Sunday, November 17, 2024
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फिल्म नहीं ‘भाई पोर्न’ है: 10 मिनट का मसाला है सलमान खान की ‘राधे’, बेकार कर दिए 2 घंटे

एक दृश्य में सलमान खान फोटोशूट के लिए अपने कपड़े उतारते हैं और उनकी 'बॉडी' देख कर आसपास के लोग पागल होने लगते हैं। दावा तो ये भी किया जा रहा है कि इसमें सलमान खान का कम और VFX एडिटिंग व कैमरा का कमाल ज्यादा है।

जैसा कि कई वर्षों से होता आ रहा है, इस साल भी ईद पर सलमान खान की फिल्म आई। फिल्म का नाम है – ‘राधे – योर मोस्ट वॉन्टेड भाई’। ‘राधे’ नाम सलमान खान के लिए नया नहीं है क्योंकि वो इसी नाम का किरदार ‘तेरे नाम (2003) और ‘वॉन्टेड (2009)’ में निभा चुके हैं। लेकिन, सलमान खान की उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनकी नई फिल्म देखने पर दर्शकों को होने वाला टॉर्चर बढ़ता ही जा रहा है।

‘राधे’ एक ऐसी फिल्म है, जिसमें किसी भी किरदार को लेकर आपके मन में शंका उठ सकती है कि आखिर ये इस फिल्म में मौजूद है ही क्यों? इस फिल्म पर प्रभु देवा की छाप कम और सलमान खान का हस्तक्षेप ज्यादा दिखता है। अगर सारे फालतू दृश्यों को हटा दें तो ये फिल्म मात्र 10 मिनट में निपटाई जा सकती है। ये समझ से परे है कि जो चीज 10 मिनट में दिखाई जा सकती थी, उसे 2 घंटे में क्यों दिखाया गया?

आई, एक-एक कर फिल्म के किरदारों की बात करते हैं। सबसे पहले बात सलमान खान की। 55 की उम्र में 28 साल की दिशा पटानी के साथ रोमांस करते दिखे सलमान खान की इस फिल्म में पुलिस अधिकारी के रूप में एंट्री होती है, जो पुलिस कम और किसी गली का आवारा लड़का ज्यादा लगता है। हेयरस्टाइल ऐसा डाला गया है जैसे वो युवा लगें। अधिकतर दृश्य जबरदस्त क्रिएट किए गए हैं, जो दक्षिण की फिल्मों में इससे बेहतर ढंग से फिल्माए जाते हैं और अच्छे भी लगते हैं।

एक दृश्य में सलमान खान फोटोशूट के लिए अपने कपड़े उतारते हैं और उनकी ‘बॉडी’ देख कर आसपास के लोग पागल होने लगते हैं। दावा तो ये भी किया जा रहा है कि इसमें सलमान खान का कम और VFX एडिटिंग व कैमरा का कमाल ज्यादा है। वॉन्टेड के डायलॉग्स दोहरा कर ‘डेजा वु’ की कोशिश नाकाम रही है। एक दृश्य में तो हद ही हो जाती है जब सलमान खान घायल होने की ‘एक्टिंग’ करते हैं।

उनका किरदार कहीं सीधे नहीं जाता बल्कि शीशे फोड़ कर एंट्री लेता है। यहाँ तक कि उनकी एंट्री वाले दृश्य को फिर से स्लो कर के दिखाया जाता है, जो किसी टॉर्चर से कम नहीं है। जब विलेन उन्हें डंडे से मारता है तो टन-टन की ऐसी आवाज़ आती है, जैसे वो लोहे के बने हों। बीच-बीच में फिजूल के गाने हैं। गंभीर परिस्थिति में ‘सीटी मार’ गाना आ धमकता है। गानों में सलमान स्टेप्स करने की कोशिश भी करते हैं।

दूसरा किरदार है जैकी श्रॉफ का, जो राधे के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी होते हैं। फिल्म में वो कहीं लड़की वाले कपड़े पहन कर सलमान खान के साथ डांस कर रहे होते हैं तो कहीं शराब पी कर उलूलजलूल बकते रहते हैं। फिल्म की हीरोइन उनकी बहन ही होती है, जिसका एक ही काम है और वो है जहाँ-जहाँ हीरो से राह में टकरा जाना। अन्य जितने भी किरदार हैं, वो क्यों हैं यही समझ में नहीं आता।

फिल्म में न एक्शन है और न ही कॉमेडी, जबकि इन्हीं दोनों के नाम पर इसे बेचा जा रहा है। 2 साल बाद किसी अभिनेता की फिल्म आए और वो इस तरह से बनाई जाए तो समझ से परे है कि फिल्मिंग के दौरान हो क्या रहा था। फिल्म में एक ही किरदार ढंग से लिखा गया है और वो है रणदीप हुड्डा का। एक खतरनाक विलेन के रूप में उन्हें जहाँ-तहाँ घुस कर खून करते हुए दिखाया गया है और इस किरदार का बिल्डअप ठीक है।

फिल्म में महिलाओं का चित्रण बेकार है। दिशा पटानी को केवल फैंसी ड्रेस दिखाने के लिए रखा गया है। एक महिला पुलिसकर्मी को काफी ‘कमजोर’ दिखाया गया है। हाँ, फिल्म में ड्रग्स और युवाओं को दिखा कर, उनके मोटिवेशन की बातें कर के ‘Gen X’ का ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश की गई है। शायद सलमान खान को लगा हो कि युवाओं और स्कूली बच्चों को दिखाने से वो उनके फैन बन जाएँगे।

ये चौंकाने वाली बात है कि ‘राधे’ भी ऑनलाइन लीक हो गई थी और पाइरेसी के कारण सलमान खान को चेतावनी तक जारी करनी पड़ी। आखिर कौन लोग हैं जो इस फिल्म को देखने के लिए इसे लीक करा रहे हैं? उन्हें जेल नहीं, मुआवजा मिलना चाहिए क्योंकि फिल्म देखने के बाद वो भी इस स्थिति में नहीं होंगे कि जेल भी जा सकें। ये फिल्म खुद एक प्रकार की सज़ा है। जैसा कि ‘Mashable India’ में समीक्षक सुश्री साहू ने लिखा है, ये सिर्फ और सिर्फ एक ‘भाईजान पोर्न’ है।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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