राहुल गाँधी चले जा रहे हैं। लोगों ने यह बात भारतीय मीडिया में राजनीतिक खबर के नाम पर दिखाई जा रही नौटंकी से जान ली है। उन्हें अखबार पढ़ते हुए, मोबाइल में न्यूज को स्क्रॉल करते हुए पता चल गया है कि राहुल गाँधी चल रहे हैं। मुख्यधारा मीडिया में और सोशल मीडिया पर एक वर्ग राहुल के इस चलने को लेकर इतना उत्साहित है कि उन्होंने बिन वजह इसे चर्चा का कारण बना रखा है। ऐसे लोगों से इस यात्रा का कारण पूछा जाए तो कोई जवाब नहीं मिलेगा क्योंकि कोई नहीं जानता कि राहुल चल क्यों रहे हैं, उनकी पदयात्रा का उद्देश्य क्या है?
हो सकता है कि राहुल गाँधी को लेकर भी लोगों में ऐसी ही दुविधा है। कोई नहीं जानता कि वह जो कर रहे हैं क्यों कर रहे हैं। कोई नहीं जानता कि बार-बार हारने के बावजूद वह चुनाव क्यों लड़ते हैं। देश की जनता ने साफ कर दिया है कि वे राहुल गाँधी को वोट नहीं देने वाली हैं। कॉन्ग्रेस कहीं चुनाव में विजयी होती भी है तो यह क्षेत्रीय नेताओं और कुछ समर्पित विधायकों के व्यक्तिगत प्रयासों के कारण, जो अपने शीर्ष नेतृत्व की तरह देश के लोगों को नाराज नहीं करते। इस तरह विजयी क्षेत्रीय नेता अपने शीर्ष नेतृत्व पर उपकार कर रहे हैं।
कोई नहीं जानता कि कॉन्ग्रेस के तथाकथित युवराज, पार्टी के लिए बड़े अभियानों की घोषणा करने के बाद छुट्टियों पर विदेश क्यों चले जाते हैं। राहुल कहाँ जाते हैं कोई नहीं जानता। कोई नहीं जानता कि राहुल ऐसे घोटालों को मुद्दा क्यों बनाते रहे जो हुए ही नहीं। कोई नहीं जानता राहुल ऐसे मुद्दों पर क्यों चीखते चिल्लाते रहे जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है। राहुल “मेड इन जौनपुर, पटियाला और मेड इन छत्तीसगढ़ मोबाइल फोन” जैसे बेवकूफी से भरे भाषण दोहराते रहे, जबकि सभी यहाँ तक कि उनकी दादी भी जानती थीं कि उनका कोई मतलब नहीं है और इससे पार्टी को कभी भी वोट नहीं मिल सकता। राहुल गाँधी जो कुछ भी करते हैं, उसका कारण और उद्देश्य कोई नहीं जानता।
राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा भी इसी कड़ी की एक गतिविधि है जिसका असल में कोई मकसद और औचित्य नहीं है। विधानसभा चुनावों के समय जब कॉन्ग्रेस के कमजोर नेता और कार्यकर्ता गुजरात में एक मजबूत पार्टी से मुकाबला करने की कोशिश कर रहे थे, जब कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ता हिमाचल में एक जोशिला चुनाव अभियान चला रहे थे उस वक्त युवराज राहुल राजनीतिक मोह माया से दूर दक्षिण में कहीं चल रहे थे।
भारत जोड़ो यात्रा में ऐसा नहीं है कि राहुल गाँधी बड़ी मुश्किलों से गुजर रहे हैं। यात्रा के लिए हर तरह की सुविधा से लैश शानदार कंटेनर तैयार किए गए हैं। यात्रा में शामिल हुए लोग अच्छे से भोजन पाते हैं। अच्छी नींद ले रहे हैं। राहुल गाँधी और यात्रा में शामिल लोगों के आराम, कपड़े, सुरक्षा और स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। उन्हें सारी सुविधाएँ प्राप्त हैं फिर भी यदि उनकी दाढ़ी लाल सिंह चड्ढा के आमिर खान की तरह बढ़ती जा रही है तो इसका कारण यह है कि वो अपनी दाढ़ी शौख से बढ़ा रहे हैं। सभी जानते हैं कि कंटेनर में शौचालय भी होते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा का खूब प्रचार प्रसार किया गया। धूम-धाम से इसे रिलीज़ किया गया। परिणाम हम सभी जानते हैं। हम यह भी जानते हैं कि आमिर खान फिल्मों में अपने उपदेशों के लिए विख्यात हैं। उन्होंने शायद यही सोचा था कि जैसे उनके उपदेशों की वजह से पूर्व में उनकी फिल्में कामयाब होती रही हैं उसी तरह इस बार भी फिल्म सफल होगी और कोई ‘फ़ॉरेस्ट गंप’ को याद नहीं रखेगा, खास तौर से भारतीय दर्शक। उन्होंने सोचा कि फिल्म के हर दृश्य को कॉपी करके कुछ भारत-पाकिस्तान का मसाला लगाकर और हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई एकता की बातें कर के फिल्म को सफल बना लेंगे।
अफसोस कि अब भारतीय दर्शक उनके उपदेशों के झाँसे में नहीं आए। यह रीमेक एक शानदार फ्लॉप साबित हुई। जो गलती से फिल्म देखने पहुँच गए वो यही सोचते रहे कि आखिर इस लंबी फिल्म का क्या मतलब है। आमिर खान अपने बेतुके एक्सप्रेशन्स और असहनीय उपदेशों के साथ एक हॉलीवुड क्लासिक फिल्म को बर्बाद करके वास्तव में क्या करने की कोशिश कर रहे थे? हालाँकि, एक व्यक्ति ने शायद इस फिल्म को बहुत गंभीरता से देखा। राहुल गाँधी को भारतीय राजनीति में “लॉन्च” करने के लगभग सभी तरीके आजमाए जा चुके हैं, इसलिए उनके सलाहकारों ने शायद सोचा होगा कि एक बार और कोशिश करने में हर्ज क्या है? भारतीयों में वैसे भी तीर्थ यात्रा और पद यात्रा को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर रहा है।
इसलिए राहुल ने चलना शुरू किया और 7 सितंबर से ही खबरों में बने हुए हैं। हर दिन कोई न कोई अनजान अभिनेत्री यात्रा में शामिल होती है उनके साथ कुछ कदम चलती है। अच्छी तस्वीरें लेने के लिए उनके आसपास फोटोग्राफर्स होते हैं। देश का हर नागरिक और उनकी दादी भी जानती हैं कि एक सांसद और एक पूर्व पीएम के बेटे के रूप में उन्हें टैक्स पेयर्स के पैसों से दी जाने वाली Z+ स्तर की सुरक्षा मिलती है। हीरो या हीरोइन बनने की चाह रखने वाले युवा खुद को धन्य मानते हैं यदि राहुल ने किसी अज्ञात कारण से उनका हाथ पकड़ लिया। तस्वीरें लिए जाने के बाद वे अपने रास्ते और राहुल अपने रास्ते चल देते हैं। अगली फोटो में राहुल फिर किसी दूसरे चेहरे के साथ हाथ थामे चलते नजर आते हैं। तस्वीरों में कभी राहुल किसी को गले लगाते भी नज़र आते हैं तो किसी को चूमते हुए भी देखे जाते हैं।
Some common & frequent activities & poses during #BharatJodaYatra are rahul Gandhi k!sssing,hugging, holding hands,crying etc. It seems this yatra is more of pics clicking with diff emotions. Why females cry when they see Raga.Acting has diff level all together pic.twitter.com/Z2rvemgh6C
— Prahasini (प्रहासिनी) (@logicalbrain23) November 23, 2022
इन नजारों की तुलना शादी के फोटोग्राफ्स से कर सकते हैं। शादी के रिसेप्शन में भी दूल्हा और दुल्हन के साथ फोटो खिंचवाने के लिए रिश्तेदार और दोस्त स्टेज पर आते हैं, मुस्कुराते हैं, क्लिक करवाते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। इस यात्रा में भी यही हो रहा है “काम की चाह में पब्लिसिटी तलाश रहे छोटे-मोटे एक्टर्स, आउट-ऑफ-जॉब एक्टर्स, खारिज किए जा चुके पेशेवर प्रदर्शनकारी, मौसमी राजनेता, शिकागो से छुट्टी पर पहुँचे इकोनॉमिक एक्सपर्ट, गाली-गलौज करने वाले स्टैंड-अप कॉमेडियन” हर कोई आता है, मुस्कुराता है और राहुल गाँधी के साथ तस्वीर खिंचवाकर चल देता है।
Joined @bharatjodo yatra today & walked with @RahulGandhi. The energy, commitment & love is inspiring! The participation & warmth of common people, enthusiasm of Congress workers & RG’s attention & care toward everyone & everything around him is astounding! ✊🏽🇮🇳💛✨ @INCIndia pic.twitter.com/k3RqKxT1gh
— Swara Bhasker (@ReallySwara) December 1, 2022
Yesterday Rajan, today Kamra- apt! pic.twitter.com/cXIAJminY3
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) December 15, 2022
राहुल गाँधी चले जा रहे हैं, और गुजरात में कॉन्ग्रेस का सफाया हो गया। राहुल गाँधी चल रहे हैं और हिमाचल में जीत के बावजूद पार्टी आपसी कलह में फँसी हुई है। पंजाब में कॉन्ग्रेस की कलह और चुनावों में उसका हश्र हम सभी देख चुके हैं। हम देख रहे हैं कि कैसे राजस्थान में गहलोत और पायलट बारी-बारी से नाराज होने वाले फूफा की भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन पार्टी के युवराज को इसकी कोई परवाह नहीं है। इसके बावजूद उन्हें चलते हुए दिखाया जा रहा है। साफ-साफ कहें तो भारतीय अब उस सच को स्वीकार कर चुके हैं कि राहुल गाँधी दिखाए चलते रहेंगे। सरकारें आएँगी और जाएँगी, कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष आएँगे और जाएँगे, चुनाव भी आएँगे और जाएँगे लेकिन राहुल गाँधी खबरों में हमेशा बने रहेंगे। उन्हें युथ आइकन करार दिया जाता रहेगा। यह कहा जाता रहेगा कि वे अभी सीख रहे हैं। राहुल के साथ फोटो खिंचवाने वाले उन्हें भविष्य का प्रधानमंत्री बताते रहेंगे और गाँधी परिवार के साथ अपनी निकटता साबित करते रहेंगे।