धर्मनगरी अयोध्या के राम मंदिर में आज सोमवार (22 जनवरी 2024) को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो गई। ज्यादातर लोग इस दिन का श्रेय उन रामभक्तों को दे रहे हैं, जिन्होंने मुगल काल से मुलायम यादव सरकार के बीच जन्मभूमि के लिए अपने प्राण दे दिए। मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में उन तमाम कारसेवकों के परिजनों को विशेष तौर पर आमंत्रित भी किया गया है।
कारसेवकों के बारे में भ्रम फैलाते हुए वामपंथी और इस्लामी समूह के लोग बलवीर नाम के एक व्यक्ति का खूब प्रचार किया था। बलवीर ने बाद में इस्लाम अपनाकर आमिर नाम रख लिया था। उसने कहा था कि वह 6 दिसंबर 1992 की उस कारसेवा में शामिल था। ऑपइंडिया ने इस दावे की पड़ताल कागजातों और अयोध्या में मौजूद उन लोगों से की, जो इसके चश्मदीद हैं।
क्या है इस्लामी समूह और वामपंथियों का दावा?
इस्लाम कबूल करके मोहम्मद आमिर बने बलबीर का कई मीडिया संस्थानों ने इंटरव्यू प्रकाशित किया था। बलबीर ने खुद को मूलतः हरियाणा के पानीपत का निवासी बताया था। उसने कहा था कि वह शिवसेना का सदस्य था।, लेकिन हिन्दू संगठनों ने उसके मन में मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भरी, जिसके कारण वह बाद में बजरंग दल में शामिल हो गया था।
बलवीर ने कहा था कि उसे जज्बाती करके 1 दिसंबर 1992 को अयोध्या ले जाया गया था और 6 दिसंबर 1992 की घटना में उसने विवादित ढाँचे के बीच वाले गुंबद पर सबसे पहला वार किया था। उसने यह भी कहा था कि जब वो पानीपत पहुँचा हीरो जैसा स्वागत हुआ था, लेकिन उसके माता-पिता नाराज हो गए थे।
बलबीर ने कहा था कि नाराजगी को दूर करने के लिए उसने इस्लाम कबूल कर लिया और 100 मस्जिदें बनवाने का निर्णय लिया। बलबीर ने दावा किया था कि उसने 5 साल पहले तक 92 मस्जिदों को बनवाने में मदद कर चुका है। उसने दावा किया कि वह जल्दी ही 100 मस्जिद बनवाने के अपने प्रण को दूर कर लिया जाएगा। धर्मांतरण के बाद बलबीर ने घूम-घूम कर खुद को पूर्व कारसेवक बताया था।
इस दौरान आजतक जैसे संस्थानों ने बलवीर के इंटरव्यू लिए। बाद में वो हरियाणा छोड़कर आमिर बना बलबीर हैदराबाद शिफ्ट हो गया। यहाँ वो हाफिज बाबा नगर में किराए के मकान में रहता था। 24 जुलाई 2021 को संदिग्ध हालातों में मोहम्मद आमिर की मौत की सूचना सामने आई। उसके कमरे से बदबू आने लगी तो लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी थी।
अयोध्या के संतों ने खबरों को बताया साजिश
इस दावे की पड़ताल करते हुए ऑपइंडिया ने 6 दिसंबर 1992 की कारसेवा के तमाम चश्मदीद खोजे। अयोध्या के प्रमोद इलाके में पड़ने वाले नायक मंदिर के महंत महेश दास ने हमसे बातचीत में इन खबरों को सरासर झूठ का पुलिंदा बताया। उन्होंने दावा किया कि 6 दिसंबर 1992 में वो पूरी कारसेवा के चश्मदीद गवाह हैं।
महंत महेश दास का कहना है कि भले ही मौके पर हजारों की भीड़ थी, लेकिन गुंबद पर गिने-चुने लोग ही चढ़े थे। उन्होंने कहा कि पहली कुदाल चलाने का दावा करने वाला कथित बलवीर उर्फ़ मोहम्मद आमिर कतई नहीं था। अयोध्या के निवासी आशुतोष, मीरा, कपिल, रघुवीर, अजय दास और हनुमंत ने भी बताया कि वो भी 6 दिसंबर 1992 की घटना से अच्छे से वाकिफ हैं।
इन सभी ने कहा कि मीडिया में आई चर्चा के अलावा तब 6 दिसंबर 1992 की घटना में जमीनी तौर पर शामिल किसी बलवीर उर्फ़ मोहम्मद आमिर का वो नाम भी नहीं सुने थे। इन सभी लोगों ने वायरल की जा रहीं तमाम खबरों को धर्मान्तरण बढ़ाने की साजिश करार दिया और सरकार से माँग की है कि ऐसी निराधार खबरों को फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
CBI की FIR में नामजद कारसेवक ने भी खबरों को बताया अफवाह
ऑपइंडिया ने इन खबरों की सत्यता जाँचने के लिए उस कारसेवक को खोज निकाला जो 6 दिसंबर 1992 की घटना में सीबीआई द्वारा जाँचे गए केस में नामजद आरोपित हैं। 6 दिसंबर 1992 की घटना में पहली गिरफ्तारी अयोध्या जिले से सटे टांडा (अब अम्बेडकरनगर जिला) निवासी रामजी गुप्ता की हुई थी।
रामजी गुप्ता ने ऑपइंडिया से दावा किया कि वो विवादित ढाँचा गिराने के सभी आरोपितों और गुंबद पर चढ़े गिने-चुने रामभक्तों को अच्छे से जानते हैं, जिनमें बलवीर नाम का कोई भी कारसेवक नहीं था। खुद को एक-एक मिनट का गवाह बताते हुए रामजी गुप्ता ने इस्लाम कबूलने वाले बलवीर के कारसेवक होने जैसी खबरों को सरासर शरारतपूर्ण और सोची-समझी साजिश करार दिया।
मैं था गुंबद के पास, बलवीर नहीं
ऑपइंडिया ने 6 दिसंबर 1992 की कारसेवा में शामिल रहे मुजफ्फरनगर के अम्बरीश गोयल से बात की। अम्बरीश ने हमें बताया कि वो 6 दिसंबर 1992 की कारसेवा के सक्रिय कारसेवक रहे हैं। तब कई टोलियाँ देश के अलग-अलग हिस्सों से निकली थीं। उन्होंने कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश और आसपास के हिस्सों से निकली टोलियों में अधिकतर लोगों से वे परिचित थे।
अम्बरीश ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर कथित कारसेवक मोहम्मद आमिर उर्फ़ बलबीर की तस्वीर देखी थी। वह कारसेवा के दौरान गुंबद तो दूर, कहीं आसपास भी मौजूद नहीं था। अम्बरीश गोयल ने इन खबरों को रामभक्तों का मनोबल गिराने की साजिश करार देते हुए कहा कि वे इसके खिलाफ जल्द ही मुख्यमंत्री से शिकायत करेंगे।
न FIR और न ही कोर्ट कार्रवाई में नाम, फिर भी इतना बड़ा झूठ
मोहम्मदी मस्जिद में मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा स्थापित करने का ऐलान करके चर्चा में आए राष्ट्रीय हिन्दू दल नामक संगठन के अध्यक्ष रोशन पांडेय ने अयोध्या में ऑपइंडिया से बात की। रोशन ने कहा, “मैंने विवादित ढाँचे के ध्वंस से जुड़े सभी सरकारी कागजातों और अदालती कार्रवाई का बारीकी से अध्ययन किया है। कहीं एक सिंगल जगह भी हरियाणा के किसी बलवीर का जिक्र नहीं है।”
उन्होंने कहा, “जिनका ध्वंस से कोई वास्ता ही नहीं था, उनको तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार ने आरोपित बना डाला था। खुद मीडिया में आकर जिम्मेदारी ले रहे मोहम्मद आमिर बने बलबीर पर केस नहीं दर्ज हुआ, क्योंकि वो वहाँ था ही नहीं।” उन्होंने कहा कि मीडिया संस्थान हिन्दुओं के खिलाफ ऐसी साजिशों का प्रचार करने से बाज आना चाहिए।
इतना ही बड़ा रामभक्त था तो 1990 में क्यों नहीं आया ?
मूल रूप से एटा निवासी और हिन्दू एकता समूह नामक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शुभम हिन्दू ने इस मामले में ऑपइंडिया से बात की। शुभम ने विवादित ढाँचे के गिरने के गम में बलबीर से मोहम्मद आमिर बन जाने जैसी खबरों को महज कुछ साजिशकर्ताओं के मन की उपज करार दिया।
बलवीर का इंटरव्यू प्रकशित करने वाले मीडिया संस्थानों से सवाल ठोकते हुए शुभम ने कहा कि अगर बलबीर इतना ही बड़ा रामभक्त था तो साल 1990 की कारसेवा में वो क्यों नहीं आया, जब मुलायम सिंह यादव की सरकार के आदेश पर हर तरफ गोलियाँ चल रहीं थीं?
शुभम हिन्दू ने कहा कि वो ऐसी खबरों को वायरल करने वाले साजिशकर्ताओं का पर्दाफाश करने के लिए सरकार को पत्र लिखेंगे। शुभम चाहते हैं कि इस बात की भी जाँच हो कि इस प्रकार की झूठी खबरों को वायरल कर के साजिशकर्ताओं ने हिन्दू समाज का कितना नुकसान किया है।
एक ग़मनाक खबर, मुहम्मद आमिर (बलबीर सिंह) इतंकाल कर गये, इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैयहि राजिऊन
— Imran Ghazi (@ImranGhaziIND) July 22, 2021
बाबरी मस्जिद की शहादत में पहला कुदाल चलाने वालों में मुहम्मद आमिर भी शामिल थे उस समय वो बलवीर सिंह थे उसके बाद पश्चाताप की आग में जलते हुए मुसलमान बन गये… pic.twitter.com/lWjfrwgwLu
धर्मांतरण रैकेट का आरोपित कलीम सिद्दीकी था आमिर उर्फ़ बलवीर का गुरु
बलवीर ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि वह देवबंद के मौलाना कलीम सिद्दीकी से मिलकर इस्लाम से प्रभावित हुआ था। कलीम सिद्दीकी के मदरसे में कुछ दिन रहने के बाद बलवीर ने ईमान लाने (मुस्लिम बनने) की बात कही थी। जनसत्ता का यहाँ तक दावा है कि विवादित ढाँचा ध्वंस के बाद बलबीर देवबंद में कलीम सिद्दीकी को मारने गया था, लेकिन यहाँ उसका मन बदल गया।
हालाँकि, जनसत्ता ने इस घटना का समय नहीं बताया है। कलीम सिद्दीकी वही शख्स है, जिसे उत्तर प्रदेश पुलिस की आतंकवाद निरोधक शाखा (ATS) ने पूरे देश में फैले धर्मान्तरण का सरगना बताया था। कलीम सिद्दीकी का आपराधिक नेटवर्क मुंबई और गुजरात तक पाया गया था। वह लम्बे समय तक जेल में भी रहा था। अभी भी UP ATS कलीम के खिलाफ सबूत जुटा रही है।
बार-बार बयान बदला बलबीर
जनसत्ता जैसे संस्थानों ने दावा किया कि बलबीर मौलाना कलीम सिद्दीकी की हत्या करने गया था और वहाँ उसका मन बदल गया, जबकि एक इंटरव्यू में बलबीर ने खुद कहा था कि बाबरी गिराने के बाद उसके मन में डर जैसा बैठ गया था और वो कलीम सिद्दीकी के पास उस डर की ताबीज लेने गया था। वो कई डॉक्टरों और पंडितों के पास जाकर थक गया था, लेकिन उसका डर खत्म नहीं हुआ था।
कलीम सिद्दीकी के बारे में बलबीर को किसी अन्य व्यक्ति ने बताया था, जहाँ वो मिन्न्नत करके मिलने का दावा करते सुना जा सकता था। मौलाना कलीम के माध्यम से इस्लाम कबूल करने वाले बलबीर को थोड़े ही दिनों में मीडिया का पोस्टर ब्वॉय बना दिया गया। बलबीर उर्फ़ आमिर को हैदराबाद भेज दिया गया, जहाँ वह दीनी इदारा (इस्लाम की जानकारी देने वाले स्कूल) चलाने लगा।
बलवीर सिंह उर्फ मोहम्मद आमिर!!
— 🌴 الشـــــیخ 🌴 (@Abdal__Abdullah) November 27, 2018
अल्लाह बाबरी मस्जिद गिराने वालों
से ही उसकी हिफ़ाज़त करा रहा है…!
फ़बिअय्यि आला ए रब्बिकु मातुकज़्ज़िबान…
https://t.co/8swXpbu5fE
यहीं पर एक मुस्लिम लड़की से बलबीर का निकाह भी करवा दिया गया। जुलाई 2021 में बलबीर की संदिग्ध हालातों में मौत हो गई। यह मौत तब हुई, जब उत्तर प्रदेश ATS कलीम सिद्दीकी के खिलाफ सबूत जुटाने में लगी हुई थी। कलीम को सितंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था। इसी के साथ उसके देशव्यापी धर्मान्तरण नेटवर्क का खुलासा भी हुआ था, जिसमें अधिकतर पीड़ित हिन्दू समुदाय से थे।
हमारा शिवसैनिक नहीं था बलबीर, भेजेंगे लीगल नोटिस
लल्लनटॉप जैसे संस्थानों ने धर्मान्तरित बलबीर के शिव सैनिक होने का दावा किया था। इन दावों की पुष्टि के लिए ऑपइंडिया ने हरियाणा प्रदेश के युवा शिवसेना प्रमुख रितुराज से बात की। रितुराज ने साफ़ तौर पर बलबीर के शिव सैनिक होने की खबरों को कोरी बकवास बताया। रितुराज ने बताया कि इस तरह की खबरें छवि धूमिल करने की साजिश के तहत उड़ाई गईं।
रितुराज ने कहा, “हमें गर्व है कि बाला साहेब ठाकरे से मिली प्रेरणा से कई शिव सैनिकों ने कलंक रूपी ढाँचे को ध्वस्त करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई, लेकिन बलबीर जैसे लोगों को शिव सैनिक बताकर हमारी छवि धूमिल करने की भी साजिश रची गई, जो कि निंदनीय है। बलबीर जैसे लोगों की शिवसेना में न तो कभी जगह थी, न है और न ही आगे रहेगी।”
FIR दर्ज करवाकर बजरंग दल करेगा साजिश का पर्दाफाश
ऑपइंडिया ने इस पूरे मामले की जानकारी हरियाणा बजरंग दल प्रदेश के विद्यार्थी प्रमुख ललित भाटी से ली। ललित भाटी ने हमें बताया कि उन्होंने भी सोशल मीडिया और कुछ मीडिया संस्थानों के माध्यम से इन खबरों को सुना है। ललित ने बताया कि उन्होंने बलबीर के बारे में जानकारी जुटाई और निष्कर्ष के तौर पर यह निकला कि वो कभी भी कारसेवक नहीं रहा था।
ललित ने कहा, “विवादित ढाँचे के ध्वस्त होने के बाद मुस्लिम समूहों ने बड़ी साजिश रची और बलबीर नाम के व्यक्ति को मोहरा बनाया। बलबीर उनका शिकार आसानी से इसलिए बन गया, क्योंकि वो एक गाँधीवादी परिवार से था। उसको आगे रखकर बाबरी से जोड़ा गया, जो सम्भवतः कभी विवादित ढाँचे तक गया ही नहीं।”
ललित भाटी ने बताया कि तमाम साजिशकर्ताओं ने बलवीर को आगे कर के न सिर्फ धर्मान्तरण मामले को हवा दी बल्कि मस्जिदों को भी बनवाने के लिए पैसे आई जुटाने में अपना उल्लू सीधा किया। बकौल ललित भविष्य में ऐसी साजिश को अंजाम न दिया जा सके इसलिए वो जल्द ही संगठन की बैठक में इस मुद्दे को रखेंगे और FIR दर्ज करवा के पूरे मामले का पर्दाफाश करवाएँगे।