जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फ़ज़ल (JUI-F) के प्रमुख मौलाना फ़ज़लुर रहमान के नेतृत्व में हजारों लोग पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) सरकार को गिराने के लिए रविवार (27 अक्टूबर) को कराची से इस्लामाबाद की ओर ‘आज़ादी मार्च’ के लिए कूच कर दिया है।
डॉन के अनुसार, इस मार्च में मदरसा के छात्रों सहित हज़ारों लोग भाग ले रहे हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी), पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन), अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) समेत अन्य राजनीतिक दल भी आज़ादी मार्च में शामिल हैं।
जेयूआई-एफ नेतृत्व के अलावा, पीपीपी नेता रज़ा रब्बानी, सईद गनी, पीएमएल-एन के नेता मोहम्मद जुबैर, निहाल हाशमी, एएनपी के शाही सैयद और अन्य प्रमुख नेता भी गुरुवार को इस्लामाबाद पहुँचने वाले हैं। बता दें कि आज़ादी मार्च पाँच दिनों तक चलेगा यानी विरोध प्रदर्शन 31 अक्टूबर तक जारी रहेगा। इस विरोध प्रदर्शन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ मोर्चाबंदी की कोशिश की जा रही है और उनके इस्तीफ़े की माँग भी की जा रही है।
मार्च के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, जेयूआई-एफ प्रमुख मौलाना फ़ज़लुर रहमान ने कहा कि विपक्ष ने पीटीआई सरकार द्वारा भेजी गई बातचीत टीम की सभी माँगों का खंडन किया था और वो न्यायपालिका द्वारा किए गए निर्णयों के अनुसार अपना धरना देंगे।
उन्होंने सवालिया होते हुए कहा, “प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को इस्तीफ़ा देना होगा। कराची में हज़ारों की संख्या में लोग इकट्ठे हुए हैं। सरकार क्या करेगी जब देश भर से लोग इस्लामाबाद पहुँचेंगे?”
शुक्रवार (25 अक्टूबर) को मौलाना ने कहा था कि उनकी पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्यों और प्रांतीय नेताओं के घरों पर देश भर में छापेमारी की जा रही है। उन्होंने कहा,
“यदि बैरिकेड्स और अन्य व्यवधानों के साथ हमारे मार्ग पर बाधाएँ उत्पन्न करने का प्रयास किया गया, तो इससे टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। चाहे एक महीने के लिए ही राष्ट्रीय राजमार्गो को बंद क्यों ना कर दिया जाए, इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, हम इस्लामाबाद जाएँगे।”
फ़ज़ल ने जून में उनकी पार्टी ने सरकार को गिराने के लिए अक्टूबर के महीने में इस्लामाबाद में सरकार विरोधी लंबे मार्च का आयोजन करने का फ़ैसला किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि इमरान ख़ान झूठ के सहारे पाकिस्तान में सत्ता में आए।