डिज्नी प्लस हॉटस्टार की आने वाली वेब सीरीज/शो ‘द एम्पायर’ को लेकर विवाद थमा नहीं है। लोग इस बात से नाराज हैं कि इस सीरीज के जरिए लाखों हिंदुओं को मारने वाले ‘बाबर’ का महिमामंडन किया जा रहा है। इस संबंध में प्लेटफॉर्म के ग्रीवांस ऑफिसर के पास कई शिकायतें पहुँची हैं, लेकिन सुनवाई करना तो दूर, इस मुद्दे पर ये कह दिया गया है कि ट्रेलर देख कर ये नहीं कहा जा सकता है कि इसमें बाबर का या किसी समुदाय का महिमामंडन हुआ है।
कुल मिलाकर डिज्नी प्लस हॉटस्टार (नोवी डिजिटल एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड) के ग्रीवांस अधिकारी कनिष्क कुमार ने ‘द एम्पायर’ सीरीज को लेकर मिलीं शिकायतों पर किसी प्रकार की सुनवाई या कार्रवाई करने से मना कर दिया है। प्लेटफॉर्म का ऐसा रवैया तब है, जब आईटी रूल्स 2021 के तहत नियुक्त ग्रीवांस अधिकारी को शिकायतें भेजी गईं, जैसा कि नियम बताता है।
अधिकारी ने प्लेटफॉर्म की ओर से साफ कहा है कि उन्होंने सीरीज में बाबर का महिमामंडन नहीं किया और न ही सीरीज में अयोध्या का जिक्र है। शिकायतों पर संज्ञान लेने से इंकार करते हुए ग्रीवांस अधिकारी की ओर से ‘ऑब्जर्वेशन’ के नाम पर कहा गया है कि सिर्फ यूट्यूब पर सीरीज के छोटे-छोटे सीन देख कर ये नहीं कह सकते कि इससे किसी समुदाय की भावनाएँ आहत होंगी।
उल्लेखनीय है कि ‘द एम्पायर’ को देश की सबसे महंगी और ग्रैंड वेब सीरीज बताया जा रहा है। इस फिल्म में शबाना आजमी, कुणाल कपूर, डिनो मोरिया, दृष्टि धामी और राहुल देव प्रमुख भूमिका में नजर आएँगे। 8 एपिसोड की यह सीरीज पाश्चात्य लेखिका एलेक्स रदरफोर्ड की किताब ‘एम्पायर ऑफ द मोगुल: रेडर्स फ्रॉम द नॉर्थ’ पर आधारित है और यह 27 अगस्त को OTT पर रिलीज होने जा रही है।
डिज्नी प्लस हॉटस्टार के यूट्यूब चैनल पर इस सीरीज का ट्रेलर 7 अगस्त 2021 को जारी किया गया था। इसके बाद ही इस पर प्रतिक्रियाएँ आनी शुरू हुईं। नोवी डिजिटल एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के ग्रीवांस अधिकारी कनिष्क कुमार द्वारा जारी बयान में भी उल्लेख किया गया है कि उन्हें 10 अगस्त 2021 को ‘द एम्पायर’ के संबंध में शिकायत वाला ईमेल आया था। इसी के जवाब में उन्होंने शिकायतकर्ता के पक्ष को खारिज करते हुए उसे ‘प्रीमैच्योर’ करार दिया और लिखा कि चाहे फिल्म हो या सीरीज, बिना उसे पूरी देखे राय निर्मित नहीं करनी चाहिए।
ट्रेलर के बाद हुई शिकायतों को खारिज करने का है अधिकार?
दिलचस्प बात यह है कि कंपनी के ग्रीवांस अधिकारी अपने आप इस बात को मान चुके हैं कि अगर कोई शख्स ट्रेलर देख कर शिकायतें करता है तो उन्हें उसे खारिज करने का अधिकार है। अपनी बात को सही साबित करने के लिए उन्होंने ‘ग्रहण’ का उदाहरण दिया है। इसमें बताया गया है कि उन्हें ‘ग्रहण’ सीरीज को लेकर भी ऐसी शिकायतें मिली थीं, लेकिन तब भी यही बात निकल कर आई थी कि छोटे ट्रेलर से धारणा नहीं बनानी चाहिए। इसके बाद उस अपील को प्रीमैच्योर कहकर खारिज कर दिया गया था।
कोर्ट से मिली डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को राहत
उल्लेखनीय है कि इसी साल भारत सरकार ने डिजिटल मीडिया यूजर्स की शिकायतों और उनकी समस्याओं के मद्देनजर नए आईटी रूल्स लागू किए थे। लेकिन कुछ दिन पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरीज और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड के लिए गाइडलाइंस) रूल्स, 2021 के दो प्रावधानों के पालन करने पर रोक लगाकर इन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को राहत प्रदान कर दी। हाईकोर्ट ने नियम 9(1) और 9(3) पर रोक लगाते हुए पाया था कि प्रथम दृष्टतया ये प्रावधान फ्रीडम ऑफ स्पीच के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2002 के मूल प्रावधानों के खिलाफ भी हैं।