YouTube चैनल ‘आज की तजा खबर (AKTK)’ ने एक डॉक्यूमेंट्री के जरिए ‘स्वस्तिक’ चिह्न को लेकर चले आ रहे प्रोपेगंडा की पोल खोली है। डॉक्यूमेंट्री की शुरुआत में ही बताया गया है कि किस तरह जुलाई 2020 में अमेरिका में ब्रैंडिस यूनिवर्सिटी की तत्कालीन छात्र संघ प्रमुख सिमरन टाटस्कर ने जब ‘स्वस्तिक’ को सिलेबस का हिस्सा बनाने की माँग की तो उन्हें माफ़ी माँगने को मजबूर होना पड़ा और इसी तरह ‘जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी’ ने ‘स्वस्तिक’ प्रतीक चिह्न को प्रतिबंधित कर दिया।
इसी तरह अमेरिका में बार-बार ‘स्वस्तिक’ से घृणा के कारण इसे प्रतिबंधित करने की माँग की गई, जबकि हिन्दू संगठन इसका विरोध करते रहे। इस डॉक्यूमेंट्री में पश्चिमी मीडिया के इस नैरेटिव का पोस्टमॉर्टम किया है, जिसमें वो ‘स्वस्तिक’ को नाज़ी जर्मन तानाशाह हिटलर और उसके कत्लेआम से जोड़ कर देखते हैं। डॉक्यूमेंट्री में ‘शांति के चिह्न’ को ‘शैतान का प्रतीक’ बनाने वालों की पोल खोलते हुए इसका जवाब दिया गया है कि क्या सचमुच हिटलर ने जिस चिह्न का उपयोग किया, वो ‘स्वस्तिक’ ही था?
बता दें कि ‘आज की ताज़ा खबर (AKTK)’ YouTube चैनल के 10.8 लाख सब्सक्राइबर्स हैं। चैनल का संचालन करने वाले गर्वित और अनुज सोशल मीडिया में एक जाना-पहचाना नाम हैं, जो अक्सर YouTube वीडियोज में सनातन धर्म और देश के समर्थन में कंटेंट्स के साथ उपस्थित होते हैं। इस बार भी उन्होंने कमाल का काम किया है और ऐतिहासिक तथ्यों, विशेषज्ञों की राय, पुस्तकों के कंटेंट्स और अन्य साक्ष्यों के सहारे से एक ऐसे नैरेटिव को ध्वस्त किया है, जिसे हिन्दू धर्म को बदनाम करने के लिए लाया गया था।
हिटलर के सारे भाषणों और वक्तव्यों की ख़ाक छान कर काफी रिसर्च भी किया गया है। बताया गया है कि हिटलर ने कैसे हिन्दुओं को एक ‘नीची नस्ल’ बताते हुए इसके स्वाधीनता आंदोलन के समर्थन का विरोध किया था। वो ‘नॉर्डिक नस्ल’ को धरती के शासन का अधिकारी मानता था और भारत की आज़ादी की संभावना को यूरोप के लिए बुरा संकेत बताता था। वो भारतीय नस्ल को ब्रिटिश से नीचा बताता था। साथ ही वो 50,000 सैनिकों से बैठें द्वारा 40 करोड़ भारतीयों पर राज करने पर गर्व करता था।
Please watch "the Silence of Swastika" immediately if you have not already https://t.co/RkwaW6NpPw pic.twitter.com/p16wlyVKUo
— Aaj Ki Taza Khabar (youtube channel) (@AKTKadmin) December 31, 2021
इस डॉक्यूमेंट्री में विशेषज्ञों की राय ली गई है और बताया गया है कि किस तरह हिटलर भारत की ब्रिटिश गुलामी का पक्षधर था। ऐसे में सवाल पूछा गया है कि क्या एक ‘नीची नस्ल’ के प्रतीक चिह्न को हिटलर जैसा दंभी कैसे अपना सकता है? उसकी आत्मकथा का अध्ययन कर के जानकारी दी गई है कि ‘Hakenkreuz’ शब्द का हिटलर ने कई बार प्रयोग किया है और गूगल ट्रांसलेट इसका अर्थ ‘स्वस्तिक’ बताता है। वहीं से अलग करने पर इसका अनुवाद ‘Hooked Cross’ आता है।
ऐसे में हिटलर के कट्टर ईसाई कनेक्शन की पोल खोलते हुए जवाब तलाशा गया है कि आखिर ‘Hooked Cross’ ‘स्वस्तिक’ कैसे बन गया? कई देशों के ‘स्वस्तिक’ जैसे प्रतीक चिह्न के इस्तेमाल का सबूत देते हुए बताया गया है कि एक ‘क्रॉस’ का ही एक प्रकार है, जो पूर्व से ही चर्चों में मिलता रहा है। वहीं ब्रिटिश स्कॉलर मैक्स मुलर ने ‘स्वस्तिक’ को भारतीय शब्द बताते हुए इसके प्रयोग पर आपत्ति जताई थी। वो ये नहीं चाहते था कि दुनिया ये मानें कि इस क्रॉस की उत्पत्ति भारत में हुई है।
इसी तरह इस डॉक्यूमेंट्री में प्राचीन खुदाइयों और पुस्तकों के हवाले से बताया गया है कि पश्चिम ने ‘स्वस्तिक’ को भी एक प्रकार का क्रॉस बताने वाला नैरेटिव चलाया गया। असल में हिटलर बचपन में अकेले में चर्च में गायिकी का आनंद लेता था और साथ ही पादरी भी बनना चाहता था। वो एक मोनेस्टरी है, जहाँ ऐसे ही चिह्न थे। यही चिह्न नाजी ‘Hakenkreuz’ की प्रेरणा बना। चैनल ने इसे 20वीं शादी का ऐसा विश्वासघात बताया है, जिसमें मोहरे सिर्फ एक ही तरफ से चले जा रहे थे।
लगभग 58,000 सब्सक्राइबर्स वाले YouTube चैनल ‘AKTK Documentary’ पर रिलीज हुए इस डॉक्यूमेंट्री वीडियो में बताया गया है कि कैसे सन् 1871 में पहली बार अंग्रेजी में ‘स्वस्तिक’ शब्द का उपयोग किया गया, जबकि ट्रॉय की खुदाई में ऐसे चिह्न मिल चुके थे। वहीं ग्रीक सभ्यता में भी ऐसे चिह्न मिलते हैं। ये एक ईसाई चिह्न था, जिसके लिए प्राचीन पुस्तकों में सिर्फ ‘Gammadion’ शब्द का प्रयोग मिलता है। 19वीं सदी में क्रॉस के रूप में ही इसका प्रयोग मिलता है, ‘स्वस्तिक’ नहीं।
डॉक्यूमेंट्री में इस चिह्न के इतिहास पर भी चर्चा की गई है। किस तरह ‘Gammadion’ शब्द आया और कैसे ये जीसस क्राइस्ट का प्रतीक बन गया, इसका इतिहास भी समझाया गया है। कैसे जीसस क्राइस्ट ईसाइयत के ‘कॉर्नर स्टोन’ बने और इसके गामा एंगल से ये शब्द आया। छठी शताब्दी से लेकर दसवीं शताब्दी और मध्यकाल में भी ईसाई क्रॉस के साथ ‘Hooked Cross’ को कई साइट्स पर देखा जा सकता है। इसी तरह आगे आपको इस डॉक्यूमेंट्री में ‘स्वस्तिक’ का प्राचीन इतिहास भी जानने को मिलेगा और क्रॉस से इसकी भिन्नता भी।
‘आज की ताज़ा खबर डॉक्यूमेंट्री (AKTK Documentary)’ नामक YouTube चैनल में हिटलर के इंटरव्यू के हवाले से बताया गया है कि कैसे वो जीसस क्राइस्ट को जर्मन मानता था और खुद को मार्क्सवाद के खिलाफ लड़ाई का प्रणेता। उसने अपने भाषणों में खुद को क्राइस्ट के अधूरे कार्यों को पूरा करने वाला बताता था और कहता था कि अगर जीसस क्राइस्ट जर्मनी के लोगों के सामने आ जाएँ तो वे भी नाजी पार्टी में शामिल हो जाएँगे। वो अपनी पार्टी को बाइबिल के हिसाब से चलता हुआ बताया करता था।
डॉक्यूमेंट्री में विशेषज्ञों के हवाले से ये जानकारियाँ दी गई है और साथ ही हिटलर के भाषणों के अंश भी दिखाए गए हैं। ये भी बताया गया है कि हिटलर जीसस क्राइस्ट को यहूदी नहीं मानता था और नस्लभेद से भरी उसकी पार्टी ने हिटलर का एक ऐसा पोस्टर प्रकाशित किया था, जो जीसस क्राइस्ट के एक पोस्टर से मिलता-जुलता है। इसमें बताया गया है कि हिटलर को ईसाइयत के खिलाफ बताना अधूरा पिक्चर दिखाना जैसे होगा और वो कैथोलिक चर्च के विरुद्ध था, लेकिन ईसाइयत के नहीं।
Earlier Haken'C'reuz was also swastika. Now they have changed it. Hope they will change Haken'K'reuz as well.
— Aaj Ki Taza Khabar (youtube channel) (@AKTKadmin) December 31, 2021
सही दिशा में किए गए प्रयासों का असर क्या होता है, उसे आप ऊपर की ट्वीट में देख सकते हैं। जहाँ पहले गूगल ‘Hakencreuz’ का अनुवाद ‘स्वस्तिक’ के रूप में बताता था, वहीं अब वो इसे ‘Hooked Cross’ बताने लगा है, क्योंकि डॉक्यूमेंट्री के सामने आने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने इस सम्बन्ध में उसे फीडबैक दिए। ‘स्वस्तिक नाज़ी नहीं है’ – इस डॉक्यूमेंट्री का यही बताना उद्देश्य है। वहीं कुछ लोगों ने कहा कि ‘गूगल ट्रांसलेट’ ने ये बदलाव सिर्फ भारत में किया है, विदेशों में नहीं। लेकिन, इसे लोग सिर्फ एक शुरुआत बता रहे।