लोकसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद एक बार फिर से ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को लेकर बहसबाजी शुरु हो गई है। विपक्षी दलों की तरफ से चुनाव आयोग पर सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्षी दलों द्वारा ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों का मिलान 50 फीसदी तक बढ़ाने की माँग अगर मान ली गई तो चुनाव नतीजे आने में तकरीबन 5 दिन ज्यादा लग सकते हैं।
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी है। चुनाव आयोग ने और भी कई चुनौतियों की बात कही है। आयोग के मुताबिक, गिनती के लिए बड़े पैमाने पर सक्षम स्टाफ की जरूरत होगी। इतना ही नहीं, ऐसे गिनती करने के लिए बड़े काउंटिंग हॉल्स की भी जरूरत होगी।
गौरतलब है कि, 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर माँग की थी कि एक निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 50 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों की मिलान किया जाए, ताकि चुनावी प्रक्रिया की शुद्धता पर आँच न आए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से विचार करने को कहा था। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने कहा, “अगर हर संसदीय या विधानसभा क्षेत्र की 50 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाएगा, तो इससे गिनती करने का वक्त बढ़ेगा। इसमें करीब 5 दिन तक ज्यादा लग सकते हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों की घोषणा 23 मई की जगह 28 मई को हो पाएगी।”
इसके साथ ही चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि फिलहाल ऑटोमैटिक रूप से पर्चियों के मिलान का तरीका उपलब्ध नहीं है। आयोग ने कहा कि अभी फिलहाल कोई मकेनिकल सिस्टम नहीं है, क्योंकि वीवीपैट से निकल रही स्लिप पर कोई बारकोड नहीं लगा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के नतीजे 28 तो वहीं विधानसभा चुनाव के नतीजे 30 या 31 से पहले नहीं आ पाएँगे।
बता दें कि, वर्तमान में चुनाव आयोग प्रत्येक क्षेत्र से कोई भी एक ईवीएम का चुनाव करता है और उसकी पर्चियों का मिलान करने का काम करता है। फिलहाल देश में कुल 10.35 लाख पोलिंग स्टेशन हैं और अगर औसत की बात करें, तो एक असेंबली सीट में 250 पोलिंग स्टेशन है। आयोग की मानें तो, एक पोलिंग स्टेशन पर वीवीपैट काउंटिंग में फिलहाल एक घंटे का समय लगता है। लेकिन यदि इसे 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया, तो इसमें औसतन 5.2 दिन का वक्त लग जाएगा।