भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट कहे जाने वाले पृथ्वीराज चौहान के सम्मान में अब भारत सरकार ने कदम उठाया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) दिल्ली में उनके नाम पर संग्रहालय बनाने जा रहा है। बता दें कि वो दिल्ली से ही शासन किया करते थे। किला राय पिथौरा में ये संग्रहालय बनाया जाएगा। किले में पहले से बनी इमारत का विस्तार करते हुए इसके निर्माण के लिए योजना तैयार कर ली गई है। ये संग्रहालय मुख्य रूप से सम्राट पृथ्वीराज चौहान को समर्पित होगा।
‘दैनिक जागरण’ में प्रकाशित मंगल यादव और वीके शुक्ला की खबर के अनुसार, ASI ने अपने अधिकारियों को निर्देश जारी किया है कि जहाँ कहीं भी पृथ्वीराज चौहान से सम्बंधित दस्तावेज हों, या फिर कोई सामग्री हो- उन्हें एकत्रित किया जाए, ताकि संग्रहालय में रखा जा सके। अगले एक वर्ष में इस संग्रहालय के तैयार हो जाने की सम्भावना है। जगमोहन के केंद्रीय शहरी विकास मंत्री के कार्यकाल में किला राय पिथौरा का कायाकल्प किया गया था।
पहले यह एक उपेक्षित टीले की तरह था, जहाँ आसपास काफी सारी झुग्गियाँ थीं। दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को सक्रिय करते हुए जगमोहन ने यहाँ गन्दगी हटा कर इलाके के विकास के लिए कार्य किया। उन्होंने केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री बनने के बाद न सिर्फ इस क्षेत्र को संरक्षित घोषित किया, बल्कि खुदाई की भी व्यवस्था की। यहाँ संरक्षण केंद्र भवन का निर्माण हुआ, जहाँ पृथ्वीराज चौहान की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई।
एक शहर के अंदर होते हैं कई शहर!
— Anand Pradhan (@apradhan1968) October 26, 2019
कहते हैं कि दिल्ली कई बार बसी और कई बार उजड़ी..यह पहली #दिल्ली के भग्नावशेष हैं।इस क़िला राय पिथौरा को तोमर और चौहान वंश के राजाओं ने बसाया था। pic.twitter.com/MIFiIUWuze
अब इस संरक्षण केंद्र का विस्तार किया जा रहा है। प्रदूषण के कारण इस पर रोक लगी हुई थी, लेकिन अब इसके आसपास हरा-भरा और सुंदर पार्क विकसित किया जाएगा। 2002 में ही इस पार्क को DDA ने ASI को सौंप दिया था। जगमोहन ने अपनी पुस्तक में बताया है कि किस तरह दिल्ली के राजसिंहासन पर बैठने वाले चौहान ने लालकोट का विस्तार करते हुए एक विशाल किला बनाया। यहाँ कई मंदिर भी थे, जिसे इस्लामी आक्रांताओं ने ध्वस्त कर दिया।
कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद के लिए मुख्यतः इन्हीं ध्वस्त मंदिरों के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था। कुतुबुद्दीन तथा इल्तुतमिश ने राय पिथौरा के दुर्ग को ही अपना निवास स्थान बनाया और अमीर खुसरो ने भी अनंगपाल महल का वर्णन किया है। किला राय पिथौरा दिल्ली के 7 शहरों में प्रथम है और इसका निर्माण 12वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुआ था। राय पिथौरा की दिल्ली के 12 दरवाजे हुआ करते थे।
ज्ञात हो कि मोईनुद्दीन चिश्ती, शाह जलाल और औलिया जैसे सूफी ‘काफिरों’ के खिलाफ जिहाद छेड़ने के लिए भारत आए थे। उदाहरण के लिए- मोइनुद्दीन चिश्ती, मुइज़-दीन मुहम्मद ग़ोरी की सेना के साथ भारत आए और गोरी द्वारा अजमेर को जीतने से पहले वहाँ गोरी की तरफ से अजमेर के राजा पृथ्वीराज चौहान की जासूसी करने के लिए अजमेर में बस गए थे। यहाँ उन्होंने पुष्कर झील के पास अपने ठिकाने स्थापित किए थे। कई बार हारने के बाद गोरी ने चौहान को हरा दिया था।