पिछले एक दशक में बॉलीवुड (Bollywood) में काफी बदलाव आया है। खासतौर पर पिछले पाँच वर्षों में हिंदी सिनेमा का कंटेंट जिस तरह से बदला है, वह काबिल-ए-तारीफ है। इंडस्ट्री में लेखन से लेकर अभिनय, एक्शन और फिल्म मेकिंग के तरीकों में तमाम सकारात्मक बदलाव आए हैं। साथ ही मल्टीप्लेक्स की संख्या बढ़ी और दर्शकों का फिल्म को देखने का नजरिया भी बदला है। भारतीय सिनेमा की शुरुआत में जो फिल्में बनीं वो अधिक मसालेदार न होकर समाज का आईना थीं, लेकिन दौर बदला और फिल्मों में मसाला का तड़का लगाया जाने लगा। हालाँकि, एक बार फिर मोदी सरकार (Modi Government) में भारतीय सिनेमा ने करवट ली है और विगत पाँच वर्षों से देश भर में देशभक्ति का माहौल बना हुआ है। हर ओर देशप्रेम झलक रहा है।
बॉलीवुड में हर साल कॉमेडी, रोमांस, ड्रामा, ऐक्शन और थ्रिलर बेस्ट सैकड़ों फिल्में बनाई जाती हैं, लेकिन भारत जैसे देश में जहाँ राष्ट्र ही सर्वोपरि समझा जाता है, वहाँ राष्ट्रवाद और देशप्रेम की भावना से जुड़ी फिल्में काफी पसंद की जाती हैं और यह अच्छा बिजनेस भी करती हैं। वर्ष 2015 के बाद से सिनेमाघरों में रिलीज हुईं राष्ट्रवाद और देशभक्ति से जुड़ी फिल्मों को न केवल दर्शकों का भरपूर प्यार मिला है, बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी उन्होंने ताबड़तोड़ कमाई की।
हाल ही में निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बीच रिलीज हुई ‘बाहुबली’ फिल्म के डायरेक्टर एसएस राजामौली की फिल्म राईज रोअर रिवॉल्ट (RRR) को दर्शकों ने काफी सराहा। फिल्म में राम चरण (Ram Charan) और जूनियर एनटीआर (Jr NTR) मुख्य भूमिका में हैं। यह फिल्म रियल लाइफ के दो हीरो और प्रसिद्ध क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम की जिंदगी पर आधारित है, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत और हैदराबाद के निजाम के से लोहा लिया था। देशभक्ति से लबरेज यह फिल्म दर्शकों को बेहद पसंद आई है, जिसके चलते फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर मात्र दो दिनों में ही 371 करोड़ रुपए की कमाई का आँकड़ा पार कर लिया।
‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झाँसी’
इससे पहले जनवरी 2019 में रिलीज हुई अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की फिल्म ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झाँसी’ (Manikarnika: The Queen of Jhansi) में रानी लक्ष्मीबाई के साहस और शौर्य को बड़े पर्दे पर दिखाया गया था। झाँसी की रानी को अंग्रेजों के सामने सिर झुकाना कभी गवारा नहीं था, इसलिए उन्होंने आखिरी दम तक उनसे जंग जारी रखी। कंगना रनौत ने फिल्म में दमदार एक्टिंग की है। उनकी परफॉर्मेंस दर्शकों को खासा पसंद आई। जैसे झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का रोल उन्हीं के लिए बना था। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
अक्षय कुमार की फिल्म ‘केसरी’
21 मार्च 2019 को अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की फिल्म ‘केसरी’ रिलीज हुई थी। यह फिल्म 12 सितंबर 1897 को भारत के सारागढ़ी में हुए महान युद्ध पर आधारित है। इसमें हवलदार ईशर सिंह सारागढ़ी की लड़ाई में 21 सिखों की एक सेना के साथ 10,000 अफगानों के खिलाफ जंग लड़ते हैं। फिल्म का गाना ‘तेरी मिट्टी में मिल जावां’ के लिए गायक बी प्राक को सर्वश्रेष्ठ प्लेबैक सिंगर के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस गाने को सुनकर आज भी हर देशवासी की आँखें नम हो जाती हैं।
‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’
विक्की कौशल (Vicky Kaushal) की फिल्म ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ वर्ष 2016 में उरी आतंकवादी हमले का जवाब देते हुए भारत ने जो सर्जिकल स्ट्राइक की थी, उस पर आधारित है। इस फिल्म में भारतीय आर्मी अफसर की बहादुरी दिखाई गई है। फिल्म का फेमस डायलॉग, ‘हाउ इज द जोश’ आज भी हर देशवासी में अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना पैदा करता है।
इसके अलावा ‘राजी’, ‘गुंजन सक्सेनाः द कारगिल गर्ल’ ने देशभक्ति के इस दौर में सपनों के पंख लगा कर उड़ने वाली लड़कियों को प्रेरित किया है। इन फिल्मों को दर्शकों ने बेहद पसंद किया है, क्योंकि इन फिल्मों में सच के साथ राष्ट्रवाद और देशप्रेम की भावना को दिखाया गया है। केंद्र की मोदी सरकार ने भी इन फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से किरदार में जान फूँक देने वाले कलाकारों को नेशनल अवॉर्ड देकर प्रोत्साहित किया है। कंगना रनौत को मर्णिकर्णिका के लिए नेशनल अवॉर्ड मिलना यह साबित करता है कि देश में ऐसे कलाकारों को सम्मानित किया जा रहा है, जो देश में राष्ट्रवाद और देशभक्ति की भावना को जोड़ने का काम कर रहे हैं।
यही वजह है कि दर्शकों का मिजाज समझते हुए हिंदी फिल्म इंडस्ट्री अपने कंटेंट का विस्तार कर रहा है। जल्द ही सिनेमाघरों में महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के जीवन पर बनी फिल्म को भी रिलीज किया जाएगा। इसका नाम ‘स्वातंत्र वीर सावरकर’ है, जिसे महेश मांजरेकर ने निर्देशित किया है। इसमें ‘सरबजीत’ फिल्म के अभिनेता रणदीप हुड्डा लीड रोल में होंगे।
सैफ अली खान को 2005 में नेशनल अवॉर्ड
ध्यान दें, यूपीए के शासनकाल के दौरान ‘हम तुम’ जैसी फिल्म के लिए सैफ अली खान को 2005 में नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था, जबकि इस फिल्म की कहानी एक आम लव स्टोरी थी। वहीं, इसी साल डायरेक्टर केतन मेहता की देशभक्ति से ओत-प्रोत फिल्म ‘मंगल पांडे’ रिलीज हुई थी, जो देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम के वीर सिपाही मंगल पांडे के जीवन पर आधारित है। इस फिल्म में मंगल पांडे के भारतीय विद्रोह (1857) में उनकी भूमिका को दिखाया गया है, लेकिन इस फिल्म को कोई अवॉर्ड नहीं दिया गया। जिसके चलते उस समय डायरेक्टर भी ऐसी फिल्में बनाने से कतराते थे।
इसके अलावा उस दौर में मुगलों को राष्ट्र निर्माता बताने वाले कबीर खान जैसे निर्देशक अपनी फिल्मों में पाकिस्तान को शांतिप्रिय देश बताने से भी गुरेज नहीं करते थे। वर्ष 2012 में आई फिल्म ‘एक था टाइगर’ में पाकिस्तान को लेकर जो नजरिया सामने आया था, वह भी पिछले कुछ सालों से बदला है और देश के लोगों को सच्ची घटनाओं से रूबरू करवाया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण आज ‘द कश्मीर फाइल्स’ के रूप में हम सभी के समक्ष है। इस फिल्म में पाकिस्तान कैसे हमारे कश्मीर में बसे मुसलमानों को आतंकवाद के रास्ते पर ले जा रहा है और उन्हें उनके ही देश के खिलाफ तैयार कर अपना हित साध रहा है इसका पूरा सच दिखाया गया है। वहीं, पहले इसी सच को छिपाया जाता था। इसे लोगों के सामने लाने से बचा जाता था।