बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के ऑफिस मणिकर्णिका फिल्म्स और घर के तोड़-फोड़ केस के सिलसिले में महाराष्ट्र के मानवाधिकार आयोग ने BMC के कमिश्नर इकबाल सिंह चहल को समन भेजा है। चहल को 20 जनवरी से पहले आयोग के सामने हाजिरी देनी होगी और यह बताना होगा कि उन्होंने बांद्रा पाली हिल एरिया में बनी कंगना की प्रॉपर्टी को नष्ट करने का निर्णय क्यों लिया।
Maharashtra State Human Rights Commission has issued summons to BMC Municipal Commissioner IS Chahal to appear before it in connection with a complaint received regarding demolition of property belonging to actress Kangana Ranaut (in file photo). pic.twitter.com/lQWx5JRkhC
— ANI (@ANI) December 23, 2020
बता दें कि इकबाल सिंह के निर्देशों के बाद ही कंगना के दफ्तर पर तोड़फोड़ की कार्रवाई को अंजाम दिया गया था। हालाँकि बाद में कोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई को रोकना पड़ा था लेकिन तब तक अभिनेत्री का काफी नुकसान हो चुका था।
गौरतलब है कि पिछले दिनों हाई कोर्ट ने कंगना के बंगले पर मुंबई महानगर पालिका (BMC) की कार्रवाई को अवैध और दुर्भावना से परिपूर्ण माना था। इसके साथ ही बीएमसी का नोटिस रद्द कर दिया था।
हाई कोर्ट ने बीएमसी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि यह बदले की भावना के तहत की गई कार्रवाई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट के जज ने टिप्पणी करते हुए कहा था, “कंगना रनौत के मुंबई को पीओके बनाने वाले बयान के अगले दिन एक नेता का बयान आता है और फिर कंगना को नोटिस देकर महज 24 घंटे का समय दिया जाता है। कार्रवाई होने के बाद अखबार में लिखा जाता है कि बदला ले लिया।”
बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत के मुंबई स्थित ऑफिस में 9 सितंबर को बीएमसी द्वारा 24 घंटे के आनन-फानन में दी गई नोटिस और फिर बदले की भावना से की गई तोड़-फोड़ को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया। कोर्ट ने बहुत सख्त लहजे में यह साफ कहा था कि बीएमसी का एक्शन दुर्भावनापूर्ण रवैये से किया गया है।
वहीं 11 नवंबर 2020 को आरटीआई के माध्यम से खबर सामने आई थी कि बीएमसी उस समय तक इस मामले में वकीलों को 82 लाख रुपए का पेमेंट कर चुकी थी। आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी में बताया गया थी कि बीएमसी ने अदालत की कार्रवाई में तकरीबन 82,50,000 रुपये खर्च किए। आरटीआई कार्यकर्ता शरद यादव ने बीएमसी में आवेदन कर यह जानकारी माँगी थी।