पिछले कई साल से सोशल मीडिया पर गणेश चतुर्थी की बधाई देने के बाद कट्टरपंथियों के निशाने पर आने वाले अभिनेता शाहरुख खान ने इस वर्ष अपने फैन्स को इस त्योहार की बधाई नहीं दी। इससे पहले तक उन्हें हर बार कट्टरपंथियों ने हिंदू त्योहारों पर कहा था कि शाहरुख को मुसलमान होने के नाते हिंदू देवी-देवताओं को नहीं पूजना चाहिए।
2018 में शाहरुख खान ने अपने बेटे अबराम खान की एक तस्वीर शेयर की थी। इसमें वह गणेश मूर्ति के आगे हाथ जोड़ कर खड़ा था। तस्वीर बेहद प्यारी थी, जिसके जरिए शाहरुख खान बता रहे थे कि अबराम गणपति बप्पा को ‘पप्पा’ कहता है। मगर, इस फोटो के लिए इस्लामियों ने उन्हें ट्रोल किया और कहा कि सच्चा मुसलमान वो है जो अल्लाह के सिवा किसी पर विश्वास न करे।
एक ट्विटर यूजर ने तो यह नजारा देखने के बाद मोहम्मद अली जिन्ना को पाकिस्तान बनाने के लिए शुक्रिया कहा। उसका तर्क था कि अच्छा हुआ पाकिस्तान बन गया वरना भारतीय मुस्लिमों को भारत सरकार को खुश रखने के लिए हिंदू देवताओं की प्रार्थना करनी होती है।
साल 2019 में दोबारा यही चीज देखने को मिली, जब अभिनेता ने गणेश चतुर्थी की बधाइयाँ दीं। उस समय कट्टरपंथियों ने शाहरुख खान को ‘जहान्नुम मुबारक’ कहा। साथ ही साथ समझाया कि शाहरुख की बीवी अगर हिंदू है तो वो ये सब कर ले, मगर कम से कम उनको मूर्ति पूजन नहीं करना चाहिए। नाम के ही सही लेकिन हैं तो मुस्लिम हीं।
इसके अतिरिक्त उन्हें काफिर और न जाने क्या-क्या कहा गया। कुछ पाकिस्तानियों ने तो ये भी कहा कि पूजा करना जरूरी है अगर हिंदू बहुल देश में रहना चाहते हो।
यही सिलसिला 2020 में भी जारी रहा। हालाँकि, उस वक्त शाहरुख खान ने गणपति बप्पा की तस्वीर शेयर करने की जगह अपनी फोटो शेयर कर दी। इसमें उन्होंने तिलक लगाया हुआ था। ये चीज भी कट्टरपंथियों से नहीं देखी गई। गणेशोत्सव को लेकर कहा गया कि ये शिर्क़ है और मूर्ति पूजा पाप है।
उल्लेखनीय है कि ये बात केवल गणेश चतुर्थी की ही नहीं है। शाहरुख खान अपनी और अपने परिवार की कई तस्वीरें विभिन्न त्योहारों पर शेयर करते रहते हैं। ऐसे में हर बार ये गाली-गलौच का क्रम जारी दिखता है। शायद यही वजह है कि इस दफा शाहरुख खान अपने घर में शांति से गणेश चतुर्थी मना रहे हैं और ऐसी नकारात्मक बातों से अपने और अपने परिवार को दूर रख रहे हैं।