अक्टूबर 2007 में एक फिल्म आई थी, जिसका नाम था ‘भूल भूलैया’ और जिसमें अक्षय कुमार के अलावा विद्या बालन, परेश रावल व राजपाल यादव जैसी फ़िल्मी हस्तियाँ मुख्य भूमिकाओं में थीं। ये फिल्म अप्रैल 2005 में आई रजनीकांत की तमिल ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘चंद्रमुखी’ की रीमेक थी। ‘चंद्रमुखी’ खुद मलयालम सुपरस्टार मोहनलाल की दिसंबर 1993 में आई फिल्म ‘Manichitrathazhu’ की रीमेक थी, जिसमें सुरेश गोपी भी मुख्य भूमिका में थे।
अब 20 मई, 2022 को कार्तिक आर्यन एवं कायरा आडवाणी अभिनीत ‘भूल भूलैया 2’ रिलीज हो रही है, जिसमें सपोर्टिंग किरदारों में तब्बू, राजपाल यादव, संजय मिश्रा और राजेश शर्मा भी हैं। फिल्म में इसके प्रीक्वल के गाने ‘हरे राम, हरे कृष्णा’ का भी नया वर्जन पेश किया गया है। हॉरर में रोमांस और कॉमेडी का तड़का लगा कर भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के नामों को एक फ़िल्मी गाने में इस्तेमाल किया गया है, वो भी डिस्को के रूप में।
बात सिर्फ यहीं तक नहीं रुकती है, बल्कि ब्राह्मणों का भी इस फिल्म में अपमान किया गया है। संजय मिश्रा को एक पंडित की भूमिका में दिखाया गया है और राजपाल यादव को उनके सहायक के। हमेशा की तरह राजपाल यादव की वेशभूषा ऐसी ही है, ताकि शिखा का मजाक बनाया जा सके। भले ही वैज्ञानिक और आध्यात्मिक तौर पर शिखा या चोटी रखने के कई फायदे साबित हुए हों, लेकिन बॉलीवुड के लिए ये मजाक से बढ़ कर और कुछ नहीं।
फिल्म में एक डायलॉग है राजपाल यादव का, “ये तो म्हारे से भी ज्यादा ह$#मी है।” इस पर संजय मिश्रा कॉमेडी करते हुए जवाब देते हैं, “का अंतर्यामी है? ये हमसे भी बड़ा ह$#मी है।” भूषण कुमार की ‘T-Series’ के यूट्यूब पेज पर आए इसके ट्रेलर को खबर लिखे जाने तक 4.62 करोड़ लोग देख चुके हैं। 3 मिनट 12 सेकेंड के इस वीडियो में आप 50 सेकेंड के बाद इस हिस्से को देख सकते हैं। रामनामी कपड़े पहन कर कार्तिक आर्यन को कॉमेडी करते हुए भी देखा जा सकता है।
हवन-पूजन करते ब्राह्मणों के लिए 'हरामी' शब्द के इस्तेमाल पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि बॉलीवुड ने 80 वर्षों में इसे सामान्य बना दिया है, लेकिन अगर किसी मुल्ले-मौलवी के लिए इस तरह की भाषा का उपयोग हो तब क्या होगा?
— Anupam K Singh (@anupamnawada) April 28, 2022
क्या @TheAaryanKartik या @imsanjaimishra को ये खटका नहीं?
ये भी ध्यान देने लायक है कि इस फिल्म के निर्देशक अनीस बज्मी हैं और लेखक फरहाद सामजी हैं। दोनों ही मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। फिल्म में तबस्सुम फातिमा हाशमी, यानी तब्बू भी हैं। ऐसे में हिन्दू देवी-देवताओं और ब्राह्मणों के अलावा सनातन रीति-रिवाजों का मजाक बनाए जाने की आशंका खुद बलवती हो जाती है। वैसे भी ब्राह्मणों के प्रति बॉलीवुड की नफरत पुरानी है। अब तो OTT पर आने वाले वेब सीरीज में भी इसे आगे बढ़ाया जा रहा है।
शायद यही कारण है कि देश की ग्रामीण और सनातन संस्कृति में रचे-बसे और इससे जुड़े परिदृश्य दिखाने वाले दक्षिण भारतीय फ़िल्में पूरे भारत में ब्लॉकबस्टर का दर्जा प्राप्त कर रही है। 1100 करोड़ रुपए कमाने वाली ‘RRR’ में भगवान श्रीराम से प्रेरित किरदार डाला गया था। 960 करोड़ रुपए कमा चुकी ‘KGF 2’ के अभिनेता यश परिवार के साथ पत्तल पर भोजन खाते दिखते हैं। हाल ही में हिंदी भाषा को लेकर अजय देवगन और किच्चा सुदीप में विवाद भी हो गया।