Sunday, November 17, 2024
Homeविविध विषयमनोरंजन'संजय दत्त अपराधी नहीं, उसे फँसाया गया था': 1993 ब्लास्ट के 29 साल बाद...

‘संजय दत्त अपराधी नहीं, उसे फँसाया गया था’: 1993 ब्लास्ट के 29 साल बाद बोले सुभाष घई – मुझे पता था चोली के पीछे क्या है

संजय दत्त को पहली बार अप्रैल 1993 में गिरफ्तार किया गया था और उनकी फिल्म 'खलनायक' को उसी साल 15 जून को रिलीज किया गया था। संजय ने फिल्म में एक वॉन्टेड अपराधी की भूमिका निभाई थी।

1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में संजय दत्त (Sanjay Dutt) की गिरफ्तारी के 29 साल बाद डायरेक्टर सुभाष घई (Subhash Ghai) ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह जानते थे कि संजय दत्त कोई क्रिमिनल नहीं था। वह निर्दोष था, उसे केवल फँसाया गया था। मनोरंजन वेबसाइट बॉलीवुड हंगामा ने उन्हें कोट करते हुए लिखा, “मैं संजय दत्त को बचपन से जानता था। मैंने वर्ष 1982 में आई संजय की फिल्म ‘विधाता’ का निर्देशन किया। फिर 10 साल बाद मैंने उन्हें ‘खलनायक’ के लिए कास्ट किया। मैं उन्हें बहुत करीब से जानता था। जब संजय को गिरफ्तार किया गया तो मैं यह जानता था कि वह निर्दोष हैं, उसे केवल फँसाया गया है। वह अपराधी नहीं हैं।”

उसी समय संजय दत्त की फिल्म ‘खलनायक‘ भी रिलीज हुई थी। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता हासिल कर थी। सुभाष ने कहा कि संजय जिस बुरे दौर से गुजर रहे थे, उसका इस्तेमाल करना मेरे उसूलों के खिलाफ था। उन्होंने खुलासा किया कि मैंने ‘खलनायक’ (Khalnayak) के प्रमोशन पर एक भी पैसा खर्च नहीं किया। एक सवाल के जवाब में घई ने कहा कि उन्होंने कभी भी ‘खलनायक’ के प्रचार के लिए संजय के कानूनी विवाद का इस्तेमाल नहीं किया।

संजय दत्त को पहली बार अप्रैल 1993 में गिरफ्तार किया गया था और उनकी फिल्म ‘खलनायक’ को उसी साल 15 जून को रिलीज किया गया था। संजय ने फिल्म में एक वॉन्टेड अपराधी की भूमिका निभाई थी। घई ने कहा कि फिल्म में दत्त की मौजूदगी के कारण काफी कॉन्ट्रोनर्सी हुई। उन्होंने कहा, “चोली के पीछे गाने को लेकर इतना बवाल हुआ, 32 पोलिटिकल यूनिट्स मेरे खिलाफ हो गए, कोर्ट केस हो गए, लेकिन मैं खामोश रहा। मुझे पता था कि मैंने कौन सी फिल्म बनाई है। मुझे पता था कि संजय दत्त क्या हैं, मुझे पता था कि चोली के पीछे क्या है।”

उन्होंने आगे बताया कि मैंने सबसे कम प्रमोशन अपनी इस फिल्म के लिए किया था, क्योंकि ‘खलनायक’ उन दिनों संजय की वजह से खासा सुर्खियों में थी। सब जगह उसके चर्चे थे। मैंने बस लोगों को इंफॉर्म किया था कि इस दिन फिल्म थिएटर में लग रही है। इसका अलावा मैंने कुछ नहीं किया।

बता दें कि संजय को वर्ष 2006 में टाडा अदालत द्वारा आर्म्स एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने उन्हें 9 एमएम पिस्तौल और एके-56 राइफल रखने का दोषी पाया था। उन्होंने 2007 में कुछ दिन जेल में बिताए, लेकिन तीन सप्ताह से भी कम समय में उन्हें जमानत मिल गई। इसके बाद वह 2013 से 2016 तक जेल में रहे थे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

PM मोदी ने कार्यकर्ताओं से बातचीत में दिया जीत का ‘महामंत्र’, बताया कैसे फतह होगा महाराष्ट्र का किला: लोगों से संवाद से लेकर बूथ...

पीएम नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के कार्यकर्ताओं से बातचीत की और उनको चुनाव को लेकर निर्देश दिए हैं।

‘पिता का सिर तेजाब से जलाया, सदमे में आई माँ ने किया था आत्महत्या का प्रयास’: गोधरा दंगों के पीड़ित ने बताई आपबीती

गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने और 59 हिंदू तीर्थयात्रियों के नरसंहार के 22 वर्षों बाद एक पीड़ित ने अपनी आपबीती कैमरे पर सुनाई है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -