फोर्ब्स की विश्व के टॉप-20 निर्णायक लोगों की सूची लीक होने के बाद लिबरल गिरोह में फूट पड़ने की खबर आ रही है। रक्तपिपासु वामपंथी कन्हैया कुमार के रक्त के प्यासे बताए जा रहे। खान मार्केट गैंग का कहना है कि मोदी-शाह ने साजिशन कन्हैया कुमार का नाम सूची में डलवाया है। इसके लिए अडानी से बकायदा फोर्ब्स को विज्ञापन दिलवाया गया है। कहा जा रहा है कि विज्ञापन का पैसा लेकर खुद अंबानी गए थे।
सूत्रों के अनुसार पेरियार हॉस्टल में इस मसले पर पोलित ब्यूरो की बैठक हुई थी। बैठक की भनक एबीवीपी के लोगों को नहीं लगे इसके लिए ड्रेस कोड तय किया गया- नकाब। बैठक में मौजूद लोगों के बीच का विभाजन साफ तौर पर दिख रहा था। एक पक्ष का कहना था कि साजिशन कन्हैया का नाम डलवाया गया है। वहीं, दूसरे गुट का कहना था कि इस साजिश में कन्हैया भी शामिल है। इस गुट के लोग कह रहे थे कि गिरिराज सिंह ने चूँकि अगला चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया है, इसलिए कन्हैया ‘फूल’ बना रहा है। इस गुट को जिन प्रमुख लोगों का समर्थन हासिल है उनमें प्राइम टाइम प्रोपेगेंडा स्पेशलिस्ट रवीश कुमार, लिंगलहरी कुमार की खास दोस्त शेहला रशीद और टुकड़े-टुकड़े गैंग के उनके प्रमुख सिपहसलाहकार उमर खालिद शामिल हैं।
गुप्त सूत्र बताते हैं कि उमर खालिद बेहद गुस्से में था। बैठक के दौरान ही उसने पूरी बकार्डी गटक ली। फिर खाली बोतल दीवार पर मार दी। उसका कहना था कि जब दिल्ली पुलिस की एफआईआर में उसका नाम कन्हैया के साथ है तो फोर्ब्स की सूची में साथ-साथ क्यों नहीं है। कांच के उन्हीं टुकड़ों से शेहला कलाई पर कुछ लिखने जा रही थी। लेकिन जामिया की जेहादिनों ने मजहब का वास्ता देकर रोक लिया। समझाया कि कन्हैया कुमार वैसे भी काफिर ही है। काफिरों के लिए खून बहाया नहीं जाता है। उनका खून बहाया जाता है। नारा-ए-तकबीर के बाद शेहला ने पास बैठे कॉमरेड से एक नया नोट मॉंगा और उस पर लिख डाला- कन्हैया कुमार बेवफा है। यह नोट जैसे ही ट्वीट किया गया वायरल हो गया।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार इसके बाद रवीश फट पड़े। उन्होंने कहा कि इस प्रोपेगेंडा में सबसे ज्यादा मेरी ही स्याही लगी है। फिर कैसे कन्हैया का नाम आया। पहले मेरा हक बनता है। उन्होंने कन्हैया पर जात भाई को ही दगा देने का गंभीर आरोप लगाया। प्राइम टाइम नहीं करने का ऐलान करते हुए वे बीच बैठक से ही निकल गए। कन्हैया ने सफाई देने की कोशिश की तो उसे बोलने नहीं दिया गया। इसी दौरान हुई गर्मागर्म बहस में एक बोतल आइशी घोष के कपार पर बजर गया।
अपना ही खून देख नकाबधारी पतली गली से निकल गए। कॉमरेडों ने इसकी सूचना सलीम उर्फ योगेंद्र यादव को दी। बरखा को भी काम पर लगाया गया। तय किया गया कि आइशी के खून को भगवा में रंगना है। जनपथ तक खबर पहुँची तो राहुल गाँधी के नाम से सुरजेवाला ने ट्वीट दागा। लिखा, “मोदी-शाह ने आपका पैसा लूट कर अपने दोस्तों को दिया। फिर उन उन दोस्तों से फोर्ब्स को पैसा दिलवाया। विपक्षी एकता को तोड़ने के लिए उन्हीं पैसों से कन्हैया का नाम सूची में डलवाया गया है।” इस क्रोनोलॉजी को समझने की अपील करते हुए प्रियंका गॉंधी रवीश कुमार को मनाने उनके घर पहुॅंचीं। लेकिन रवीश ने स्पष्ट कर दिया- बोलना ही है। कम से कम पुस्तक मेला तक तो ‘बोलना ही है’।
इस मसले की गूँज सदन में भी सुनाई पड़ी। अधीर रंजन चौधरी ने इसे आंतरिक मामला मानने से इनकार करते हुए संयुक्त राष्ट्र से दखल देने की मॉंग की है। कॉन्ग्रेस की अपील पर संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि वह इसके लिए तैयार है। चीन ने कहा है कि वह सुरक्षा परिषद में यह मामला उठाएगा। इमरान खान ने आईएसआई से पूरे मामले की जॉंच करवाने का ऐलान किया है।
बढ़ते दबाव के बीच कन्हैया ने ट्वीट किया है;
“कितनी बेशर्म सरकार है। पहले निर्णायक लोगों की सूची में मेरा नाम डलवाती है। फिर कॉमरेड येचुरी पर प्रेशर डाल पोलित ब्यूरो का बैठक बुलवाती है। बैठक में बोतल तुड़वाती है। फिर भी नहीं झुकने पर प्रियंका गॉंधी को सीधे रवीश के घर भेजती है। जब से ये सत्ता में आए हैं तब से लिबरलों की फाड़ कर रखी है।”
इस बीच दिल्ली वाले सर जी ने भी बयान जारी कर अपना पक्ष रखा है। उनका कहना है- मैंने तो पहले ही कहा था सब मिले हुए हैं जी!
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