यह पश्चिम बंगाल सरकार के लिए एक सम्मान का क्षण था कि ‘यूनाइटेड नेशन’ से जुड़े एक जापान आधारित गैर-लाभकारी संगठन ने कोरोन वायरस महामारी के बीच उनके काम का नोटिस लिया और राज्य मंत्री निर्मल माजी को प्रशंसा-पत्र भेजा। इस ‘अच्छी खबर’ को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर अखिल भारतीय तृणमूल कॉन्ग्रेस द्वारा शेयर भी किया गया।
TMC ने ‘यूनाइटेड नेशन वर्ल्ड पीस एसोसिएशन पीस ह्यूमैनिटेरियन मिशन’ द्वारा लिखा प्रशंसा-पत्र शेयर किया और लिखा, “हमें यह बताते हुए बेहद गर्व महसूस हो रहा है कि ममता बनर्जी और पश्चिम बंगाल के COVID-19 प्रबंधन के दूरदर्शी नेतृत्व की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना की गई है। डॉ. निर्मल माजी ने UNWPA से यह प्रतिष्ठित प्रशंसा-पत्र प्राप्त किया।”
“The mankind is in your safe hands” says @Unpwa_wpa.
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) August 19, 2020
We are extremely proud to share that the visionary leadership of @MamataOfficial & GoWB’s COVID management has been internationally applauded. @DrNirmalMajhi1 received this appreciation letter from the prestigious UNWPA. pic.twitter.com/0WooGQzQRJ
यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया, डेक्कन हेराल्ड और आउटलुक सहित कई समाचार पोर्टलों और कई अन्य लोगों द्वारा कवर की गई।
वास्तव में, समाचार एजेंसी पीटीआई ने UNWPA को ‘UN से जुड़े एनजीओ’ के रूप में प्रकाशित किया है और यही दावा कई अन्य मीडिया संस्थानों द्वारा भी किया गया। यह पत्र TMC और ममता बनर्जी के समर्थकों द्वारा बड़े स्तर पर सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।
United Nation World Peace Association (@Unwpa_wpa) has cordially invited West Bengal Chief Minister @MamataOfficial to attend seminar on Covid-19 at Japan for her outstanding contribution towards the society during the pandemic.@DrNirmalMajhi1 pic.twitter.com/oRQkXT2QyX
— 𝑴𝒂𝒎𝒂𝒕𝒂𝒊𝒔𝒎 (@Mamataism) August 18, 2020
एक भारतीय के तौर पर हम भी यह देखकर गौरव महसूस कर रहे थे कि भारत के ही किसी राज्य को कोरोना महामारी में अच्छे प्रबंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा रहा है। लेकिन यह देखना सवाल पैदा करता है कि यह UN-लिंक्ड NGO कोरोना के अच्छे प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय या फिर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जगह पर श्रम मंत्रालय को क्यों सम्बोधित कर रहा है? खासकर, जब ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल सरकार की मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की प्रभारी मंत्री भी हैं।
दूसरा सवाल इस पत्र में इस्तेमाल की गई अंग्रेजी पर खड़े होते हैं। इस पत्र में लिखी गई अंग्रेजी के आधे से ज्यादा वाक्यों का कोई भी अर्थ नहीं निकलता है। ऐसे में, UN से जुड़ी कोई भी संस्था एक खराब अंग्रेजी में लिखे गए पत्र का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करेगी, इस बात पर संदेह होता है। इसके साथ ही यह संस्था खुद को ‘यूनाइटेड नेशन’ से जुड़ा हुआ बताती है, जबकि जिस यूनाइटेड नेशंस की प्रशंसा का कोई व्यक्ति या देश या फिर राज्य इन्तजार कर सकता है वह ‘यूनाइटेड नेशंस’ (United Nations) है, ना कि ‘यूनाइटेड नेशन (United Nation)!’
‘यूनाइटेड नेशन’ से जुड़े इस संस्थान द्वारा बेहद खराब अंग्रेजी में लिखे गए इस पत्र में कई जगहों पर ‘Definitely’ तक की स्पेलिंग को गलत लिखा है और बंगाल को ‘साम्राज्य’ कहकर सम्बोधित किया है।
यह सब संदेहास्पद चीजें देखने के बाद ऑपइंडिया ने इस NGO की पड़ताल करने का निश्चय किया और हमें ये चीजें मिलीं –
पीटीआई की कॉपी का दावा है कि ममता बनर्जी के ‘साम्राज्य’ की प्रशंसा करने वाला यह ‘एनजीओ’ एक गैर-लाभकारी संगठन (नॉन प्रोफिटेबल आर्गेनाइजेशन) है, जो संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के नागरिक विभाग के साथ पंजीकृत है।
पत्र में हमारी नज़र में आने वाली कुछ मुख्य बातें थीं। सबसे पहले, संयुक्त राष्ट्र के प्रतीक चिह्न (लोगो) के साथ इस विशेष संगठन के चिह्न की समानता थी। संयुक्त राष्ट्र के लोगो से अलग इस संस्था के लोगो, यानी प्रतीक चिह्न पर एक पक्षी को ही अलग से जोड़कर यूएनडब्ल्यूपीए का लोगो बनाया गया लगता है।
इस चिह्न को देखने पर यह पहली ही नजर में फर्जी मालूम होता है, लेकिन हैरानी की बात है कि एक राज्य सरकार इस बात को समझ पाने में नाकाम रही और आसानी से बेवकूफ बना दी गई। दूसरा, इसमें ‘यूनाइटेड नेशन’ का तो जिक्र है, लेकिन ‘यूनाइटेड नेशंस’ का नहीं। नाम के साथ की गई यह बहुत छोटी सी भूल अक्सर लोगों द्वारा अनदेखी कर दी जाती है, खासकर तब जब यह उनकी तारीफ़ में कुछ संदेश दे रहा हो।
इस NGO की वेबसाइट पर भी कोई लिंक, रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ ही UN से इसकी वैधता सम्बन्धी किसी भी प्रकार का कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है। और ‘यूनाइटेड नेशन’ क्या बला है, इस बारे में शायद ही किसी को कोई जानकारी होगी।
इसके अलावा इस संस्था की वेबसाइट पर इसके सोशल मीडिया एकाउंट्स की आधे से ज्यादा लिंक काम नहीं कर रही हैं या फिर वो अकाउंट मौजूद ही नहीं हैं।
दूसरा यह कि ‘यूनाइटेड नेशन से जुड़ी संस्था का ट्विटर अकाउंट @UnitedNationWo1 नहीं हो सकता। TMC और अन्य ने @Unwpa_wpa ट्विटर अकाउंट को टैग किया था, जिसके 13 फॉलोवर्स हैं।
इस संगठन के ट्विटर हैंडल को फिलीपींस में किसी व्यक्ति के द्वारा इस्तेमाल किया गया लगता है, क्योंकि हैंडल के कुछ ट्वीट्स निजी तौर पर फिलीपींस में एयरलाइंस और ब्रॉडबैंड सर्विस को लेकर किए गए थे। इसमें शिकायत की गई हैं कि उसका इन्टरनेट काम नहीं कर रहा है और सर्विस नम्बर पर उन्हें कोई जवाब नहीं मिल रहा है, जबकि उन्हें कुछ ‘जरूरी’ काम करना था। हो सकता है कि यह जरूरी काम TMC के किसी मंत्री को गंदी अंग्रेजी में प्रशंसा-पत्र भेजना रहा हो।
इस संगठन के फेसबुक पेज का यूआरएल लिंक भी कुछ और ही नजर आता है और इस पेज के 700 से भी कम फॉलोवर्स हैं (फेसबुक URL – unitednationsworldpeaceassociation.jp)
यही नहीं, इस फेसबुक पेज पर मौजूद लिंक एक और ही वेबसाइट पर ले जाती है, जिस पर सब कुछ जापानी में लिखा गया है।
इस UN-बेस्ड NGO का एक फेसबुक अकाउंट भी है, जिसे आप फ्रेंड रिक्वेस्ट भी भेज सकते हैं और ये बाकी फेसबुक पेजों को भी ‘लाइक’ कर सकता है।
‘भारतीय राजदूत’ एचई पिंकी दत्ता
पश्चिम बंगाल सरकार को पत्र में उल्लिखित वेबसाइट पर, एक भाग है, जिसमें वे विभिन्न देशों में अपने ‘राजदूतों’ का उल्लेख करते हैं। भारत की राजदूत एक महामहिम पिंकी दत्ता है। जब हमने पिंकी दत्ता की जानकारी जुटानी चाही तो उसके फेसबुक प्रोफाइल का नाम ‘प्रिया दत्त’ निकल आया।
प्रिया दत्त उर्फ़ पिंकी दत्त ने खुद को यहाँ फ्रीलांस पत्रकार के साथ ही कई और चीजें लिखी हैं।
प्रिया दत्त केंद्र सरकार की एक कट्टर आलोचक हैं और हाल ही में उन्होंने अयोध्या भूमिपूजन पर भी जहर उगला है। इसके अलावा प्रिया दत्त का मानना है कि भाजपा भारत की स्वतन्त्रता के खिलाफ थी। यही नहीं, जब हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे तो प्रिया दत्त ने इसे ‘राम लीला’ बताया है।
इस साल ही मई माह में प्रिया दत्त ने एक टीएमसी इवेंट में अपनी बात रखी थी। इस पोस्टर पर लिखा है “लोकप्रिय मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रिया दत्ता 9 मई को 11 बजे लाइव रहेंगी।” ये वही प्रिया दत्त हैं, जो इस ‘यूनाइटेड नेशन’ की राजदूत हैं, जिसने ममता बनर्जी के ‘साम्राज्य’ को कोरोना महामारी में बेहतर प्रबंधन के लिए सम्मानित किया है।
क्या ममता बनर्जी सरकार को किसी ‘UN से जुडी संस्था’ द्वारा प्रशंसा-पत्र भेजा गया?
तो क्या यूनाइटेड नेशन ने वास्तव में ममता बनर्जी सरकार को पत्र लिखकर उन्हें सम्मानित किया? जब ऑपइंडिया ने इन सम्बन्ध में UNWPA से सम्पर्क कर पूछा तो उन्होंने बताया कि मीडिया में चलाई जा रही इस इस प्रकार की बातें एकदम फर्जी हैं और ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया है।
दो घंटे बाद, संगठन ने फिर से जवाब दिया। इस बार यह दावा करते हुए लिखा कि हालाँकि, उन्होंने (जापान कार्यालय) पत्र नहीं लिखा था, लेकिन सम्भवतः भारत स्थित कार्यालय, जो कि एचई पिंकी दत्ता उर्फ प्रिया दत्ता द्वारा चलाया जाता है, उसने जारी किया हो।
निष्कर्ष निकलता है कि हाँ, ममता बनर्जी के ‘साम्राज्य’ को कोरोना वायरस महामारी में अच्छे काम के लिए ‘प्रमाण-पत्र’ मिला। हालाँकि, यह पत्र जापान के संगठन द्वारा नहीं, बल्कि इसके भारत के प्रतिनिधि यानी, महामहिम पिंकी दत्ता उर्फ प्रिया दत्ता, जो मोदी विरोधी और ममता बनर्जी की बड़ी समर्थक हैं, द्वारा बेहद खराब भाषा में लिखा गया था। इसके अलावा, यह संगठन संयुक्त राष्ट्र (UN) से जुड़ा नहीं है, लेकिन उसके जैसा प्रतीत जरूर होता है।
नोट : निरवा और अनुराग द्वारा मूल रूप से अंग्रेजी में लिखा गया यह लेख आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं