सोमवार (जनवरी 13, 2020) को ख़बर आई थी कि काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है। कई बड़े संस्थानों ने इस ख़बर को चलाया था। अब, वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने इस ख़बर को नकार दिया है। सभी मीडिया संस्थानों को वीडियो के माध्यम से सम्बोधित करते हुए अग्रवाल ने कहा कि एक औपचारिक बैठक के दौरान ऐसा सुझाव दिया गया था लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है। कमिश्नर अग्रवाल ने कहा कि मीडिया में चल रही ख़बरें ग़लत हैं और वो उनका खंडन करते हैं।
मीडिया ने ख़बरें चलाई थीं कि पुरुषों के लिए कुर्ता-धोती और महिलाओं के लिए साड़ी पहनना अनिवार्य है, अगर वो स्पर्श दर्शन करना चाहते हैं। सच्चाई ये है कि अधिकारियों के साथ हुई बैठक में सुबह 4-11 बजे तक होने वाली स्पर्श दर्शन में ऐसा ड्रेस कोड लागू करने का प्रस्ताव दिया गया था। अभी तक ये प्रस्ताव लागू नहीं किया गया है और न ही ऐसा कोई नियम बना है। इस बैठक में वाराणसी के डीएम कौशल राज शर्मा शामिल थे। वो मंदिर न्यास के सीईओ भी हैं।
काशी विद्वत परिषद के रामनारायण द्विवेदी ने ऑपइंडिया को बताया कि परिषद की बैठक में ये प्रस्ताव रखा गया था कि सुबह की आरती और दर्शन के समय जो लोग शिवलिंग का स्पर्श दर्शन करना चाहते हैं या फिर स्पर्श कर के पूजन करना चाहते हैं, उनके लिए ड्रेस कोड तय किए जाएँ। प्रस्ताव के अनुसार, स्पर्श दर्शन के लिए ड्रेस कोड तय करने पर चर्चा हुई है। लेकिन सामान्य दर्शन के लिए साड़ी या धोती-कुर्ते जैसे ड्रेस कोड तय करने की बात नहीं हुई।
काशी विश्वनाथ मंदिर प्रकरण – वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने पूरी तरह खंडन करते हुए कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर में ड्रेस कोड की बात पूरी तरह गलत है, अफवाह है, ऐसा कोई विचार नहीं है, ये खबरें पूरी तरह असत्य हैं pic.twitter.com/N0w6aOOAtC
— Shalabh Mani Tripathi (@shalabhmani) January 13, 2020
इस बैठक में काशी विद्वत परिषद के प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी, प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय, प्रोफेसर रामकिशोर, प्रोफेसर दिनेश गर्ग और प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी शामिल थे। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार के धर्मार्थ मंत्री नीलकंठ त्रिपाठी और न्यास के सीईओ भी शामिल थे। प्रोफ़ेसर रामनारायण द्विवेदी ने ऑपइंडिया को बताया कि परिषद का काम सुझाव देना है और मंदिर प्रशासन नियम को लागू करता है।