत)।

नरेंद्र मोदी ने CM रहते गुजरात में इन जातियों को OBC सूची में जोड़ा गया

कलाल मुस्लिम पहले से सूची में थे, कलाल हिन्दुओं को मोदी सरकार ने जोड़ा

कलाल मुस्लिमों को पहले ही OBC का दर्जा दे दिया गया था, लेकिन इसी जाति के हिन्दुओं को इस सूची में स्थान पाने के लिए नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने तक का इंतज़ार करना पड़ा। 2005 में मोदी की राज्य सरकार ने उनके साथ न्याय किया। गुजरात में 31 मुस्लिम जातियाँ OBC के दायरे में आती हैं, जिनमें से 29 कॉन्ग्रेस शासनकाल में जोड़ी गईं। दिसंबर 1995 और सितंबर 1996 में भाजपा सरकार ने मुस्लिम जातियों को इसमें जोड़ा, लेकिन तब नरेंद्र मोदी सरकार का हिस्सा नहीं थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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