इलेक्ट्रिसिटी अथवा विद्युत्, ये एक ऐसी चीज है, जिस पर पूरी दुनिया चल रही है। विद्युत् ऊर्जा न हो तो आज शायद पूरी दुनिया ठप्प हो जाए। ऐसे में दुनिया भर में मार्च में ‘अर्थ ऑवर’ मनाया जाता है। एक दिन के लिए रात 8 बजे से 9 बजे तक पूरी दुनिया में लोग अपने-अपने घरों की लाइट्स ऑफ कर के इसे मनाते हैं। पर्यावरण और धरती के प्रति कृतज्ञता अर्पित करने के लिए ऐसा किया जाता है। लेकिन, आज तक कभी ऐसे लोग नहीं मिले, जिन्होंने इसका विरोध किया हो, वो भी गैंग बना कर। लेकिन अब ये कॉन्सेप्ट विरोध लायक हो गया है।
जैसा कि आपको पता है, पीएम मोदी ने रविवार (अप्रैल 5, 2020) को रात 9 बजे 9 मिनट के लिए सारी बत्तियाँ बुझा कर दीये, मोमबत्ती और फ़्लैश-लाइट्स जलाने को कहा है। पीएम मोदी की इस इस अपील के बाद कुछ के ट्यूब-लाइट्स भी जलने शुरू हो गए हैं और उनके दिमाग में ऐसे-ऐसे विचार आने लगे हैं कि थॉमस एल्वा एडिसन की आत्मा भी इन्हें एकाध चाँटा मारने धरती पर उतर आए। इनका कहना है कि रात को अचानक से लाइट्स ऑफ होंगी और ऑन होंगी तो पॉवर ग्रिड फेल हो जाएगा। इसके पीछे किस्म-किस्म के लॉजिक दिए जा रहे हैं।
हालाँकि, ऊर्जा मंत्रालय ने ऐसी किसी भी अफवाह पर ध्यान देने से मना किया है लेकिन असली ‘विशेषज्ञ’ तो सोशल मीडिया पर बैठे हैं। बड़े-बड़े पत्रकार तुरंत पॉवर ग्रिड एक्सपर्ट बन बैठे और उन्होंने बिजली से लेकर सौरमंडल तक पर ज्ञान देना शुरू कर दिया। अब इन्हें कौन समझाए कि पीएम ने सिर्फ़ लाइट्स ऑफ करने को कहा है, एसी, टीवी, फ्रिज, फैन, कम्प्यूटर और अन्य उपकरण यथावत चलते रहेंगे। भारत में पॉवर ग्रिड की कितनी क्षमता है और कितने वाट का अतिरिक्त भार वो सहन कर सकता है, उन्हें ये समझाना भैंस के आगे गिटार बजाने जैसा होगा।
असल मुद्दा तो ये है कि ये इसे कोई सांप्रदायिक रंग भी नहीं दे पाया। पहले दिवाली मनाने की बात कही गई लेकिन फिर पता चला कि कैंडल तो चर्चों में भी जलता है। मुंबई में जस्टिन बीबर के प्रोग्राम में फ़्लैश-लाइट्स ऑन कर के नाचने वाले भी कह रहे हैं कि उनके पास टॉर्च नहीं है। कल तो मैं भी इस प्रोपेगेंडा को सच मान कर इतना डर गया था कि मैंने भी अपने कमरे के बल्ब को ऑन रख कर ही सोना उचित समझा, ताकि कहीं पॉवर ग्रिड न ख़राब हो जाए। अब तो गिरोह विशेष मना रहा है कि सारे पॉवर ग्रिड धुआँ-धुआँ हो जाएँ, ताकि ये अपनी रोटियाँ सेकने के लिए निकलें।
यहाँ हम उन बातों पर चर्चा करेंगे, जो आज ‘9 बजे 9 मिनट्स’ कार्यक्रम से हो सकते हैं। हमें आशंका है कि न सिर्फ़ पॉवर ग्रिड्स बल्कि कई ऐसी बहुत बड़ी चुनौतियाँ भी हैं, जिनसे हमें निपटने की ज़रूरत है। ये ब्रह्माण्ड बहुत बड़ा है और लिबरल गैंग सिर्फ़ पॉवर ग्रिड पर ही अटका है, इसीलिए ज़रूरी है कि हम आप तक असली बात पहुँचाएँ। आप जो भी आगे पढ़ेंगे-देखेंगे, वो ‘ऑपइंडिया सटायर विभाग’ के ‘माइकल फैराडे रिसर्च क्लब’ द्वारा प्रमाणित है। तो आइए, ऐसी 5 आशंकाओं और चुनौतियों पर नज़र डालते हैं।
1. धरती सौरमंडल के अपने मार्ग से भटक जाएगी
जैसा कि सर्वविदित है, ये पृथ्वी जो है, वो चपटी नहीं है और वो सूर्य के चारों और चक्कर काटती है। धरती पर जब लाइट्स जलते रहते हैं तो पृथ्वी सौरमंडल में अपनी धुरी पर परिक्रमा करती है। ऐसा वो लोगों के घरों में स्थित घड़ियों को देख कर करती है क्योंकि ऐसे ही निर्धारित होता है कि उसे क्लॉकवाइज घूमना है या काउंटर क्लॉकवाइज। जब धरती पर सारे लाइट्स बुझ जाएँगे, तो क्या पृथ्वी के अपने अक्ष से भटकने का ख़तरा नहीं है? क्योंकि जैसा कि थाली और ताली बजाने वाले मामले में हुआ, सभी देश भारत का अनुसरण कर रहे हैं। अगर धरती उलट-पलट गई तो क्या मोदी जिम्मेदारी लेंगे?
2. अँधेरे में कोरोना और शक्तिशाली हो जाएगा
अब आते हैं असली समस्या पर। कोरोना वायरस रात के अँधेरे में किसी के भी शरीर में घुस जाएगा और वो देख भी नहीं पाएगा। दिक्कत ये है कि कोरोना रात के अँधेरे में लाइट्स के बिना जब निकलेगा तो न तो किसी पुलिसकर्मी की नज़र इस पर पड़ेगी और न ही किसी डॉक्टर की। ऐसे में लोगों को कैसे पता चलेगा कि आसपास कोरोना है और वो उनके घर में घुसने की कोशिश कर रहा है?
3. मोदी को अन्धकार से प्रेम क्यों है?
जहाँ एक तरफ पूरी दुनिया प्रकाश की तरफ जाना चाहती है, पीएम मोदी आख़िर अन्धकार की वकालत क्यों कर रहे हैं? वो प्रकाश बुझाने की बात कर रहे हैं। ऐसे में क्या ये नहीं माना जाए कि वो अन्धकार के समर्थक हैं और देश को अँधेरे में करना चाहते हैं। कहीं ये किसी बड़े इमरजेंसी जैसे ऐलान की प्रैक्टिस तो नहीं? हो सकता है बाद में सदा के लिए सारे लाइट्स ऑफ करवा दिए जाएँ और विपक्षी नेताओं को पकड़-पकड़ कर जेल में डाल दिया जाए। मोदी है, तो मुमकिन है।
4. नेहरू को नीचा दिखाने की साज़िश!
भारत में अब तक जो भी हुआ है, सब नेहरू की देन है। आगे जो होगा, वो भले नेहरू की देन न हो, लेकिन आज के सैकड़ों और हज़ारों साल बाद तक जो भी हुआ होगा, वो सब नेहरू की ही देन होगी। कहीं पीएम मोदी इस बात से खफा तो नहीं हैं कि भारत में बिजली और प्रकाश नेहरू लेकर आए थे और इसी का बदला सधाने के लिए वो इन दोनों के प्रति अपना गुस्सा निकाल रहे हों? किसे नहीं पता कि देश में पहली ट्यूब-लाइट नेहरू ने ही जलाई थी। उसमें से कुछ आज भी जल रहे हैं।
5. भारत पर एलियन अटैक का बड़ा ख़तरा
जब रात में लोग लाखों फ़्लैश-लाइट्स जलाएँगे तो उनका प्रकाश दूर तक जाएगा। जैसा कि हमें पता है, प्रकाश की गति 30 करोड़ मीटर प्रति सेकंड है और इस रफ़्तार से फ़्लैश-लाइट्स का प्रकाश अंतरिक्ष में बैठे एलियनों तक पहुँच सकता है। अगर उनके आँखों तक ये प्रकाश गया और उन्हें परेशानी महसूस हुई तो क्या वो भारत पर हमला नहीं कर देंगे? पीएम मोदी प्रकाश की गति को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।
ऊपर हमने कुछ ऐसी बातें गिनाई हैं, जिन्हें लिबरल गैंग ने नज़रअंदाज़ कर दिया। हमें आशा है कि वो लोग सिर्फ़ पॉवर ग्रिड पर ही अटके नहीं रहेंगे और उन समस्याओं पर भी बात करेंगे, जिन्हें हमने यहाँ उठाया है। धरती के रास्ता भटकने से लेकर एलियन के हमले तक वाली चिंताओं को उठाया जाना चाहिए।