मैं, अनंत सिंह, सांसद के रूप में शपथ लेता हूँ कि संसद की गरिमा बचाने के लिए बार-बार दिल्ली आता रहूँगा… काहे कि हमरा हवाई जहाज में उड़े में खूब मन लगता है… हमरा शौक है हवाई जहाज में उड़ना।
बिहार के एकमात्र कर्मठ राजनेता, भावुक हृदय के धनी, दिल की बात जुबाँ से बेरोकटोक कह देने वाले अनंत सिंह किसी परिचय के मोहताज नहीं। सूबे के मुख्यमंत्री भी उनके आगे पानी माँगते हैं। यह और बात है कि वो पानी के बजाय राज्य की सरकार को कुछ और ही दे देते हैं!
खैर! शेरदिल अनंत सिंह संसद पहुँच गए हैं। कर्मठ ऐसे कि गर्मी-बारिश-जाड़े से लेकर छुट्टी वाले दिनों में भी संसद में ही पाए जाते हैं। कोई भी बहस इनसे मिस हो जाए, इसका सवाल ही नहीं।
एक दिन की बात है। संसद में एक महिला बहुत लच्छेदार बात कर रही थी। बात उनकी अंग्रेजी में थी, इसलिए अनंत सिंह लोड नहीं ले रहे थे। ऐसा नहीं है कि अनंत सिंह को अंग्रेजी नहीं आती है, बस यह है कि वो फालतू अंग्रेजी बोलने वालों को पसंद नहीं करते। इसी कारण वो संसद भवन में लगी ‘रासकवि’ रामधारी सिंह ‘बिल्डर’ की तस्वीर को मंत्रमुग्ध हो निहार रहे थे।
हरामी। यही वो शब्द है, जिसको सुनते ही अनंत सिंह की तंद्रा टूटी। उनका शेरदिल कलेजा गुस्से में काँपने लगा। अपने इलाके के प्रेरणास्रोत ‘रासकवि’ रामधारी सिंह ‘बिल्डर’ की तरह वो वीर रस में डूब कर संसद को संबोधित करने लगे।
“सभापति महोदय! हरामी लोग हरामी बोलते हैं तो अच्छा नै न लगता है। औरत कोई स्पेशल होती है का? अरे ई तो खुदे हरामी है। ई का दूसरे को हरामी बोलेगी? मरद लोग को गाली देंगे तो चलेगा और हम औरत को गरिया रहे हैं तो हमको लोग बैठने बोल रहे हैं, ई कैसा संविधान है सभापति महोदय? हमको पूरा समय दिया जाए इस गाली पर। मर्द-सशक्तीकरण के लिए ई जरूरी है महोदय। बाकी लोग डरते हैं ई सब बोले से। हम केकरो से डरते हैं का? ऐसन ऐसन गाली देंगे कि कुल अंग्रेजी गां$ में घुस जाएगा…”
… (डॉट-डॉट-डॉट) के बाद गालियों की वो बौछार अनंत सिंह के बहुमुखी प्रतिभा वाले मुँह से निकली कि सभापति महोदय ने इसके बाद सभा ही स्थगित कर दी। अपने पावर का इस्तेमाल कर गालियों को रिकॉर्ड से भी निकलवा दिया उन्होंने। अभिव्यक्ति की आजादी के लिए हालाँकि यह गलत हुआ। हिंदी साहित्य और सिनेमा के विद्यार्थी बहुत कुछ सीख सकते थे, उनके साथ तो अन्याय ही हो गया। OTT वालों की कई हिट सीरीज इन गालियों के दम पर देश की इकॉनमी को आगे बढ़ाती, अफसोस यह भी हो न सका।
अनंत सिंह लोकसभा से जब बाहर निकले तब भी गुस्से में ही थे। एक पत्रकार ने डरते (बंधक बना कर मारते हैं) हुए, सभ्यता की दुहाई देते हुए पूछ लिया कि गाली देना तो सही है लेकिन औरत को काहे दिए? इस पर उन्होंने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा – “लौं$! की औरत है।”
PS-1: गालियों वाली वीडियो नहीं लगाने का दुख है… क्योंकि रिकॉर्डिंग ही नहीं हुई।
PS-2: इस कंटेंट का किसी भी जीवित और मृत व्यक्ति से संबंध नहीं है… क्योंकि अनंत सिंह सांसद हैं ही नहीं।