Friday, November 8, 2024
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‘ये निहायत ही अश्लील, अभद्र और दूषित भाषा, चैंबर में हेडफोन लगा कर देखना पड़ा’: TVF की ‘कॉलेज रोमांस’ के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया FIR का आदेश

जज ने ये भी कहा कि एक सामान्य बुद्धिमत्ता वाला व्यक्ति इसमें इस्तेमाल की गई भाषा को सुन कर हैरान रह जाएगा, क्योंकि प्रोफेशनल और पारिवारिक जीवन में एक सम्मानजनक भाषा की मर्यादा रखी जाती है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने TVF की वेब सीरीज ‘कॉलेज रोमांस’ को लेकर कहा है कि इसमें इस्तेमाल की गई भाषा अश्लील, दूषित और अभद्र है। साथ ही दिल्ली उच्च-न्यायालय ने ये भी कहा कि इस वेब सीरीज से युवाओं के दिमाग को भ्रष्ट करेगा और उनके चरित्र को खराब करेगा। जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने कहा कि उन्हें अपने चैंबर में हेडफोन लगा कर इस शो को देखना पड़ा, क्योंकि इसमें इतनी गालियाँ बकी गई हैं कि इससे आसपास के लोगों पर भी असर पड़ेगा।

जज ने ये भी कहा कि एक सामान्य बुद्धिमत्ता वाला व्यक्ति इसमें इस्तेमाल की गई भाषा को सुन कर हैरान रह जाएगा, क्योंकि प्रोफेशनल और पारिवारिक जीवन में एक सम्मानजनक भाषा की मर्यादा रखी जाती है। हाईकोर्ट ने नोट किया कि इस देश के नागरिक या युवा इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करते। साथ ही कहा कि इस तरह की भाषा के बारे में ये नहीं कहा जा सकता कि इसका प्रयोग सामान्य है। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में धाराएँ भी तय कीं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि इस शो के निर्देशक सिमरप्रीत सिंह और अभिनेता अपूर्व अरोड़ा के खिलाफ IT एक्ट की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से काम-वासना वाले कंटेंट को प्रसारित करना) और 67A (सेक्सुअली गंदे एक्ट को प्रसारित करना) के तहत मामला तय किया जाए। अदालत ने ACMM जज के आदेश को सही ठहराते हुए 3 आरोपितों के विरुद्ध FIR दर्ज करने का निर्देश दिया। जस्टिस शर्मा ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता के रूप में इस तरह की भाषा नहीं परोसी जा सकती।

ACMM जज ने TVF, सिमरप्रीत सिंह और अपूर्व अरोड़ा के खिलाफ IT एक्ट की धारा-292 (अश्लील किताबें/कंटेंट को बेचना), 294 (सार्वजनिक जगह पर अश्लील गतिविधि) के तहत भी FIR दर्ज करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने इस बात से भी नाराज़गी जताई कि इससे वैश्विक स्तर पर ऐसी छवि बनेगी कि भारत के शैक्षणिक संस्थानों के छात्र और युवा वर्ग इसी तरह की अश्लील और गालियों वाली भाषा का इस्तेमाल करते हैं।

हाईकोर्ट ने कहा, “इस तरह की भाषा की अनुमति देने का अर्थ होगा एक खतरनाक ट्रेंड की शुरुआत करना, जो जनहित के विरुद्ध है। आज इसे सामान्य कॉलेज संस्कृति बताई जा रही है, कल को ये स्कूलों तक फ़ैल जाएगी। कल को गली-मुहल्लों और परिवार में भी इस तरह की भाषा का ोस्टमाल होने लगे तो एक काफी बुरी परिस्थिति होगी। दुनिया भर में नैतिकता का पैमाना अलग-अलग है, लेकिन हमें भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखना होगा।”

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस दौरान ये भी कहा कि ये आदेश देते समय न्यायपालिका को ‘पुराने ख़यालात का’ बताया जा सकता है, लेकिन हमारा मानना है कि काफी पहले से जो भाषा बोली जा रही है, उसका हिस्सा अश्लीलता और अभद्रता को नहीं माना जा सकता। उच्च न्यायालय ने कहा कि हिंदी भाषा का इस तरह के ह्रास समाज के हित में नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि चीजों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया और ये वेब सीरीज सामान्य समाज का आईना नहीं हो सकती।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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