गायिका नंचम्मा (Nanchamma) ने फिल्म ‘अयप्पनम कोशियुम’ के लिए 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का अवार्ड जीता है। वह केरल के एक आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। भारतीय लोक गायिका नंचम्मा ने एक्शन एंटरटेनर ‘अय्यप्पनम कोशियुम’ में ‘कलक्कथा’ गाना गाकर मलयाली दर्शकों का दिल जीत लिया था। इस गाने के लिए उन्होंने काफी सराहना बटोरी थी।
यह गीत खुद नंचम्मा ने इरुला भाषा में लिखा था और सची द्वारा निर्देशित फिल्म के लिए जेक बिजॉय ने कंपोज किया था। नंचम्मा को इससे पहले फिल्म ‘अयप्पनम कोशियुम’ के लिए वर्ष 2020 के केरल राज्य फिल्म पुरस्कार में एक विशेष पुरस्कार मिला था।
National Award for Nanjamma ♥ Purely deserved. Finally that laugh 😍 #NationalAward #Nanjamma #Surya #SooraraiPottru #AyyappanumKoshiyum #BijuMenon pic.twitter.com/Gd5SQJdxKJ
— ஹேரி கௌதம் 🛡️ (@HarryGowtham) July 22, 2022
नंचम्मा ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “मैं पुरस्कार जीतकर काफी खुश हूँ, लेकिन यह बेहद दुख की बात है कि वह (फिल्म निर्देशक सची) यह खबर सुनने के लिए हमारे साथ नहीं हैं। उन्होंने ही मुझे गाने के लिए कहा था और मैंने गाया।”
बता दें कि नंचम्मा, सची के निर्देशन वाली फिल्म में कन्नम्मा की माँ के किरदार के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं। इस फिल्म में वह अभिनेता बीजू मेनन द्वारा निभाए गए किरदार अय्यप्पन नायर की पत्नी बनी थीं। बीजू मेनन ने ‘अय्यप्पनम कोशियुम’ फिल्म के लिए 68 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार जीता है।
‘अय्यप्पनम कोशियुम’ फिल्म को चार पुरस्कार मिले हैं। इनमें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक (सची), सहायक अभिनेता (बीजू मेनन), महिला पार्श्व गायिका (नंचम्मा) और स्टंट कोरियोग्राफी- थिंकलाज़्चा निश्चयम का नाम शामिल है।
सेना हेगड़े की छोटे बजट की यह फिल्म ओटीटी पर रिलीज़ हुई थी और दर्शकों को काफी पसंद आई थी। इसे सर्वश्रेष्ठ मलयालम फिल्म का पुरस्कार मिला है। हेगड़े ने इसके लिए दर्शकों का आभार जताया। उन्होंने TNIE से बात करते हुए कहा, “मैं दर्शकों की तरफ से मिल रही प्रतिक्रिया से बेहद खुश हूँ और और अब राष्ट्रीय स्तर पर हमें जो शानदार स्वागत मिल रहा है, उसके लिए मैं बहुत आभारी हूँ।”
फिल्म निर्माता अदूर गोपालकृष्णन ने नंचम्मा को मिले पुरस्कार पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा, “आमतौर पर लोक-गायन को मुख्यधारा के सिनेमा में जगह नहीं मिलती है। यह वाकई में एक दुर्लभ उपलब्धि है।”