Saturday, November 16, 2024
Homeविविध विषयमनोरंजन'The Kerala Story देखने जाने वालों के लिए मुफ्त ऑटो सर्विस': महाराष्ट्र के ड्राइवर...

‘The Kerala Story देखने जाने वालों के लिए मुफ्त ऑटो सर्विस’: महाराष्ट्र के ड्राइवर का ऐलान, कहा – ‘लव जिहाद’ के षड्यंत्र को समझें हिन्दू महिलाएँ

"मैं अक्सर फिल्में नहीं देखता। लेकिन, अगर कोई ऐसी फिल्म है जो किसी अच्छे उद्देश्य को लेकर होती है उसे मैं जरूर देखता हूँ। मैं चाहता हूँ कि अन्य लोग भी ऐसी फिल्में देखें।"

फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ (The Kerala Story) 5 मई, 2023 को रिलीज होगी। लेकिन, इससे पहले ही इस फिल्म को लेकर चर्चा जोरों पर है। इस्लामी कट्टरपंथियों की सच्चाई को उजागर करती इस फिल्म को लेकर लोग चाहते हैं कि हिंदू महिलाएँ अपने खिलाफ हो रहे षड्यंत्र को समझें। महाराष्ट्र के ऑटोरिक्शा चालक साधु मगर एक ऐसे ही हिंदू कार्यकर्ता हैं जो चाहते हैं कि अधिक से अधिक हिंदू महिलाएँ इस फिल्म को देखें और इस्लामी षड्यंत्रो को लेकर जागरूक और सतर्क रहें।

साधु मगर की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। इस तस्वीर में वह अपने ऑटोरिक्शा के पास खड़े दिखाई दे रहे हैं। अपने ऑटोरिक्शा में उन्होंने एक बैनर लगाया है। इस बैनर में लिखा है कि फिल्म ‘द केरला स्टोरी‘ देखने जाने वाले लोगों के लिए उनका ऑटो बिल्कुल फ्री है। साथ ही उन्होंने इस बैनर में यह भी लिखा है कि उनके ऑटो से फिल्म देखने जाने वाली पहली दस महिलाओं के वह टिकट भी खरीदकर देंगे।

साधु मगर की फोटो वायरल होने के बाद ऑपइंडिया ने उनसे बात की। इस बातचीत में ‘द केरला स्टोरी’ मुफ्त में दिखाने को लेकर उन्हें प्रेरणा कैसे मिली इस बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते थे। लेकिन उन्होंने बातचीत की शुरुआत ‘जय श्री राम’ और ‘जय हिंदू राष्ट्र’ के संबोधन के साथ ‘गर्व से कहो, हम हिंदू हैं’ कहते हुए की।

साधु मगर महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के अक्कलकोट शहर के रहने वाले हैं। पहले वह पुणे की एक कंपनी में काम करते थे। लेकिन तीन साल पहले उन्होंने एक ऑटोरिक्शा खरीदा और अपना व्यवसाय शुरू किया। भले ही उनका व्यवसाय बहुत बड़ा नहीं है। लेकिन वह वह हमेशा से ही एक मालिक बनना चाहते थे। वह पुणे के आलंदी और मार्कल इलाके में ऑटोरिक्शा चलाते हैं।

गौरतलब है कि अक्कलकोट श्री स्वामी समर्थ के मंदिर के लिए मशहूर है। श्री स्वामी समर्थ को भगवान दत्तात्रेय के अवतार के रूप में पूजा जाता है। साथ ही संत ज्ञानेश्वर की समाधि भी आलंदी में ही है। इसको लेकर साधु मगर ने कहा, जहाँ वह रहते हैं और जहाँ वह काम करते हैं दोनों ही स्थानों ने धर्म के प्रति समर्पण की भावना जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

साधु मगर ने कहा, “मुझे शुरू से ही धार्मिक कार्य पसंद थे। लेकिन ऐसा करने के लिए मेरे पास उपयुक्त साधन नहीं था। जबसे मैंने अपना ऑटोरिक्शा खरीदा है मैं धार्मिक कार्यों में लगा रहता हूँ।”

उन्होंने आगे कहा, “मैंने ‘द केरल स्टोरी’ का ट्रेलर देखा। मुझे यह बहुत अच्छा लगा। ठीक वैसे ही जैसे मुझे ‘द कश्मीर फाइल्स’ पसंद आई थी। ट्रेलर देखने के बाद मैंने फिल्म देखने जाने वालों को मुफ्त ले जाने का फैसला किया। मैं जानता हूँ कि हजारों हिंदू महिलाएँ ‘लव जिहाद’ का शिकार हुई हैं। इसलिए मैं चाहता हूँ कि हिंदू महिलाएँ इस षड्यंत्र के बारे में समझें और सतर्क रहें। मैं उन्हें इन सब चीजों के बारे में जागरूक करना चाहता था। इसके लिए फिल्म से बेहतर कोई अन्य माध्यम ठीक नहीं लगा। इसलिए मैंने यह फैसला किया।”

साधु मगर ने आगे कहा, “मैं अक्सर फिल्में नहीं देखता। लेकिन, अगर कोई ऐसी फिल्म है जो किसी अच्छे उद्देश्य को लेकर होती है उसे मैं जरूर देखता हूँ। मैं चाहता हूँ कि अन्य लोग भी ऐसी फिल्में देखें। इसके लिए मैं जो कुछ भी कर सकता हूँ हर हाल में करने की कोशिश करता हूँ। पिछले साल ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म रिलीज हुई थी। मैंने फिल्म देखी। मुझे यह बहुत पसंद आई। इसमें कश्मीर में हिंदुओं पर हुए अत्याचारों को साफ तौर पर दिखाया गया था। यह सब किसी अन्य फिल्म में नहीं दिखाया गया। इसलिए, जो लोग भी वह फिल्म देखना चाहते थे मैं उन्हें अपने ऑटोरिक्शा में मुफ्त में जाता था।”

उन्होंने यह भी कहा है, “5 मई को मैं सबसे पहले इस फिल्म को देखूँगा। अगर यह फिल्म लव जिहाद की समस्या को सही तरीके से दर्शाती है तो मैं लोगों को फिल्म देखने के लिए मुफ्त में ले जाऊँगा। लेकिन अगर फिल्म में किसी भी तरीके से हिंदू विरोधी बातों का थोड़ा सा भी जिक्र किया गया है या फिर लव जिहाद के मुद्दे को सही तरीके से दिखाने में किसी भी तरह का समझौता किया गया है तो मैं फेसबुक पर एक पोस्ट लिखूँगा। इस पोस्ट के माध्यम से लोगों को बताऊँगा कि यह फिल्म सच्चाई नहीं दिखा रही है, इसलिए इस फिल्म को न देखें।”

साधु ने आगे कहा, “लेकिन अगर यह ‘लव जिहाद’ और केरल में जो कुछ हुआ है उसे ठीक से दिखाती है तो मैं लोगों को यह फिल्म दिखाने के लिए ले जाऊँगा और कोई पैसा नहीं लूँगा। मेरे लिए जरूरी है कि मैं पहले इसे देखूँ और सच्चाई जान सकूँ। पूरी फिल्म देखने से पहले हम कुछ नहीं कह सकते। अभी फिल्म के पक्ष और विपक्ष दोनों में ही प्रोपेगैंडा किया जा रहा है।”

इन सबके बीच एक और बात ऑपइंडिया के सामने आई, वह यह कि साधु मगर पुणे शहर में कहीं भी भारतीय सैनिकों और अधिकारियों को मुफ्त में सेवाएँ देते हैं। वह विद्यार्थियों को मुफ्त में स्कूल भी ले जाते हैं। जब भी वह गरीब लोगों को देखते हैं जिनके पास कोई पैसा नहीं है, तो वह उनसे भी पैसे नहीं लेते।

साधु मगर ने यह भी कहा कि वह खुद से धार्मिक कार्य करते हैं और किसी संगठन से नहीं जुड़े हैं। अपने हाथ में गर्व से कलावा रखने वाले और माथे पर तिलक लगाने वाले मगर इस तरह एक आम हिंदू नागरिक का प्रतीक बन गए हैं। वो कहते हैं कि वो सच बोलने की इच्छा रखते हैं, भले ही यह कितना भी असहज या राजनीतिक रूप से गलत क्यों न हो।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जिनके पति का हुआ निधन, उनको कहा – मुस्लिम से निकाह करो, धर्मांतरण के लिए प्रोफेसर ने ही दी रेप की धमकी: जामिया में...

'कॉल फॉर जस्टिस' की रिपोर्ट में भेदभाव से जुड़े इन 27 मामलों में कई घटनाएँ गैर मुस्लिमों के धर्मांतरण या धर्मांतरण के लिए डाले गए दबाव से ही जुड़े हैं।

‘गालीबाज’ देवदत्त पटनायक का संस्कृति मंत्रालय वाला सेमिनार कैंसिल: पहले बनाया गया था मेहमान, विरोध के बाद पलटा फैसला

साहित्य अकादमी ने देवदत्त पटनायक को भारतीय पुराणों पर सेमिनार के उद्घाटन भाषण के लिए आमंत्रित किया था, जिसका महिलाओं को गालियाँ देने का लंबा अतीत रहा है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -