Wednesday, July 3, 2024
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4 युवाओं की आँखों को रोशनी दे गए पुनीत राजकुमार, 3 लड़का और एक लड़की को किया गया ट्रांसप्लांट: माता-पिता ने भी किया था नेत्रदान

1994 में जब डॉक्टर राजकुमार ने इस 'आई बैंक' की स्थापना की थी, तभी उन्होंने अपने पूरे परिवार द्वारा नेत्रदान किए जाने की बात बताई थी। चारों मरीज कर्नाटक के ही हैं। 30 अक्टूबर को ये प्रक्रिया पूरी की गई।

कन्नड़ अभिनेता पुनीत राजकुमार के निधन के बाद पूरा कर्नाटक शोक में डूबा हुआ हैं और देश के अलग-अलग हिस्सों से उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। कन्नड़ सिनेमा के दिवंगत अभिनेता डॉक्टर राजकुमार के बेटे पुनीत राजकुमार सिर्फ एक अच्छे अभिनेता ही नहीं थे, बल्कि समाज सेवा में भी सक्रिय रहते थे। 29 फिल्मों में लीड रोल कर चुके पुनीत राजकुमार का सामना कैमरे से बचपन से ही होता रहा है। उन्होंने नेत्रदान किया था। जाते-जाते भी वो 4 लोगों की आँखों को रोशनी दे गए।

पुनीत राजकुमार के निधन के बाद 4 युवाओं को दूसरा जीवन मिला है। इनमें 3 लड़के और एक लड़की है। ‘नारायणा नेत्रालय’ में ट्रांसप्लांट सर्जरी के जरिए इन्हें नई आँखें मिलीं। पुनीत राजकुमार नेत्रदान करने वाले अपने परिवार के तीसरे व्यक्ति हैं। इससे पहले 2006 में उनके पिता डॉक्टर राजकुमार और 2017 में उनकी माँ पर्वथाम्मा ने नेत्रदान किया था। 46 वर्षीय पुनात राजकुमार को कर्नाटक में फैंस प्यार से ‘अप्पू’ और ‘पॉवर स्टार’ कहते थे। शुक्रवार (29 अक्टूबर, 2021) को हार्ट अटैक की वजह से उनका निधन हो गया था।

उनके निधन के बाद उनके भाई राघवेंद्र ने ‘नारायणा नेत्रालय’ द्वारा चलाए जाने वाले ‘डॉक्टर राजकुमार आई बैंक’ को कॉल किया। वहाँ से मेडिकल टीम ने आकर बाकी की प्रक्रिया पूरी की। उनके प्रत्येक आँख से 2 मरीजों का इलाज हुआ। आँख की कॉर्निया के सुपीरियर और डीपर लेयर्स को अलग-अलग किया गया। दो मरीजों को सुपरफिशियल कोरोनल डिजीज था, जिन्हें सुपीरियर लेयर लगाया गया। दो अन्य मरीज एंडोथेलिअल डीप कोरोनल डिजीज से पीड़ित थे, जिन्हें डीपर लेयर की जरूरत पड़ी।

‘नारायणा नेत्रालय’ के अध्यक्ष डॉक्टर भुजंग शेट्टी ने बताया कि चारों मरीजों की उम्र 20-30 वर्ष के बीच थी। 5 डॉक्टरों की टीम ने ट्रांसप्लांट का कार्य पूरा किया। उन्होंने बताया कि सामान्यतः किसी मृतक की दो कॉर्निया को दो कोरोनल ब्लाइंड व्यक्तियों के इलाज के लिए होता है, लेकिन पुनीत राजकुमार की आँखों का इस्तेमाल 4 मरीजों के लिए किया गया। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण नेत्रदान ठप्प पड़ा हुआ था, जिस कारण ये चारों पिछले 6 महीने से अस्पताल की वेटिंग लिस्ट में थे।

एक महीने में इस तरह की 200 ट्रांसप्लांट प्रक्रियाएँ ही पूरी की जा रही हैं। 1994 में जब डॉक्टर राजकुमार ने इस ‘आई बैंक’ की स्थापना की थी, तभी उन्होंने अपने पूरे परिवार द्वारा नेत्रदान किए जाने की बात बताई थी। चारों मरीज कर्नाटक के ही हैं। 30 अक्टूबर को ये प्रक्रिया पूरी की गई। विशेषज्ञों के बताया कि इसके लिए Lamellar Keratoplasty’ नामक प्रक्रिया की दो अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल किया गया। ये हैं Deep Anterior Lamellar Keratoplasty (DALK) और Descemet’s Stripping Endothelial Keratoplasty (DSEK), जिससे चारों की आँखों का इलाज हुआ।

जब देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था, तब उन्होंने 50 लाख रुपये सहयोग के तौर पर कर्नाटक सरकार को दान किए थे। पुनीत 26 अनाथ आश्रम और 16 वृद्ध आश्रम के साथ-साथ 19 गौशाला के संचालन में भी सहयोग करते थे। कुछ ही समय पूर्व दिए गए अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वो गानों से मिला पैसा इन कामों के लिए दे देते हैं। पुनीत कई कन्नड़ भाषी स्कूलों को भी चलाने में सहयोग करते थे। 2019 बाढ़ के दौरान उन्होंने 5 लाख रुपए का सहयोग किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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