तृणमूल कॉन्ग्रेस की सांसद नुसरत जहां ने एक वक्तव्य जारी करके बताया कि उनकी शादी के बारे में जो अटकलें लगाई जा रही हैं उनकी जरूरत नहीं है। लोग अपना-अपना काम करें। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी जो शादी इतने लंबे समय तक चर्चा का विषय बनी रही, दरअसल वो शादी थी ही नहीं। उसे क्या कहा जा सकता है, यह बात उन्होंने लोगों पर छोड़ दी।
यह वैसा ही है जैसे किसी दिन राहुल गाँधी एक वक्तव्य जारी करके लोगों से कहें कि इतने वर्षों से उन्हें जो यूथ माना और कहा जा रहा था, वह सही नहीं है। और वे यूथ नहीं हैं। क्या हैं, यह लोग खुद तय कर लें। या किसी दिन शशि थरूर वक्तव्य जारी करके बताएँ कि उन्हें जो लोग शैम्पू बॉय कहते हैं, वे गलत हैं। उन्होंने आज तक अपने बालों में कभी शैम्पू नहीं लगाया और उनके उड़ते बालों का राज रीठा है।
राजनीति में यह होना कोई नई बात नहीं है। कई लोग हैं जिन्हें दशकों तक नेता समझा जाता रहा और वे किसान निकले। मुलायम सिंह जी को तो नेताजी कहा भी जाता रहा पर बाद में पता चला कि वे दरअसल पहलवान थे। लोग लालू जी को नेता समझते रहे और उन्होंने डॉक्यूमेंट से साबित कर दिया कि वे पशुपालक थे। वीरभद्र सिंह को लोग मुख्यमंत्री समझते रहे और उन्होंने बही खाता और रोड चालान दिखा कर साबित किया कि वे सेब के किसान हैं। योगेंद्र यादव को लोग ढाई दशक तक… खैर, जाने दीजिए।
बात हो रही थी नुसरत जहां की तो बात होनी चाहिए नुसरत जहां की। उन्होंने सांसद के रूप में शपथ लेते हुए अपना नाम नुसरत जहां रूही जैन बताया था और अब कह रही हैं कि न, वे तो नुसरत जहां हैं। रूही जैन कौन है, उन्हें नहीं पता।
Nusrat Jahan took oath in Parliament as “Nusrat Jahan Ruhi Jain”, now she says her marriage is not legal?
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) June 9, 2021
She lied on the floor of the House? https://t.co/zcjUXy2VNL pic.twitter.com/uqoCNfeFU1
बताइए, कितना तो शॉकिंग है। यह तो इस बात से भी अधिक शॉकिंग है जैसे ममता बनर्जी किसी दिन वक्तव्य जारी कर दें कि; वे अब भाजपा से नहीं लड़ेंगी और न ही केंद्र सरकार की आलोचना करेंगी। या फिर राहुल गाँधी किसी कोर्ट में एफिडेविट फाइल कर दें कि; मैंने यह फैसला किया है कि आज से झूठ नहीं बोलूँगा। मैं सच कह रहा हूँ। आप खुद ही सोचिए कि जिन्हें लोग शादी के बाद जैन समझते रहे, अचानक वो एक दिन राज खोल दे कि; न केवल वो जैन नहीं हैं, बल्कि जिसे वह खुद शादी समझती रहीं वो भी शादी नहीं है और वह शादी न होकर क्या थी, वह भी नहीं पता।
अन्य धर्म के व्यक्ति के साथ शादी करने के कारण आलोचना का मुक़ाबला किया, पहनावे पर हुए हल्ला का मुक़ाबला किया और सिन्दूर लगाने की वजह से और हिन्दू रीति के अनुसार शादी करने पर धार्मिक लोगों की आलोचना का मुक़ाबला किया। किसी देवबंदी उलेमा ने तो साफ़-साफ़ फैसला सुना दिया था कि नुसरत को सिर्फ और सिर्फ किसी मुसलमान से शादी करनी चाहिए थी क्योंकि इस्लाम इस बात की इजाजत नहीं देता कि एक मुसलमान किसी गैर मुसलमान से शादी करे। और तो और, लोकसभा स्पीकर के पाँव छूने की वजह से जारी किए गए फतवा का भी मुक़ाबला किया।
क्या इतने सारे मुकाबले इसलिए किए ताकि एक दिन यह कह सकें कि इन मुक़ाबलों की जड़ जो शादी थी, दरअसल वह शादी नहीं थी?
बता रही थीं कि शादी के शादी न होने की वजह यह है कि ये शादी भारत के कानून के अनुसार न होकर तुर्की के कानून के अनुसार हुई है और तुर्की में हुई शादी भारत में मान्य नहीं है। उस शादी को भारत में मान्य होने के लिए शादी का रजिस्ट्रेशन भारत के स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत होना अनिवार्य है। सोचिए आज गाँधी जी होते तो क्या कहते? अरे मैं राहुल गाँधी की बात नहीं कर रहा, वे तो हैं ही, मैं महात्मा गाँधी की बात कर रहा हूँ।
सोचिए कि वे आज होते तो क्या कहते? शायद कहते कि; जिस सल्तनत-ए-उस्मानिया के खलीफा के लिए मैंने दिन-रात एक कर दिया, उसी के मुल्क़ में रजिस्टर्ड शादी आज का भारत मान नहीं रहा। मैंने इसी दिन के लिए देश को बिना खड्ग बिना ढाल वाली आज़ादी दिलवाई थी? यह कहने से काम न चलता तो वे अनशन पर बैठ जाते और तब तक बैठे रहते जब तक खलीफा अब्दुल हमीद द्वितीय के देश के कानून के अनुसार हुई शादी को भारत में मान्यता न दिलवा देते।
नुसरत ने अपने वक्तव्य में आगे बताया कि जब शादी हुई ही नहीं तो तलाक़ का सवाल ही नहीं उठता। सही बात है। तलाक़ के लिए शादी होनी है और वो भी भारतीय कानून के अनुसार। नुसरत ने यह आरोप भी लगाया कि; जिसे लोग उनका पति समझ रहे थे और जो उनका पति नहीं था, उसने नुसरत के गहने तो रख ही लिए, कपड़े भी रख लिए। अब ये कपड़े वाला आरोप बड़ा अजीब लगा मुझे क्योंकि पति पर पत्नी के कपड़े रख लेने का आरोप तो घर छोड़ के जाने वाली पत्नी ने उस पति पर भी नहीं लगाया, जिसके ऊपर ऐसे कपड़े पहनने का न केवल आरोप लगा बल्कि इस बात की काफी चर्चा कोर्ट और मीडिया में भी हुई। ऐसे में गहने रख लेने की बात समझ आती है क्योंकि सोना आजकल बहुत महँगा हो गया है पर कपड़े!
खैर, नुसरत ने और बहुत कुछ लिखा है जो व्यक्तिगत संबंधों की बातें हैं। पर यह भी मानना होगा कि नुसरत एक राजनेता भी हैं और उनके वक्तव्य को आगे रख कर कहा जा सकता है कि उनके लिए राजनेता का अर्थ है ऐसा नेता जो अचानक राज खोलकर सबको शॉक कर दे।