दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार (Delhi AAP Government) की शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) शुक्रवार (16 सितंबर 2022) को देश भर के अलग-अलग 40 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) शराब घोटाले से अनजान बन रहे हैं।
ED दिल्ली-एनसीआर, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश के नेल्लोर एवं अन्य शहरों में शराब कारोबारियों और वितरकों के यहाँ छापेमारी कर रही है। इनमें हैदराबाद में ही 25 जगहों पर रेड डाली गई है। इससे पहले 6 सितंबर को ED ने देश भर में 45 ठिकानों पर रेड डाली थी। इस मामले में ED जेल में बंद AAP सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन से भी जेल में आज पूछताछ कर सकती है।
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) कह रहे हैं कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर शराब घोटाला है क्या। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पहले कहा गया कि 1.5 लाख करोड़ रुपए का घोटाला है। उन्होंने कहा कि दिल्ली का कुल बजट ही 70,000 करोड़ रुपए का है तो 1.5 लाख करोड़ रुपए का घोटाला कैसे हो गया।
उन्होंने आगे कहा कि एक नेता ने बोला कि घोटाला 8,000 करोड़ रुपए का है। तीसरा नेता बोला कि 1,100 करोड़ रुपए का घोटाला है। वहीं, उप-राज्यपाल साहब बोले 144 करोड़ रुपए का घोटाला है और CBI ने अपनी FIR में एक करोड़ रुपए का घोटाला लिखा है।
I still don't understand what liquor scam is about: Delhi CM Arvind Kejriwal
— Press Trust of India (@PTI_News) September 16, 2022
अरविंद केजरीवाल जिस शराब घोटाले से अनजान बन रहे हैं, वह AAP सरकार की नई आबकारी नीति-2021 से जुड़ा है। इसके जरिए केजरीवाल सरकार ने कुछ शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ दिया। दिल्ली सरकार पर आरोप है कि इस लाभ के बदले सरकार के मंत्रियों को भी भुगतान किया गया।
नई आबकारी नीति 2021-22 दिल्ली सरकार ने शराब पीने की उम्र 25 साल से घटाकर 21 कर दी थी। इसके साथ ही होटलों के बार, क्लब और रेस्टोरेंट को रात 3 बजे तक खुला रखने की छूट दी गई थी। इसके तहत वे अपनी छतों समेत किसी भी जगह शराब परोस सकते थे।
पुरानी आबकारी नीति में खुले में शराब परोसने पर रोक थी। नई नीति में बार में मनोरंजन का इंतजाम करने की भी छूट दी गई थी। इसके अलावा, बार काउंटर पर खुल चुकी शराब की बोतल की शेल्फ लाइफ पर से भी पाबंदी हटा ली गई थी।
नई आबकारी नीति में केवल 16 प्लेयर्स को इजाजत दी जा सकती थी, जिसके कारण एकाधिकार को बढ़ावा दिया गया। वहीं, बड़े प्लेयर्स अपने स्टोर्स पर भारी डिस्काउंट दे रहे हैं, जिसके कारण छोटे वेंडर्स की दुकानें बंद हो चुकी हैं। इसमें 2 प्रतिशत से कमीशन को बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। आरोप है कि इसमें से 6 प्रतिशत कमीशन आम आदमी पार्टी के नेताओं को दिए गए।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर आरोप लगा कि कैबिनेट को भरोसे में इसे जल्दबाजी में लागू किया गया। इतना ही नहीं, इसके लिए तमाम नियमों और प्रक्रियाओं की भी अनदेखी की गई। यह भी आरोप लगा कि एक्साइज विभाग मनमाने तरीके से काम कर रहा है। दिल्ली के राजस्व को हानि पहुँचाकर 15,000 करोड़ की शराब की बिक्री होती थी। 165 प्रतिशत राजस्व को घटाकर एक प्रतिशत कर दिया गया।
यहाँ तक कि कैबिनेट से यह भी पास करवा लिया गया कि अगर नीति को लागू करने के दौरान कुछ बदलाव करने की जरूरत होती है तो आबकारी मंत्री ही वो बदलाव कर सकेंगे। जब तत्कालीन उप-राज्यपाल ने इस पर आपत्ति उठाई तो 21 मई 2022 की कैबिनेट बैठक में इस निर्णय को वापस ले लिया गया।
नई आबकारी नीति के संबंध में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने उप-राज्यपाल को एक रिपोर्ट भेजी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि नई नीति को लागू करने में जीएनसीटी एक्ट-1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन किया गया है।
अपनी रिपोर्ट में मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि टेंडर जारी होने के बाद 2021-22 में लाइसेंस हासिल करने वालों को कई तरह से लाभ पहुँचाए गए। इसके लिए जान-बूझकर प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शराब उत्पादन, थोक और खुदरा बिक्री से जुड़ा काम एक ही व्यक्ति की कंपनियों को दी गई, जो आबकारी नियमों का उल्लंघन है।
लाइसेंस पाने वाले लोगों को लाभ पहुँचाने के कारण दिल्ली सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया कि शराब विक्रेताओं की 144.36 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ किया गया। विदेशी बियर पर प्रति बोतल 50 रुपए की लगने वाली इम्पोर्ट फीस हटा ली, जिससे शराब माफिया को फायदा पहुँचा, बियर सस्ती हुई और सरकारी खजाने को चूना लगा। इसके अलावा, तमाम तरह की अनियमितताओं का भी जिक्र किया गया।
CBI ने इस मामले में 17 अगस्त 2022 को एक FIR दर्ज की। इस एफआईआर में 15 लोगों के नाम हैं। इनमें पहला नाम मनीष सिसोदिया का ही है। उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, 9 कारोबारी, 3 आबकारी अधिकारी और दो कंपनियाँ हैं। सीबीआई ने अपनी FIR में कहा है कि एक शराब कारोबारी ने मनीष सिसोदिया के एक सहयोगी द्वारा संचालित कंपनी को एक करोड़ रुपए का भुगतान किया था। सीबीआई ने अपनी एफआईआर में आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों से संबंधित धाराओं में आरोपित बनाया है।
इस मामले में अमित अरोड़ा नाम के एक आरोपित का स्टिंग ऑपरेशन भी सामने आया है। इसके वीडियो में शख्स बता रहा है किदिल्ली सरकार की शराब पॉलिसी से किन-किन लोगों को लाभ पहुँचाने की कोशिश की गई और यह कैसे-कैसे अंजाम दिया गया। इसमें शख्स ने विस्तार से बताया है। उसने बताया कि इसमें आम आदमी पार्टी के नेताओं को कई सौ करोड़ रुपए का लाभ पहुँचा है। शख्स ने कहा कि जिनको फायदा पहुँचा है, उन सभी ने अरविंद केजरीवाल को पैसे दिए हैं। किसी ने 100 करोड़ दिए, किसी ने 60 करोड़ दिए तो किसी ने 30 करोड़।
वीडियो मे अमित अरोड़ा बताया जा रहा शख्स कहता है, “देखो जी ऐसा है, इंडो स्पिरिट वाला तो 100 करोड़ रुपए एडवांस देकर बैठे थे। वो तो कहते थे कि 100 रुपए की ज्वॉइनिंग की है। वो सबको बोलते थे कि सबसे बड़ा धंधा उसी के पास था। अब 100 रुपए की ज्वॉइनिंग में भी एक ये भी ब्लैक एंड ह्वाइट करने का धंधा है। भाई आज आप 100 रुपया किसी को एडवांस में किसी को दे दो और जब वापस मिलेगा तो सब ह्वाइट में। जो कैश दे रहा है वो तो ब्लैक को ह्वाइट ही कर रहा है। मैंने कैश दे दिया और आपने फिक्स मार्जिन दे दिया। उसके बाद अमन डल जो 60-70 करोड़ मार्केट में है, वो उसने दिए। क्योंकि, हर आदमी बोलता था कि हमें भी धंधा दे दो। वो इतने में दे देंगे किसी को। इतने पैसे देने की किसी की हिम्मत नहीं है। अब हमारे पास कहाँ से आ जाएँगे इतने पैसे?”
वीडियो में दिख रहा शख्स आगे कहता है, “ऐसे ही ये महादेव लिक्वर है। महादेव लिक्वर ने भी इतने ही पैसे दिए, 50 करोड़ रुपए। इसके बिना धंधा नहीं मिल सकता। वैसे ही वो दिवांस स्पिरिट है। उसका धंधा इनसे थोड़ा सा था तो उसने 30 करोड़ रुपए दिए। अमन डल और अनंत वाइन्स, दो आदमियों को 10,000 करोड़ रुपए का धंधा दिया गया। ये दो आदमियों को ही क्यों दिए गए? कंप्टीशन तो कस्टमर के अच्छी बात है। आज की डेट में अमन डल, प्रिंटको और अनंत पंजाब में किसी का धंधा बंद करवा सकते हैं। जिसको ये माल ना दें, उसकी दुकान बंद हो जाएगी। वो बेचारा पैसे देकर मर जाएगा।”
शख्स आगे कहता है, “पंजाब के किसी भी रिटेलर से जो बताने की हिम्मत करेगा, उससे पूछ पूछ लो। इसमें मेरा नाम इसलिए क्योंकि मैं रिटेलर हूँ और मैं दिनेश अरोड़ा को जानता था। मेरे को लोग दिनेश अरोड़ा बोलते हैं, लेकिन मेरा नाम अमित अरोड़ा है। मुझे एक परसेंट का भी धंधा नहीं मिला। मेरे पास रिटेल का धंधा है, जो मुझे हाईकोर्ट से मिला है। अब मेरा नाम डाल दिया। जब मेरा नाम डाल दिया तो मैंने इन्क्वायरी ज्वॉइन कर ली। पॉलिसी बनाने में सारा काम विजय नायर का था, समीर महेंद्रू का था, अमन डल का था, मैडम चड्ढा का था और एक अरुण पिल्लई थे।”
इस घोटाले में शामिल लोगों के नाम लेते हुए वह शख्स आगे कहता है, “ये जो अमन डल है वो ब्रिंडको का है और जो समीर महेंद्रू है वो इंडो स्पिरिट है, मैडम चड्ढा महादेव लिक्वर है। अगर कोई बंदा ड्रग्स भी बेचे तो इतना धंधा ना कमा पाए। 10 करोड़ रुपए लगाए हैं और 150-150 करोड़ रुपए कमाए हैं अभी तक। ये सिर्फ पैसा कमाने का तरीका नहीं था, ये एक और तरीका था। क्या किया का 100 करोड़ रुपए एडवांस दे दिया कैश में। इन्होंने 100 करोड़ रुपए लगा दिए इलेक्शन में कहीं भी। अब वो पैसा जब वापस आ रहा है तो… पहली पॉलिसी ऐसी है जिसके अंदर लिखा है कि इस पैसे का आपको 12 परसेंट देना ही पड़ेगा। ऐसा धंधा तो मैंने जिंदगी में नहीं देखा।”
अमित अरोड़ा के अनुसार, “अगर ये चलता रहता तो ये हजारों करोड़ रुपए का फ्रॉड था। ये तो बीच में पता चल गया। ये इतना ओपन फ्रॉड था कि एक्साइज के चपरासी को भी पता था कि क्या हो रहा है। इन्होंने क्या कि दुनिया के सारे लोगों को मार दिया और कुछ लोगों को जिंदा कर दिया। सारे पुराने रिटेलर को मार दिए। पहले 10 लाख रुपए में होलसेल का लाइसेंस था। इन्होंने पाँच करोड़ का कर दिया। पूरे हिंदुस्तान में 5 करोड़ रुपए का लाइसेेंस कहीं भी नहीं है। क्यों कर दिया ऐसा, ताकि छोटा प्लेयर एक्जिस्ट ही ना करे। पूरा दिल्ली के लिक्वर का बिजनेस 15 हजार करोड़ रुपए का है और प्लान ये था कि सारा बिजनेस इन चारों के पास आ जाए।”
दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए वह शख्स कहता है, “इनको किसी रिटेलर से पैसे नहीं मिल रहे थे। इनको पैसे मिल रहे थे होलसेल से। ये चाहते थे बहुत सारे होलसेल। इन्होंने यहाँ फिक्स किया कि जितनी मर्जी दारू बेचो, कोई कोटा फिक्स नहीं। ये जो 12 परसेेंट का कमीशन था, इनमें इनको 6 परसेंट मिलता था। इन्होंने ओबेरॉय होटल में बैठ के, लोधी होटल में बैठ के इन सबने पॉलिसी बनाई। इसके बाद इन्होंने 6 परसेंट का गेम खेला। इसमें 4-5 सौ करोड़ रुपए तो बनाया ही गया होगा।”
इस मामले में जिस समीर महेंद्रू का नाम सामने आया है कि वह इंडोस्प्रिट कंपनी का प्रबंध निदेशक है और शराब घोटाले में आरोपित है। अमित अरोड़ा नाम के शख्स का आरोप है कि महेंद्रू, मिसेज चड्ढा, अमन धर और अरुण पिल्लई नाम के शख्स के साथ बैठकर नई शराब नीति बनाई गई और उन्हें लाभ पहुँचाया गया।
समीर महेंद्रू साल 2013 में भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराए गए दो अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई के मुख्य गवाह थे। महेंद्रू ने दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं बुनियादी ढाँचा विकास निगम लिमिटेड (DSIIDC) के दो अधिकारियों के खिलाफ गवाही दी थी। ये अधिकारी हर महीने वितरकों से महँगी शराब की चार-पाँच बोतलें विभिन्न फायदों के लिए लेते थे।
इन दो अधिकारियों- सुशांत मुखर्जी और अमरीक सिंह को 2013 में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने दोषी ठहराया था। इन दोनों पर 31 मार्च 2008 को मामला दर्ज किया गया था। महेंद्रू पर अब विभिन्न मौकों पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के दो करीबी सहयोगियों को 4-5 करोड़ रुपए का अवैध भुगतान करने का आरोप है।