नागरिकता विधेयक देश के एक आश्चर्यजनक रूप से बड़े तबके के भीतर छिपी देश-विरोधी भावनाएँ सतह पर ला रहा है। हमने कल ही आपको बताया कि कैसे असम और मेघालय में बांग्लादेश से जान बचाकर भागे शरणार्थी बंगाली हिन्दुओं को नागरिकता देने के खिलाफ आगजनी और हिंसा भड़क उठे हैं। और आज देश की राजधानी में पुलिस वालों को ऐसे हमलों का सामना करना पड़ रहा है “आम नागरिक” और “बेबस बेकसूरों” से, जिससे रूबरू आम तौर पर कश्मीर में तैनात सैनिक और अर्द्धसैनिक सुरक्षाकर्मी होते हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार नागरिकता बिल के विरोध में जामिया मिल्लिया इस्मालिया के छात्रों ने न केवल विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, बल्कि उसमें पत्थरबाजी भी करने लगे। और इतनी उग्र हिंसा की कि दो पुलिस वालों को न केवल अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है, बल्कि वे पुलिस वाले आईसीयू में ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। कुल 12 पुलिस वाले जामिया के छात्रों के हाथों घायल हुए हैं।
12 police personnel injured in the stone pelting by Jamia students. 2 cops in ICU. pic.twitter.com/OzKoknfwJ7
— Raj Shekhar Jha (@rajshekharTOI) December 13, 2019
जामिया के छात्रों ने आज (शुक्रवार, 13 दिसंबर, 2019 को) संसद भवन की तरफ़ मार्च करने की कोशिश की। पुलिस ने जो बैरिकेड लगा रखे थे, प्रदर्शनकारी कथित तौर पर उन पर चढ़ कर उन्हें फाँदने लग गए।
पुलिस के रोकने पर वह हिंसक हो कर उनसे भिड़ गए, और अंत में बात इतनी बढ़ गई कि पुलिस को लाठी चार्ज और आँसू गैस के गोलों का इस्तेमाल करना पड़ा।
The students, who were baton-charged by police personnel, alleged that the police also used tear gas to quell their march. The students also resorted to stone-pelting. https://t.co/lzt9s0zUuG
— India Today (@IndiaToday) December 13, 2019
प्रदर्शनकारियों के सर पर हिंसा का भूत इतना ज़्यादा सवार था कि पुलिस ही नहीं, मीडिया पर भी उन्होंने हमला कर दिया। ट्विटर पर एक पत्रकार ने इस पर नाराज़गी जाहिर करते हुए लिखा कि अगर आप आवाज़ दबाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए मीडिया को ही नहीं बोलने दे रहे, तो आप उनसे अलग कहाँ हुए जिनसे आप लड़ रहे हैं।
Heckling media persons has become the new trend.
— Mohit Sharma (@iMohit_Sharma) December 13, 2019
Dear protestors and crusaders of free voice, if you’re not letting the media speak freely, how are you any different than those against whom you’re protesting? #Shame! https://t.co/88nRIeWOrX
प्रदर्शनकारियों ने मीडिया पर केवल सीधी हिंसा-भर नहीं की, क्योंकि मीडिया के पास कैमरे होते हैं और इनका असली चेहरा दुनिया के सामने दिख जाता। लेकिन फ़ोन पर बात कर रहे संवाददाता को घेर कर उसके कान में चीखने वाले के बारे में कोई भी बता सकता है कि कैमरा ऑफ़ होते ही ये छात्र मीडिया वालों के कितने टुकड़े कर देगा।
First protesters say media do not cover their protest and when media persons were doing their job, they were heckled and kicked by protesters at #JamiaMilliaIslamia #CABProtests #CABBill2019 pic.twitter.com/ROqAweFDQL
— Saurabh Trivedi (@saurabh3vedi) December 13, 2019
यही नहीं, ज़ी न्यूज़ के पत्रकार राहुल सिन्हा ने ट्वीट कर यह दावा भी किया कि हमलावर विशेष तौर पर ज़ी न्यूज़ के पत्रकारों पर हमले की फ़िराक में थे। ऐसे में यह भी नहीं माना जा सकता कि यह ‘गुस्सा’ क्षणिक, स्वःस्फूर्त था।
खबर है कि जामिया मिलिया इस्लामिया के स्टूडेंट्स दो मीडिया कर्मियों को मारने पीटने के बाद अब जी न्यूज के रिपोर्टर को ढूंढ रहे हैं, ये कैसा विरोध प्रदर्शन है ?
— राहुल सिन्हा (@RahulSinhaZee) December 13, 2019
इस हिंसा के बाद पुलिस ने 50 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया है।