Sunday, December 22, 2024
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हूरों से अप्सरा की तुलना, उनके लिए ‘सेक्स’ जैसी बातें: शोएब जमाई ने महाभारत और वेदों को लेकर बोला झूठ, जानिए असलियत

शोएब जमाई ने लिखा है कि 'सुंदर नितंबों वाली महिलाओं' वाली बात महाभारत में 13.79.27 में वर्णित है। महाभारत का 13वाँ पर्व, अर्थात 'अनुशासन पर्व'। आइए देखते हैं इसके 79वें अध्याय में क्या है।

अगर आपने ‘The Kerala Story’ देखी होगी तो आपको पता होगा कि कैसे हिन्दू युवाओं को उनके धर्म के बारे में गलत बातें कर के उन्हें मूर्ख बनाया जाता है। देवी-देवताओं और हमारे शास्त्रों के बारे में गलत बातें की जाती हैं, चूँकि हिन्दू युवक-युवतियों के पास जवाब नहीं होता और वो या तो निरुत्तर रह जाते हैं या फिर विरोधी मानसिकता से प्रभावित हो जाते हैं। कारण – उन्होंने अपने शास्त्रों का जरा भी अध्ययन नहीं किया होता है।

अब देखिए, इस्लामी कट्टरपंथी शोएब जमाई, जो ‘इंडियन मुस्लिम फाउंडेशन’ का अध्यक्ष है और जिसने शाहीन बाग़ उपद्रव में प्रमुख भूमिका निभाई थी, उसने ’72 हूर’ फिल्म पर निशाना साधते हुए अप्सराओं का जिक्र कर दिया। हिन्दू धर्म में स्वर्ग में रहने वाली नृत्यांगनाओं के लिए अप्सरा शब्द का प्रयोग होता है। अप्सराओं को लेकर कई कथाएँ हैं। धरती पर भी कुछ राजाओं और ऋषियों के साथ अप्सराओं की प्रेम-कहानियाँ हैं।

शोएब जमाई ने दावा कर दिया कि कुछ हिन्दू 1000 अप्सराओं के चक्कर में शादी नहीं करते, जबकि हूरों के बारे में ज्ञान देते फिरते हैं। साथ ही उसने एक तस्वीर भी शेयर की, जिसमें अप्सराओं को लेकर गलत बातें लिखी हैं और साथ ही स्रोत के रूप में शास्त्रों का वर्णन है। जैसे, उसने लिखा कि स्वर्ग में सुंदर झील हैं, स्वर्ण अंगों वाली अप्सराएँ हैं जो वहाँ रहती हैं। साथ ही उसने दावा कर दिया कि ऐसा महाभारत में लिखा है।

उसने स्रोत के रूप में महाभारत वन पर्व 168.6-7 का जिक्र किया। जिन्होंने कभी महाभारत पढ़ी तक नहीं है, उनमें से कई इसे सही भी मान लेंगे। जो होशियार होंगे, वो पुस्तक खोल कर देखेंगे और इसकी सच्चाई जान जाएँगे। जो विद्वान होंगे, वो देखते ही समय जाएँगे कि सच क्या है। असल में महाभारत के वन पर्व में अध्याय संख्या 168 में ऐसा कुछ लिखा ही नहीं हुआ है। शोएब जमाई ने सरासर झूठ फैलाया है। बताए गए अध्याय और श्लोकों में क्या है, हम बताते हैं।

महाभारत का वन पर्व के इस अध्याय में अर्जुन स्वर्ग में व्यतीत किए गए अपने समय के बारे में बता रहे हैं। साथ ही कैसे दानवों के साथ युद्ध की तैयारी हुई, इसे विस्तारपूर्वक सुना रहे हैं। श्लोक संख्या 6 में वो एक ब्राह्मण के साथ अपनी मुलाकात के बारे में बता रहे हैं। अगले श्लोक में वो स्वर्ग लोक की सुंदरता का वर्णन कर रहे हैं। हाँ, आगे के श्लोक में अप्सराओं का वर्णन हैं लेकिन गीत गाते हुए, देवराज इंद्र के स्वागत में।

महाभारत में वन पर्व के अध्याय संख्या 168 के श्लोक 6-7 में अप्सराओं का वर्णन नहीं

जिसने भी महाभारत पढ़ी है, वो ये भी जानता होगा कि जैसे महिलाओं में अप्सराएँ होती थीं वैसे ही पुरुषों में गंधर्व होते थे। यहाँ कोई वर्जिन हूरों का सिद्धांत नहीं है और उनका काम किसी की शारीरिक प्यास बुझाना नहीं होता। गंधर्व और अप्सरा मुख्यतः गीत-संगीत में दक्ष कलाकार थे। उनकी शक्ति इतनी थी कि उर्वशी के श्राप के कारण अर्जुन को एक वर्ष तक गंधर्व के वेश में रहना पड़ा। शोएब जमाई को ये बातें शायद ही पता हों, हमें मालूम होना चाहिए।

अब आगे शोएब जमाई के अन्य झूठों का पर्दाफाश करते हैं। उसने अगला वाक्य लिखा – “स्वर्ग में उसका स्वागत सुन्दर नितंबों वाली 1000 अप्सराओं ने किया।” यहाँ ये जान लीजिए कि किसी स्त्री की सुंदरता का वर्णन करना कोई नई बात नहीं है, हमारे प्राचीन साहित्य में अलग-अलग पात्रों ने ऐसा किया है। राम-कृष्ण सहित पुरुषों के भी शारीरिक चित्रण पर बात की गई है। तभी ‘सुंदर स्यामल गौर सरीरा’ जैसी पंक्ति का प्रयोग भगवान श्रीराम के लिए करते हैं।

अतः, हमें इसे इस प्रकार से नहीं लेना चाहिए कि किसी ने किसी स्त्री की आँखों या शरीर के किसी अंग की सुंदरता का वर्णन कर दिया तो ये गलत बात हो गई। समान रूप से स्त्री-पुरुषों को लेकर ऐसे वर्णन मिलते हैं। अब शोएब जमाई के नए स्रोत पर आते हैं। उसने लिखा है कि ‘सुंदर नितंबों वाली महिलाओं’ वाली बात महाभारत में 13.79.27 में वर्णित है। महाभारत का 13वाँ पर्व, अर्थात ‘अनुशासन पर्व’। आइए देखते हैं इसके 79वें अध्याय में क्या है।

इस अध्याय में गायों के दान की महिमा समझाई गई है। गोदान के वर्णन के साथ-साथ गायों की पवित्रता के बारे में बताया गया है। किस प्रकार गोदान कर के व्यक्ति मृत्यु के पश्चात अपने पुण्यों के प्रभाव से सुख परलोक में सुख पाता है, ये इसमें बताया गया है। आइए, देखते हैं इसका 27वाँ श्लोक क्या कहता है। इसमें बताया गया है कि गायों के शरीर में जितनी रोएँ होती हैं, गोदान करने वाला व्यक्ति उतने वर्षों तक स्वर्ग में वास करता हाउ और फिर वापस मनुष्य योनि में ही जन्म लेता है।

महाभारत के अनुशासन पर्व में 79वें अध्याय का 27वाँ श्लोक – गोदान के पुण्य का है वर्णन

इस प्रकार, इस श्लोक में गोदान की महिमा बताई गई है। गरीबों की मदद की बात है। एक पशु की महिमा का वर्णन है। पशु हित की बात करना और गरीबों की मदद की बात करना तो आधुनिक युग में भी अच्छा ही माना जाता है न? इसमें अप्सरा शब्द का कहीं जिक्र ही नहीं है। यानी, शोएब जमाई द्वारा दिया गया दूसरा स्रोत भी झूठा निकला। उसके हिसाब से यहाँ महिलाओं के नितंबों की बात थी, जबकि असल में यहाँ गोदान के पुण्य का वर्णन है।

चलिए, आगे देखते हैं कि शोएब जमाई का तीसरा झूठ क्या है। इसमें उसने लिखा है – ‘स्वर्ग में महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध बनाने का आनंद मिलता है।’ शोएब जमाई ने इसके स्रोत के रूप में अथर्व वेद, मत्स्य पुराण और महाभारत का हवाला दिया। उसने लिखा कि अथर्ववेद के 4.34.2 में ऐसा लिखा है। आइए, देखते हैं यहाँ असल में क्या है। अथर्ववेद के चौथे काण्ड के 34वें सूक्त के दूसरे मंत्र का भावार्थ है कि जितेन्द्रिय और शुभ स्वभाव वाले योगी परमात्मा को पाते हैं और संसार का हित करते हुए सर्वत्रगति को प्राप्त होते हैं।

“अ॑न॒स्थाः पू॒ताः पव॑नेन शु॒द्धाः शुच॑यः॒ शुचि॒मपि॑ यन्ति लो॒कम्। नैषां॑ शि॒श्नं प्र द॑हति जा॒तवे॑दाः स्व॒र्गे लो॒के ब॒हु स्त्रैण॑मेषाम् ॥” – ये मंत्र कुछ इस प्रकार है। आपको कहीं इसने ‘महिला’ या ‘अप्सरा’ शब्द दिख रहा है क्या? शोएब जमाई की मानें तो महाभारत के 13.106.7 में भी ऐसा ही लिखा है कि स्वर्ग में महिलाओं से शारीरिक संबंध बनाने का आनंद मिलता है। जबकि महाभारत के अनुशासन पर्व के 106वें अध्याय के इस श्लोक में ऐसा कुछ भी नहीं है।

यहाँ तो मास, दिवस और तिथि संबंधी व्रतों और उनके फलों का वर्णन है। उक्त श्लोक में बताया गया है कि भीष्म पितामह कैसे युधिष्ठिर को इसके बारे में बताते हैं। मत्स्य पुराण में 107वें अध्याय में जरूर अप्सराओं का जिक्र है, लेकिन शारीरिक संबंध बनाने की बात कहीं नहीं है। उनके सुमधुर गान के बारे में चर्चा की गई है। जिनके लिए कला हराम है, वो क्या जानें कि नृत्य-संगीत क्या होता है। हमारे यहाँ तो भगवान शिव भी नृत्य की मुद्रा में ‘नटराज’ बन कर पूजे जाते हैं।

शोएब जमाई के अगले झूठ की तरफ बढ़ते हैं। उसने लिखा है कि युद्ध में मृत्यु होने पर व्यक्ति स्वर्ग में ‘वर्जिन’ महिलाओं के साथ आनंद करता है। उसने दावा किया है कि देवी भागवत और पराशर स्मृति में ऐसा लिखा है। जब आप देवी भागवत के तीसरे अध्याय को देखेंगे तो आपको उसमें भगवान श्रीराम के चरित्र का वर्णन मिलेगा शुरुआत में ही, अतः यहाँ ऐसी कोई बात नहीं लिखी है। अप्सराओं की हिन्दू धर्म में पूजा होती आई है, ऐसे में उन्हें इस तरह से बदनाम करने के लिए शोएब जमाई पर कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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