दक्षिण भारत के अभिनेता विक्रम ने भारत के प्राचीन इतिहास और सांस्कृतिक गौरव को लेकर बात की है। चोल साम्राज्य पर आ रही फिल्म ‘PS-1’ को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में तमिल अभिनेता ने कहा कि सभी की अलग-अलग रुचि होती है और वो विज्ञान, भूगोल या ज्योतिष कुछ भी हो सकता है, लेकिन उनकी नज़र में इतिहास सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि कैसे हम सबने बचपन से ही इतिहास की कहानियाँ सुनी हैं।
उदाहरण के लिए विक्रम ने हिंदी में ‘चंदा मामा’ का नाम लिया और कहा कि तमिल में भी ऐसी कहानियाँ हैं। उन्होंने कहा कि हमारा इतिहास खासा समृद्ध था और हमारे राजा-महाराजा भी वीर थे। उन्होंने बताया कि वो एक चीज की तरफ सबका ध्यान खींचना चाहते हैं। बकौल विक्रम, सभी ये बातें करते हैं कि मिस्र के पिरामिडों को कैसे बनाया गया और उस जमाने में उन्हें बनाना कैसे संभव हुआ। लेकिन, उन्होंने इस पर अफ़सोस जताया कि भारत में मंदिरों को कैसे बनाया गया इस पर कोई बात नहीं करता।
विक्रम ने बताया, “तंजावुर के मंदिर का गोपुरम सबसे ऊँचा है। ये चोल साम्राज्य का सांस्कृतिक गढ़ है और राजराज चोल ने इसे बनवाया था। इसके सबसे ऊपर जो पत्थर लगा हुआ है, उस एक पत्थर का वजन 80 टन है। इसके बारे में कोई बात नहीं करता कि ये कैसे बना, लेकिन सब पिरामिडों की बात करते हैं। हम गिरती हुई इमारतों की प्रशंसा करते हैं, लेकिन उन मंदिरों पर बात नहीं करते जिन्होंने प्लास्टर के बिना ही निर्माण कर लिया।”
उन्होंने बताया कि हाथियों, बैल और इंसानों का इस्तेमाल कर के 6 किलोमीटर लंबे रैंप का निर्माण किया गया, उस ज़माने में बिना किसी मशीन का इस्तेमाल कर के इसे संभव किया गया। उन्होंने बताया कि ये निर्माण 6 भूकंपों को बर्दाश्त कर के भी खड़ा रहता है। उन्होंने उस तकनीकी संरचना के बारे में समझाया, जिससे ये संभव हुआ। उन्होंने बताया कि उस ज़माने में 5000 से अधिक बाँध बनवाए और उनके मंत्रिमंडल में जल प्रबंधन को लेकर एक अलग मंत्री था।
विक्रम ने याद दिलाया कि कैसे इन राजाओं ने महिलाओं के नाम पर नगर बसाए। उन्होंने बताया कि इन राजाओं ने मुफ्त अस्पताल बनवाए और ऋण देकर लोगों की मदद की। ये सब नौवीं शताब्दी में हुआ, जब हम सबसे बड़ी नौसेना थे और उस समय पश्चिम के सुपरपॉवर क्या कर रहे थे? उन्होंने बताया कि इसके 500 वर्षों बाद अमेरिका को कोलंबस ने खोजा। यूरोप में अंधकार था। विक्रम ने कहा कि पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण का भेद भुला कर ये भारत का इतिहास है, जिस पर हमें गर्व होना चाहिए।