चीन में उइगर मुस्लिमों पर होती बर्बरता का लगातार खुलासा हो रहा है। अभी हाल में वहाँ के यातना गृह से भागकर दुनिया के सामने आने वाली मुस्लिम महिलाओं ने इन कैंपों की हकीकत का खुलासा किया है। उन्होंने विदेशों में शरण पाने के बाद बताया है कि कैसे चीन के यातना कैंपों में उनके साथ बलात्कार होते थे, उनके गर्भपात कराए जाते थे और भयावह तरीके से उनकी नसबंदी होती थी।
इसके अलावा चीन में मुस्लिमों की दशा को दिखाता एक वीडियो भी सामने आया है। जिसे वॉर ऑन फियर नाम के यूट्यूब चैनल पर पिछले महीने अपलोड किया गया है। इसमें देखा जा सकता है कि कई सौ की तादाद में कैसे मुस्लिमों को बंदी बनाकर, उनकी आँखों को मूँदकर ट्रेन से शियानजिंग में स्थांतरित किया जा रहा है।
हालाँकि, चीन इन कॉन्संट्रेशन कैंम्पों को प्रशिक्षण केंद्र मानता है। चीन का कहना है कि मुस्लिम लोगों को अतिवाद से बाहर निकालने और उन्हें नए स्किल देने के लिए ये कैंप चला रहा है। वहीं केवल कैंप से भागी हुई महिलाएँ ही नहीं, बल्कि वहाँ स्थानीय अधिकार समूह भी बताते हैं कि इन कैंपो में महिलाओं के गुप्तांगों में मिर्ची का पेस्ट लगाना जैसी चीजें बेहद आम है।
डेलीमेल की एक रिपोर्ट में ऐसी ही दो महिलाओं की आपबीती का उल्लेख है। जिनमें से एक रुकैया परहेट हैं और दूसरी गुलजिरा मॉगदिन। रुकैया को साल 2009 में शिनजियांग में हिरासत में लिया गया था, जिसके बाद उन्होंने 4 साल तक चीनी अधिकारियों की प्रताड़ना झेलीं। आज वो तुर्की में हैं।
रुकैया बताती हैं कि चीन में 35 साल से कम उम्र के हर आदमी और हर औरत का बलात्कार किया जाता है। कैंप के गार्ड जिसके साथ रात गुजारना चाहते हैं, उसके सिर पर बैग रखते हैं और फिर खींचते हुए बाहर ले जाते है। फिर पूरी रात उसका बलात्कार होता है। रुकैया का दावा है कि चीन में गिरफ्तारी के दौरान जो महिलाएँ गर्भवती होती हैं, उनका बर्बता से गर्भपात करवा दिया जाता है।
रुकैया के अलावा इस कैंप से भागकर कजाकिस्तान में शरण लेने वाली गुलजिरा मॉगदिन भी बताती हैं कि इन कैंपों में भयंकर तरीके से गर्भपात किया जाता है। वे अपना अनुभव साझा करते हुए कहती हैं कि उनके भ्रूण को बिना एनेस्थेसिया दिए चीर दिया गया था।
इतनी बर्बरता और क्रूरता का वीडियो सहित खुलासा होने के बाद भी चीन प्रशासन अपने अधिकारियों की कार्रवाई को एक सामान्य टास्क बता रहा है। जबकि ड्रोन से लिए गए वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बंदियों को ट्रेन से ले जाया जा रहा है और उन सभी के सर मुंडे हुए है, आँख काली पट्टी से ढकी हुई है और हाथ बंधे हुए हैं। बताया जा रहा है कि यह वीडियो अमेरिकी अधिकारियों द्वारा प्रमाणित है।
मुस्लिम महिलाओं के साथ रात को सोते हैं चीनी अधिकारी: खिलाते हैं सूअर का माँस, पिलाते हैं शराब
यहाँ बता दें कि चीन के इन कैंपों में महिलाओं के प्राइवेट पार्ट्स पर मिर्ची का पेस्ट लगाने वाली क्रूरता का खुलासा होने से पहले भी कई भयावह सच्चाईयाँ सामने आ चुकी हैं। इन कैंपों में प्रताड़ना झेल चुके पूर्व बंदियों ने बताया था कि उइगर मुस्लिमों को वहाँ सुअर का माँस जबरन खिलाया जाता है और मंदारिन बोलने का दबाव बनाया जाता है।
इसके अलावा चीन इन उइगर मुस्लिमों के लिए रोज नए नियम-क़ानून बना रहा है। वहाँ इस्लामी टोपी लगा कर घूमने पर पाबन्दी है, नमाज भी पुलिस की निगरानी में अनुमति लेकर ही पढ़ी जा सकती है और इस्लामिक रीति-रिवाजों पर प्रतिबन्ध है। चीन के शिनजियांग प्रान्त में ख़ास करके उइगर मुस्लिमों को डिटेंशन कैम्प में रखा जाता है, जहाँ उनका ‘चीनीकरण’ किया जाता है।
जानकारी के मुताबिक चीन में जिन मुस्लिमों को डिटेंशन कैम्प में भेजा जाता है, उनके घर की निगरानी रखने के लिए चीनी नागरिकों को हायर किया गया है। ये चीनी नागरिक उइगर मुस्लिमों के घर पर निगरानी रखते हैं। निगरानी के नाम पर इन उइगरों के घर-परिवार के साथ क्या-क्या होता है, यह जानकर आपको आश्चर्यचकित रह जाएँगे, आपको सदमा लगेगा। निगरानी रखने वाले चीनी नागरिक उइगर मुस्लिमों की पत्नियों के साथ बिस्तर पर सोते हैं।
उइगर मुस्लिम परिवारों के लिए नियम बनाया गया है कि वो नियमित रूप से चीनी अधिकारियों को अपने घर पर आमंत्रित करें और अपने मजहबी और राजनीतिक विचारों से उन्हें अवगत कराएँ। इसीलिए, चीन ने ‘पेअर अप एंड बिकम फैमिली’ योजना लागू की है, जिसमें हर उइगर परिवार को एक चीनी असाइन किया गया है। यह कुछ और नहीं बल्कि उइगरों के घर जाकर सेक्स स्लेव (यौन दासी) के साथ मनोरंजन करने की आड़ में बनाया गया कानून है।
182 कन्सेंट्रेशन कैंप, 209 जेल, 74 लेबर कैंप, 10 लाख+ हिरासत में: चीन में उइगरों की हालत
अभी हाल ही में उइगर कार्यकर्ताओं ने भी दावा किया है कि उन्होंने जातीय समूह को हिरासत में लेने के लिए चीन द्वारा चलाए जा रहे करीब 500 शिविर और जेल देखे हैं। जिसे देखकर उनका दावा है कि चीन के इन कैंपों में रह रहे लोगों की संख्या 10 लाख बताई जाती रही है लेकिन यह आँकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा ‘द ईस्ट तुर्किस्तान नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट’ नाम के समूह ने 182 संदिग्ध ‘‘हिरासत शिविरों’’ के बारे में संकेत दिए हैं, जहाँ उइगरों पर उनकी संस्कृति छोड़ने के लिए कथित तौर पर दबाव बनाया जाता है। और समूह ने गूगल अर्थ पर मौजूद ताजा तस्वीरों का आकलन करने के बाद कहा है कि उसने मंगलवार को 209 संदिग्ध जेल और 74 संदिग्ध श्रम शिविर देखे, जिनके संबंध में वह बाद में जानकारियाँ साझा करेगा।