70 वर्षों से ब्रिटेन की सर्वोच्च शासक रहीं महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद यूनाइटेड किंगडम सहित 14 अन्य कॉमनवेल्थ देशों को नया राजा मिला है। एलिजाबेथ के बेटे King Charles III नाम से गद्दी पर बैठेंगे और बकिंघम पैलेस की सर्वोच्च सत्ता होंगे। लेकिन, सवाल ये है कि क्या अब UK भारत को वो कोहिनूर हीरा लौटाएगा, जो वो यहाँ से लूट कर ले गया था? जो कभी महाराजा रणजीत सिंह की शान हुआ करता था, उस कोहिनूर की कीमत आज की तारीख़ में 8000 करोड़ रुपए से भी अधिक है।
लेकिन, यहाँ बात पैसे की नहीं है। भारत को कोहिनूर हीरा लौटते हुए अगर नए शासक King Charles III यहाँ अंग्रेजों द्वारा 200 वर्षों में मचाई गई तबाही के लिए माफ़ी माँगते हैं तो ये एक बड़ी बात होगी। लेकिन, क्या वो ऐसा करेंगे? इतिहास के लिए 75 वर्ष बहुत ज्यादा नहीं होते और भारत को आज़ाद हुए इतने ही साल हुए हैं। उसी साल महारानी एलिजाबेथ की शादी भी हुई थी। ऐसे में समय आ गया है जब ब्रिटेन भारत में किए गए अत्याचारों के लिए माफ़ी माँगे।
पहले सवाल यही उठ सकता है कि माफ़ी माँगने की ज़रूरत ही क्यों है? माफ़ी इसीलिए माँगनी है, क्योंकि अंग्रेजों के समय में 1.5-2 करोड़ के आसपास लोग भूख से मर गए। बंगाल 1943 में बंगाल में आया अकाल इसका एक उदाहरण है, जब अंग्रेजों ने लोगों को बचाने की बजाए अपना खजाना भरना ही उचित समझा। दूसरे विश्व युद्ध में अंग्रेजों की सेना में शामिल 54,000 भारतीयों को अपनी जान गँवानी पड़ी, इसीलिए अंग्रेजी मुल्क माफ़ी माँगे।
इंग्लैंड की सेना में उस युद्ध में लड़ने वाला हर छठा सैनिक भारतीय था, लगभग 13 लाख। उस युद्ध में अंग्रेजों ने न सिर्फ यहाँ के लोगों, बल्कि जानवरों से लेकर कपड़ों तक का इस्तेमाल किया। इंग्लैंड ने भारतीय कारीगरों और बुनकरों पर टैक्स लगाया। साथ ही उनके द्वारा बनाए गए कपड़ों को दुनिया भर में अपना उत्पाद बना कर बेचा और करोड़ों कमाए। नुकसान ये हुआ कि दुनिया भर को कपड़े देने वाले भारत को बाहर से कपड़े खरीदने पड़े।
आज का लिबरल गिरोह, यहाँ तक कि भारत का भी, ये अफवाह फैलाने में मगन रहता है कि हम भारतीयों को तो खाना-पीने और शौच तक करना नहीं आता था, सब अंग्रेजों ने सिखाया। हमें क्या आता था, ये हड़प्पा की खुदाई से दिख चुका है। अमेरिकी विशेषज्ञ जेटी संडरलैंड का कहना था कि एक सभ्य समाज के लिए जिन भी उत्पादों की ज़रूरत होती है, हाथों से या दिमाग से, वो सब भारत में बनते थे। उन्होंने बताया है कि यहाँ महान व्यापारी रहते थे, इंजीनियर थे, बैंकर थे।
जब 18वीं शताब्दी शुरू हुई थी, तब भारत विश्व की अर्थव्यवस्था का 23% हुआ करता था। उतना, जितना पूरे यूरोप को मिला कर होता था। जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा, उस समय तक ये मात्र 3% हो चुका था। एक ‘सोने की चिड़िया’ के अंग्रेजों ने सारे पर कतर लिए। अब वहाँ के लोग एक माफ़ी और प्रतीक के रूप में कोहिनूर हीरा लौटाने की माँग तो कर ही सकते हैं? बंगाल प्रेसिडेंसी में पहली बार गवर्नर बना रॉबर्ट क्लाइव अपने साथ 369 करोड़ रुपए (आज की मुद्रा में) लेकर गया था, जिससे वो यूरोप के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बन गया था।
अपनी पुस्तक ‘An Era of Darkness: The British Empire in India’ में शशि थरूर लिखते हैं कि 19वीं सदी के अंत तक ब्रिटेन के पास 3.5 लाख सैनिक थे, जिनमें से एक तिहाई का खर्च भारत के पैसों पर चलता था। लेखक मिन्हाज मर्चेंट ने एक बार आकलन किया था कि अंग्रेजों ने भारत से आज की मुद्रा में 3 ट्रिलियन डॉलर लूटे हैं। ये कितनी बड़ी रकम है, इसे इसी से समझिए कि आज पूरी UK की GDP 2.71 ट्रिलियन डॉलर है।
एक आँकड़ा कहता है कि ब्रिटिश राज भारत में 3.5 करोड़ों मौतों के लिए जिम्मेदार है। जलियाँवाला बाग़ जैसे नरसंहार का तो जिक्र यहाँ आवश्यक है, जिसमें अंग्रेजों की गोली से लगभग डेढ़ हजार लोग मारे गए थे। इसके लिए भी तो कम से कम माफ़ी बनती है। मृतकों में महिलाओं-बच्चों और बुजुर्ग भी थे। हिटलर ने भी 60 लाख यहूदियों की हत्या की थी, उस हिसाब से आप समझ जाइए कि अंग्रेजों ने भारत में कितना कहर बरपाया था।
यूके के नए राजा King Prince Charles III प्रिंस रहते 10 बार भारत आ चुके हैं। उन्होंने केरल स्थित कुमारकोम झील रिसॉर्ट में अपना 65वाँ जन्मदिन पत्नी के साथ मनाया था, ऐसे में उन्होंने भारत की स्थिति और गरीबी देखी है। अब वो 73 वर्ष की उम्र में राजा बने हैं, तो उन्हें भारतवासियों से एक माफ़ी तो माँगनी ही चाहिए – 3.5 करोड़ मौतों के लिए, 23879625 करोड़ रुपए (3 ट्रिलियन डॉलर, 10 सितंबर 2022 की मुद्रा विनिमय दर से) की लूट के लिए। असल में पूरी लूट का आँकड़ा तो इससे भी अधिक है।
‘कोलंबिया यूनिवर्सिटी प्रेस’ द्वारा प्रकाशित अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक के रिसर्च के अनुसार, सन् 1765 से लेकर 1938 तक अंग्रेजों ने भारत से 45 ट्रिलियन डॉलर (₹358191000 करोड़, 10 सितंबर 2022 की मुद्रा विनिमय दर से) की लूट को अंजाम दिया। ये बहुत बड़ा आँकड़ा है, जिसकी पुष्टि केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी कर चुके हैं। ये ब्रिटेन की मौजूदा GDP से साढ़े 16 गुना ज्यादा है। असल में भारत से ही टैक्स लेकर अंग्रेज अपने लिए भारतीय सामान खरीदते थे। साथ ही उन्हें अपने इस्तेमाल में लाते थे, अन्य देशों में बेचते थे। ये एक तरह का बड़ा स्कैम था।
ब्रिटेन की ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ वैसे तो यहाँ मसलों का व्यापार करने आई थी, लेकिन 200 वर्षों में उन्होंने पूरे देश को लूट कर रख दिया। 1757 में प्लासी के युद्ध में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की रॉबर्ट क्लाइव के हाथों हार के साथ ही अंग्रेजों ने भारत में राज करने की शुरुआत कर दी। इसके बाद 1764 ईस्वी में बक्सर में बंगाल के मीर कासिम, अवध के सुजाउद्दौला और मुग़ल बादशाह शाह आलम II की संयुक्त सेना को कैप्टन मुनरो के नेतृत्व में अंग्रेजों ने हराया। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को कुचलने के बाद वो भारत में सबसे बड़ी सत्ता बन गए।