सुप्रीम कोर्ट ने देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक भगवान विष्णु के तिरुवनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर (Sree Padmanabhaswamy Temple) के प्रबंधन को केरल की वामपंथी सरकार से मुक्त कर त्रावणकोर के पूर्व राजपरिवार के अधिकार को मान्यता दे दी है। साथ ही कोर्ट ने मंदिर के तहखाने (वॉल्ट बी) को खोला जाए या नहीं, इसका फैसला एडमिनिस्ट्रेटिव व एडवाइजरी कमिटी पर छोड़ दिया है।
लेकिन इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर कई प्रकार के दावे कर मंदिर और इसकी सम्पत्ति के बारे में भ्रामक तथ्य शेयर किए जा रहे हैं। इसी सिलसिले में व्हाट्सऐप के साथ ही कई अन्य जगहों पर एक वीडियो संदेश शेयर किया जा रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि वीडियो में नजर आ रही महिला पद्मनाभस्वामी मंदिर की मालकिन हैं और अब वो संसार की सबसे अमीर शख्सियत बन जाएँगी।
इसके साथ ही, एक अन्य सन्देश में यह दावा किया जा रहा है कि वीडियो में नजर आ रही महिला त्रावणकोर राजपरिवार की सदस्य हैं और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनकी ओर से यह बयान जारी किया गया है।
लेकिन, इस वीडियो में किए जा रहे दावे वास्तविकता से एकदम अलग हैं और इसकी जानकारी खुद इस वीडियो में नजर आ रही महिला एक्टिविस्ट और केरल के ‘पीपल फॉर धर्म’ की अध्यक्षा शिल्पा नायर ने अपने ट्विटर अकाउंट से दी है।
शिल्पा नायर ने ऐसे ही कुछ स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए बताया है कि यह उनका वीडियो जरूर है लेकिन इस वीडियो के साथ किए जा रहे अन्य दावे बेबुनियाद, गलत और फर्जी हैं।
What kind of practical joke is this ?
— Shilpa Nair (@shilpamdas) July 23, 2020
Kindly note, Im none of the description mentioned in the images below. Other than being a devotee at the lotus feet of Lord Padmanabha, Im only President of People For Dharma, who were intervenors of the case. Nothing more and Nothing less pic.twitter.com/xmXIWasow9
एक्टिविस्ट शिल्पा नायर ने लिखा है – “यह किस तरह का मजाक है? कृपया ध्यान दें, इन चित्रों में दिए गए किसी भी वर्णन में से कोई भी मुझसे सम्बन्धित नहीं है। भगवान पद्मनाभ के चरण कमलों की भक्त होने के अलावा, मैं सिर्फ ‘पीपल फ़ॉर धर्म’ की अध्यक्षा हूँ, जिन्होंने इस मामले में हस्तक्षेप किया था। इससे न कम न ज़्यादा।”
दरअसल, जो वीडियो व्हाट्सऐप और सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है, वह एक्टिविस्ट शिल्पा नायर ने ही अपने ट्विटर अकाउंट पर गत 13 जुलाई को शेयर किया था। इस वीडियो के जरिए उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद देते हुए कहा – “सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बेहद भावुक करने वाला है। यह हमारे धर्म की विजय है।”
Thankyou Honourable Supreme Court of India and Justices Shri UU Lalit and Smt Indu Malhotra 🙏🙏🙏
— Shilpa Nair (@shilpamdas) July 13, 2020
Victory of Dharma!!#Padmanabhaswamytemple pic.twitter.com/WXGIpV1NwE
इसके साथ ही उन्होंने इस केस में अपने संगठन ‘पीपल फ़ॉर धर्मा’ के सहयोगियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह और भी मंदिरों को स्वतंत्र कराने के प्रयास में पहला कदम है।
पद्मनाभस्वामी मंदिर पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
गौरतलब है कि केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और उसकी संपत्तियों के अधिकारी को लेकर जुलाई 13, 2020 को ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मंदिर के प्रबंधन का अधिकार त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार को दिया है। लेकिन कानूनी समझ की कमी के कारण लोग इसे मंदिर का मालिकाना हक या मंदिर की संपत्ति पर मालिकाना हक जैसी बात फैला रहे हैं, लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं है।
शीर्ष अदालत ने ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर राजपरिवार के अधिकार को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे और मुख्य कमिटी के गठन तक यही व्यवस्था रहेगी। कोर्ट ने आदेश में यह स्पष्ट कहा कि मुख्य कमिटी में राजपरिवार की अहम भूमिका रहेगी।
श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर को 6वीं सदी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था। जिसका जिक्र 9वीं सदी के ग्रंथों में मिलता है। त्रावणकोर राजघरानों ने भगवान पद्मनाभस्वामी को अपना जीवन और संपत्ति सब कुछ सौंप दिया था।