पीएम नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं के बारे में, उनके आलोचकों द्वारा कई बार उनका मज़ाक उड़ाया जाता है। उनके विदेश यात्राओं को देश के पैसे की बर्बादी कहकर सोशल मीडिया पर अक्सर हो-हल्ला मचाया जाता है। जबकि मोदी की विदेश यात्राएँ ज़्यादातर ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम को आक्रामक रूप से आगे बढ़ाने के लिए होती हैं। उनके आलोचकों का यहाँ तक दावा है कि यात्राओं में बिना किसी ठोस लाभ के बहुत से पैसे खर्च किए जाते हैं।
29 दिसंबर 2018 को, द टेलीग्राफ ने प्रधानमंत्री को ‘एक्सीडेंटल टूरिस्ट’ कहते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
रिपोर्ट में, यह उल्लेख किया गया है कि प्रधानमंत्री की अब तक की विदेश यात्राओं में सरकारी ख़जाने से 2,021 करोड़ रुपए ख़र्च हुए हैं। रिपोर्ट में 2009-14 के अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के बीच विदेशी यात्राओं के ख़र्चों की तुलना की गई है। जहाँ नरेंद्र मोदी ने 48 यात्राओं में 55 से अधिक देशों का दौरा किया, वहीं मनमोहन सिंह ने 38 यात्राओं में 33 देशों का दौरा किया, जिनकी लागत 1,346 करोड़ रुपए है।
रिपोर्ट में मोदी विरोधी पूर्वग्रह बहुत स्पष्ट है। रिपोर्ट में दो प्रधानमंत्रियों की विदेश यात्राओं के बारे में उपलब्ध आँकड़ों की तुलना करने का बेहद सतही काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में तेज वृद्धि हुई है, इस तथ्य की पूरी रिपोर्ट में अनदेखी की गई है।
इनकी तुलना में न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने खर्चों की तुलना बेहतर तरीके से किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपने विदेशी दौरों के लिए अनावश्यक आलोचना के घेरे में आते हैं। जबकि उनके पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह भी विदेशी दौरों में बहुत पीछे नहीं हैं, न सिर्फ़ यात्राओं की संख्या बल्कि उन पर होने वाले खर्चों में भी।
रिपोर्ट में ख़र्चों को ग्राफ़ के रूप में चित्रित किया गया है, जिसमें साफ़ देखा जा सकता है कि ख़र्च का बड़ा हिस्सा विमान के रखरखाव पर हुआ है। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान विमान के रखरखाव पर 1,583.18 करोड़ रुपए ख़र्च किए गए, जबकि मनमोहन सिंह के कार्यकाल में विमान के रखरखाव पर 842.6 करोड़ रुपए। मनमोहन सिंह की विदेश यात्राओं के दौरान 446.59 करोड़ रुपए उड़ानों पर खर्च किए गए थे, जबकि नरेंद्र मोदी के लिए यह अब तक रु429.29 करोड़ है।
टेलीग्राफ के पक्षपाती रिपोर्ट ने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने वालों को नया हथियार दे दिया है।
Shri Modiji has spend public money to the tune of RS 2100 crores on foreign trip. In no country head is incurring huge expenses . Modi government is missing public funds for their image building & other propaganda. Our PM is very frustrated person. He speaks lies. PM is corrupt
— Bharat Rao (@bharatrao1960) December 29, 2018
Mr. Modi has spent only INR 2021 Crore on his foreign trips as India’s prime minister, according to @ttindia. A very good headline: “Meet the accidental tourist. Modi’s foreign trip bill: Rs 2021 crore”. Where is the ‘vikas’ by the way? Or they now name it as LYNCHING?
— Gowhar Geelani (@gowhargeelani) December 29, 2018
Meet the #AccidentalTourist:
— A.N.NatarajGowda INC?? (@annatarajgowda) December 29, 2018
PM Modi’s Foreign Trip Bill :
₹2,021 crores. pic.twitter.com/byZKI2Iomf
Enjoying foreign trips on tax payers money. Modi’s foreign trip bill : Rs 2,021 crore. pic.twitter.com/ctOZS8L7Ob
— CMO Haryana Shadow (@CMOhryShadow) December 29, 2018
जब उनके पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह की तुलना में उड़ान के खर्च की बात आती है, तो पूरा मामला आँकड़ों से स्पष्ट हो जाता है। विमान के रखरखाव की लागत को छोड़कर, प्रधानमंत्री मोदी वास्तव में अधिक किफ़ायती रहे हैं। मनमोहन सिंह के लिए उड़ान का ख़र्च लगभग 11.75 करोड़ रुपए प्रति यात्रा जबकि नरेंद्र मोदी के लिए ये आँकड़ा लगभग 8.94 करोड़ रुपए है। स्पष्ट दिख रहा है, प्रधानमंत्री के लिए टेलीग्राफ की रिपोर्ट वास्तविक तथ्यों के बजाय पक्षपातपूर्ण राजनीतिक हितों से प्रेरित है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि नरेंद्र मोदी ने अधिक देशों का दौरा किया है और विदेशों में अधिक दिन बिताए हैं क्योंकि प्रधानमंत्री ने दुनिया में ‘ब्रांड इंडिया’ की मार्केटिंग करने और विश्व राजनीति में भारत की स्थिति को मजबूत करने पर ज़ोर दिया है। 2014 के चुनावों में जीत के बाद से ही कूटनीति एनडीए सरकार के लिए एक प्रमुख क्षेत्र रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का विदेशी दौरा चीन की साम्राज्यवादी प्रवृत्तियों को विफल करने के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण क़दम है। ऐसी यात्राओं के कई बहुपक्षीय अनुसूचित फ़ायदे हैं, जिनके लिए प्रधानमंत्री विदेशी यात्राएँ करते हैं, चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में क्यों न हो।
जैसा कि हमने पहले बताया है, एनडीए सरकार विदेशी यात्राओं पर किए अपने ख़र्च पर व्यापक नज़र रखती है। 2014-15 से अब तक हर साल कैबिनेट मंत्रियों और राज्यों के मंत्रियों के ख़र्चों में तेजी से गिरावट आई है। पीएम मोदी ने लंबी उड़ानों के लिए केवल रात के समय यात्रा करने की प्रथा शुरू की थी, जो विदेशों में बिताए दिनों की संख्या को कम कर देता है और होटलों में ठहरने की अवधि में भी कटौती करता है।