Sunday, December 22, 2024
Homeविविध विषयकला-साहित्य'जीवित नाथूराम गोडसे ही नहीं, उसकी लाश और राख तक से डर गई थी...

‘जीवित नाथूराम गोडसे ही नहीं, उसकी लाश और राख तक से डर गई थी नेहरू सरकार’: पुस्तक लॉन्च में प्रखर श्रीवास्तव का खुलासा, ‘हे राम’ में गाँधी हत्याकांड की ‘प्रामाणिक पड़ताल’

गाँधी हत्याकांड में फ़िल्म स्टार पृथ्वीराज कपूर को फँसाने की कोशिश क्यों हुई थी और गाँधी की वो करीबी महिला कौन थी, जो गोडसे को गाँधी के बारे में सारी जानकारी देती थी?

दिल्ली के लोधी गार्डन्स में स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (IIC)’ में शनिवार (28 जनवरी, 2023) को ‘जनसभा’ पब्लिकेशन के बैनर तले प्रखर श्रीवास्तव की पुस्तक ‘हे राम: गाँधी हत्याकांड की प्रामाणिक पड़ताल’ का विमोचन हुआ, जिसमें वरिष्ठ इतिहासकार मीनाक्षी जैन और ‘Zee News’ के कंसल्टिंग एडिटर दीपक चौरसिया भी मौजूद रहे। इस दौरान पुस्तक के लेखक प्रखर श्रीवास्तव ने बताया कि कैसे उस समय की कॉन्ग्रेस सरकार महात्मा गाँधी को बचाने में नाकाम रही।

प्रखर श्रीवास्तव ने इस दौरान उपस्थित लोगों से कहा कि गाँधी हत्याकांड में फ़िल्म स्टार पृथ्वीराज कपूर को फँसाने की कोशिश क्यों हुई थी और गाँधी की वो करीबी महिला कौन थी, जो गोडसे को गाँधी के बारे में सारी जानकारी देती थी – इस संबंध में और अधिक जानने के लिए आपको ये पुस्तक पढ़नी चाहिए। उन्होंने बताया कि महात्मा गाँधी के शिष्य जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल सरकार में होने के बावजूद उन्हें सुरक्षा देने में नाकाम रहे।

इस दौरान उन्होंने महात्मा गाँधी की हत्या के बाद हुए चितपावन ब्राह्मणों के नरसंहार की भी बात की और बताया कि कैसे वीर विनायक दामोदर सावरकर के भाई नारायण सावरकर की भीड़ ने हत्या कर दी। नारायण सावरकर स्वतंत्रता सेनानी थे। प्रखर श्रीवास्तव ने बताया कि न सिर्फ जीते-जी नाथूराम गोडसे से तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार डरी हुई थी, बल्कि उसकी लाश और राख से भी वो डर गई थी। नाथूराम गोडसे का अंतिम संस्कार जेल में ही कर दिया गया था।

पद्मश्री मीनाक्षी जैन ने इस दौरान बताया कि कैसे भारत सरकार ने पहले आरसी मजूमदार को स्वतंत्रता संग्राम इतिहास लिखने का काम दिया था, लेकिन बाद में एक ऐसे व्यक्ति को चुन लिया गया जिनके रिसर्च का फिल्ड इतिहास का ये काल था ही नहीं। कार्यक्रम में मौजूद तांत्या टोपे के वंशज पराग टोपे ने इस दौरान ध्यान दिलाया कि कैसे भारत के हर जगह का इतिहास जुबानी रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आता रहा है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

नाम अब्दुल मोहसेन, लेकिन इस्लाम से ऐसी ‘घृणा’ कि जर्मनी के क्रिसमस मार्केट में भाड़े की BMW से लोगों को रौंद डाला: 200+ घायलों...

भारत सरकार ने यह भी बताया कि जर्मनी में भारतीय मिशन घायलों और उनके परिवारों से लगातार संपर्क में है और हर संभव मदद मुहैया करा रहा है।

भारत में न्यूक्लियर टेस्ट हो या UN में दिया हिंदी वाला भाषण… जानें अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन कैसे दूसरे नेताओं के लिए भी...

अटल बिहारी वाजपेयी न केवल एक सशक्त राजनेता थे, बल्कि वे एक संवेदनशील कवि, एक दूरदर्शी विचारक और एक फक्कड़ व्यक्तित्व के धनी थे।
- विज्ञापन -