Sunday, November 17, 2024
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सुनील शेट्टी साहब, एक सेब नहीं, पूरा बागान ही सड़ा हुआ है… मोदी-योगी के सामने रोने से नहीं, खुद को बदलने से होगा काम: हिन्दुओं को बदनाम करना बंद कर दे बॉलीवुड

सुनील शेट्टी का ये कहना बिलकुल जायज है कि कुछ लोगों के गलत काम करने से पूरी की पूरी इंडस्ट्री गलत नहीं हो जाती, लेकिन क्या इस बात को उन्होंने अपने फ़िल्मी साथियों को समझाया?

हाल ही में जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब अपने राज्य के लिए निवेश जुटाने हेतु मुंबई पहुँचे तो उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के लोगों से भी मुलाकात की, जहाँ ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ का मुद्दा भी गूँजा। अभिनेता सुनील शेट्टी ने उनसे गुहार लगाई कि इसे रोका जाए। सीएम योगी ने कई फ़िल्मी हस्तियों से मुलाकात की, ताकि यूपी को फिल्म फ्रेंडली स्टेट बनाया जा सके और वहाँ ज्यादा से ज्यादा फिल्मों व सीरीज की शूटिंग हो। नोएडा में विशाल ‘फिल्म सिटी’ भी बन रही है।

2022 में बॉलीवुड का रहा बुरा हाल, दक्षिण की डब फिल्मों ने किया कमाल

साल 2022 में एक के बाद एक कई फ़िल्में फ्लॉप हुईं। आमिर खान जैसे बड़े अभिनेता की ‘लाल सिंह चड्ढा’ तमाम प्रोमोशंस के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम हो गई। रणबीर कपूर की ‘शमशेरा’ और अक्षय कुमार की ‘सम्राट पृथ्वीराज’ से YRF को जबरदस्त घाटा हुआ। साल का अंत होते-होते रणवीर सिंह की ‘सर्कस’ के पिटने से निर्देशक रोहित शेट्टी का हिट स्ट्रीक भी टूट गया। ऋतिक रोशन-सैफ अली खान की ‘विक्रम वेदा’ और वरुण धवन की ‘भेड़िया’ का भी हाल अच्छा नहीं रहा।

यहाँ हम ‘ब्रह्मास्त्र’ की बात नहीं करेंगे, क्योंकि इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन आज भी संदेह के दायरे में है। खाली थिएटरों और भारी-भरकम बजट के बावजूद इसे फिल्म इंडस्ट्री ने हिट बता डाला। इन फिल्मों के फ्लॉप होने का सबसे बड़ा कारण रहा ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ का ट्रेंड, जो उन्हीं दर्शकों ने चलाया जो कभी सिनेमाघरों में इन फिल्मों का आनंद लेने जाते थे। हालाँकि, दक्षिण भारत की फिल्मों ने लगातार कमाल किया और हिंदी बेल्ट में भी अच्छी कमाई की।

उदाहरण के तौर पर तेलुगु फिल्म ‘RRR’ और कन्नड़ मूवी ‘KGF 2’ को देख लीजिए। दोनों ही फिल्मों ने 1200 करोड़ रुपए के आसपास का कारोबार दुनिया भर में किया। तमिल फ़िल्में ‘विक्रम’ और ‘PS 1’ के अलावा कन्नड़ फिल्म ‘कांतारा’ ने भी 500 करोड़ रुपए के आँकड़े को छुआ। तेलुगु फिल्म ‘कार्तिकेय 2’ भी 120 करोड़ रुपए से अधिक कमा कर सरप्राइज हिट रही। बॉलीवुड में सिर्फ ‘द कश्मीर फाइल्स’ ही बड़ी हिट रही।

कश्मीरी पंडितों के घाटी में नरसंहार पर बनी विवेक अग्निहोत्री निर्देशित इस फिल्म ने दुनिया भर में 350 करोड़ रुपए बटोरे। फिल्म असली इतिहास पर बनी थी, इसने ‘पॉलिटिकली करेक्ट’ होने की जगह सच्चाई दिखाई। जबकि बॉलीवुड की फिल्मों में तो इस्लामी आक्रांताओं का गुणगान होता आया है। ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ के ट्रेंड के पीछे कोई साजिश या संगठन नहीं है, बल्कि लोगों ने खुद इंडस्ट्री की हस्तियों के रवैये को देख कर इसे चलाया।

‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ पर सुनील शेट्टी की चिंता

सुनील शेट्टी ने मुंबई की बैठक में सीएम योगी के सामने कहा, “सब्सिडी की तकलीफ नहीं हो रही है, ऑडिएंस की तकलीफ हो रही है। दर्शकों को सिनेमाघरों में बुलाना बहुत ज़रूरी है। ये एक हैशटैग जो चल रहा है ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ का, आपके कहने से ये रुक भी सकता है। लोगों तक ये पहुँचाना बहुत ज़रूरी है कि हम सब अच्छा काम भी बहुत कर चुके हैं। एक सड़ा हुआ सेब तो हर जगह होता ही है, लेकिन हम सबको आप उसमें नहीं गिन सकते।”

सुनील शेट्टी ने माना कि दर्शकों के बीच ये बात घर कर गई है कि बॉलीवुड या हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का मतलब है कि यहाँ अच्छे लोग नहीं हैं। उन्होंने ‘बॉर्डर’ का उदाहरण देते हुए कहा कि बॉलीवुड में अच्छी फ़िल्में भी बनी हैं। बकौल सुनील शेट्टी, ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ ट्रेंड को रोकने की ज़रूरत है और इस पर मंथन करना होगा कि इसे कैसे हटाया जा सकता है। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे पहले शुक्रवार को थिएटरों के बाहर भीड़ लगती थी तो लोग कहते थे कि ये फिल्म चलेगी।

उन्होंने इस लेबल को हटाने के लिए योगी आदित्यनाथ को नेतृत्व करने की अपील की और कहा कि बॉलीवुड में 99% लोग ऐसे नहीं हैं और सब दिन भर ड्रग्स नहीं लेते। उन्होंने दावा किया कि भारत को दुनिया भर से जोड़ने में भारत की फिल्मों और संगीत का खासा योगदान रहा है। उन्होंने सीएम योगी से ये भी गुहार लगाई कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भी ये बात पहुँचाएँ। बकौल सुनील शेट्टी, बॉलीवुड के अधिकतर लोग अच्छे काम से भी जुड़े हैं।

सुनील शेट्टी का ये कहना बिलकुल जायज है कि कुछ लोगों के गलत काम करने से पूरी की पूरी इंडस्ट्री गलत नहीं हो जाती, लेकिन क्या इस बात को उन्होंने अपने फ़िल्मी साथियों को समझाया? एक अपराध की घटना के बाद पूरा का पूरा भारत फिर बुरा कैसे हो जाता है? कठुआ की घटना के बाद शिल्पा शेट्टी, करीना कपूर, विशाल डडलानी, स्वरा भास्कर, सोनम कपूर, कल्कि कोचलिन और कोंकणा सेन शर्मा जैसे लोग पूरे भारत के लिए ‘I am Hindustan, I am Ashamed’ किए लिख सकते हैं? क्या बॉलीवुड की गंदगी सामने आने पर इन्होंने ‘Bollywood Is Ashamed’ वाला प्लाकार्ड लहराया कभी?

‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ से बचना है तो इंडस्ट्री को खुद पहल करनी होगी, दूसरा कोई कुछ नहीं कर सकता

सुनील शेट्टी ने अगर पहले अपनी ही इंडस्ट्री के लोगों से ये सवाल पूछा होता तो आज ये नौबत ही नहीं आती। बॉलीवुड में ‘रेप कल्चर’ का महिमामंडन, मुस्लिम अपराधियों को हिन्दू बना देना, इस्लामी आक्रांताओं का गुणगान करना, ब्राह्मण को जोकर, बनिया को सूदखोर और ठाकुरों को बलात्कारी बताना, हिन्दुवादिओं को गुंडा दिखाना – ये सब कई दशकों से चला आ रहा था तब किसी ने सवाल क्यों नहीं उठाए? इंडस्ट्री अब भी बच सकती है, बस ये बदलाव करे:

  1. इस्लामी आक्रांताओं का महिमामंडन करना बंद कीजिए: कभी मुगलों का गुणगान तो कभी मुस्लिम गुंडों का जायज बताना – बॉलीवुड को ये बंद करना पड़ेगा। साथ ही जिस ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती को अजमेर में गरीब हिन्दुओं का धर्मांतरण कर पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ माहौल बनाने के लिए भेजा गया था, जिसके शागिर्दों ने मंदिर में गाय काटी, जिसके वंशजों ने कई लड़कियों का बलात्कार किया और जिस दरगाह से कन्हैया लाल के हत्यारों के तार जुड़े – वहाँ मत्था टेकना बंद करना पड़ेगा।
  2. हिन्दुओं को बदनाम करना बंद कीजिए: अब तक न जाने कितनी ही फिल्मों में हमने ‘Hindu Goons’ वाल कॉन्सेप्ट देखा होगा। यानी, मारपीट करने वालों को भगवा कपड़े पहना दो। मेन विलेन को भगवान का भक्त बताओ, आरती-पूजा करते दिखाओ और हीरो को ‘सेक्युलर’, जो 786 में विश्वास रखता हो और मंदिर जाना उसे आधुनिक न लगता हो। रामनामी कपड़ों में अश्लील डांस भी इसका एक उदाहरण है। पंडितों-बनियों को एक खास प्रकार के रोल में दिखाना इसका उदाहरण है।
  3. भारतीय संस्कृति और परंपरा को प्रमोट कीजिए: दक्षिण भारत की फिल्मों में अक्सर वहाँ की परंपरा और संस्कृति को आगे बढ़ाया जाता है, जबकि बॉलीवुड विदेशी चीजों के प्रति लोगों में आकर्षण पैदा करता है और हमेशा दिखाता है कि हमारी स्थानीय चीजें महत्व विहीन हैं। क्या मंदिरों, ऋषि-मुनियों, हमारे समृद्ध इतिहास और परंपराओं की बातें करना हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का काम नहीं? लेकिन नहीं, ये लोग उनके प्रति हीन भावनाएँ पैदा करते हैं।
  4. अति-आत्मविश्वास में लोगों को अपने जूते के नीचे समझना खत्म करें बॉलीवुड वाले: करीना कपूर कहती हैं कि जिन्हें नहीं देखना है वो उनकी फ़िल्में न देखें। इसी तरह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से घमंड भरे बयान आते रहते हैं, जिससे ऐसा लगता है कि जनता उनके जूतों के तले में रहती है। दक्षिण भारत में रजनीकांत, चिरंजीवी, मोहनलाल या शिवा राजकुमार जैसे अभिनेताओं से उन्हें सीखना चाहिए कि विनम्र कैसे रहा जाता है, बड़ी फैन फॉलोविंग के बावजूद।
  5. नेपोटिज्म को खत्म कर के सुदूर इलाकों की प्रतिभाओं को भी मौका मिले: सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद सामने आया कि किस कदर यूपी-बिहार की प्रतिभाओं के साथ हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अन्याय होता है। आज के अधिकतर बड़े अभिनेता-अभिनेत्री किसी न किसी फ़िल्मी खानदान से ताल्लुक रखते हैं। अगर आप बाहरी प्रतिभाओं की कदर नहीं कीजिएगा तो आपका मिटना तय है। भारत एक विशाल देश है और फिल्म इंडस्ट्री सबकी है, चंद लोग इसे अपनी बपौती नहीं समझ सकते।

इस तरह, बॉलीवुड खुद इन 5 मुख्य चीजों का ध्यान रख कर खुद को बचा सकता है। ऐसे में उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने गिड़गिड़ाना नहीं पड़ेगा। बॉलीवुड को अगर कोई बचा सकता है तो वो है बॉलीवुड। अगर किसी ने इंडस्ट्री में गलत किया है तो बाकियों के पास साहस भी होना चाहिए गलत को गलत बोलने का। सुनील शेट्टी जाकर अपने उन साथियों से पूछे – ‘भारत में किसी अपराध के होने पर भारतीय होने में शर्म आती है तो बॉलीवुड के कारनामों पर कभी बॉलीवुड से होने में शर्म क्यों नहीं आती?’

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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