Saturday, November 16, 2024
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सुप्रीम कोर्ट में चिल्लाए बाबरी मस्जिद के पैरोकार, फाड़ डाले काग़ज़ात और नक़्शे: CJI ने फटकारा

हिन्दू महासभा ने जो दस्तावेज पेश किए उनमें बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष रहे किशोर कुणाल की पुस्तक 'अयोध्या रीविजिटेड' के कुछ अंश का जिक्र था। इसमें कहा गया है कि विवादित स्थल पर शुरू से ही मंदिर का अस्तित्व था।

सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षकार राजीव धवन अचानक से उग्र हो उठे। सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के 72 वर्षीय वकील राजीव धवन ने हिन्दू महासभा के कुछ कागज़ात फाड़ डाले। हिन्दू महासभा ने उन्हें कुछ कागज़ात और नक़्शे दिए थे। अदालत में ही धवन ने उन्हें एक-एक कर फाड़ना शुरू कर दिया। जब मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उन्हें टोका तो उन्होंने कुछ और पन्ने फाड़ डाले।

बता दें कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित जमीन पर अपना दावा छोड़ दिया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड इस संबंध में शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर कर सकती है। मध्यस्थता पैनल ने इसकी पुष्टि की है। इस ख़बर के बाद अयोध्या मामले का घटनाक्रम तेज़ी से बदलता नज़र आ रह है।

बुधवार को राम मंदिर मामले की सुनवाई का 40वाँ और अंतिम दिन है। सीजेआई ने साफ़-साफ़ कह दिया है कि सभी निर्धारित पक्षों को निश्चित समयावधि से अधिक नहीं दी जाएगी और आज शाम 5 बजे तक सुनवाई पूरी कर ली जाएगी। हिन्दू पक्ष की ओर से दलील पेश करते हुए वकील सीएस वैद्यनाथन ने इस तरफ कोर्ट का ध्यान दिलाया कि मुस्लिम पक्ष ने अभी तक ऐसा कोई भी सबूत नहीं दिया है, जिससे पता चले कि विवादित भूमि पर उनका एकाधिकार है। उन्होंने कहा कि 1857 से 1934 के बीच मुस्लिम पक्ष ने वहाँ नमाज़ पढ़ी होगी, लेकिन उसके बाद ऐसा कुछ भी होने का कोई सबूत नहीं है।

वैद्यनाथन ने ये कहते हुए अपनी दलीलें समाप्त की कि नमाज़ पढ़ने के लिए तो काफी सारी जगहें हो सकती हैं, लेकिन राम जन्मभूमि सिर्फ़ एक ही जगह है और उसे बदला नहीं जा सकता। वहीं राम मंदिर पर पहली याचिका दाखिल करने वाले गोपाल सिंह विशारद के वकील ने इस बात पर जोर दिया कि उस स्थल पर पहले से पूजा होती रही है। वकील रंजीत कुमार ने सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की याचिका खरिज करने की अपील के साथ अपनी बात समाप्त की। वहीं निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बाबा अभिराम दास विवादित स्थल पर स्थित स्ट्रक्चर में मुख्य पुजारी थे।

हिन्दू महासभा ने जो दस्तावेज पेश किए उनमें बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष रहे किशोर कुणाल की पुस्तक ‘अयोध्या रीविजिटेड’ के कुछ अंश का जिक्र था। इसमें कहा गया है कि विवादित स्थल पर शुरू से ही मंदिर का अस्तित्व था। राजीव धवन ने जब आपत्ति जताई तो सीजेआई राजन गोगोई ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो सभी जज उठ कर चले जाएँगे। हिन्दू महासभा के वकील विकास ने जब सीजेआई को पुस्तक देने की बात कही तो उन्होंने कहा कि पुस्तक उन्हें दे दी जाए ताकि वो दिवाली तक पढ़ते रहें और नवम्बर तक पढ़ते रहें। सीजेआई ने उन्हें पुस्तक पर हस्ताक्षर कर के देने को कहा। सीजेआई ने धवन को फटकारते हुए कहा कि चिल्लाना व्यर्थ है।

वहीं, विवादित ज़मीन पर अपना दावा छोड़ने के एवज में सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने विचित्र शर्तें रखते हुए माँग किया कि अयोध्या में 22 मस्जिदों के रख-रखाव की जिम्मेदारी सरकार उठाए। सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने अंतिम शर्त रखी है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के नियंत्रण में जितने भी धार्मिक स्थल हैं, उनकी स्थिति की जाँच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट एक समिति बनाए। मुख्य न्यायाधीश आज सुनवाई के दौरान समय को लेकर एकदम सजग दिखे और निर्मोही अखरा के वकील ने जब डेढ़ घण्टे माँगे तो उन्हें समय की कमी का हवाला देकर 1 बजे तक का समय दिया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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