भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को साल 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार, वैश्विक स्तर पर ग़रीबी उन्मूलन के लिए किए गए कामों के लिए दिया गया है। नोबेल समिति के सोमवार (14 अक्टूबर) को जारी एक बयान में तीनों को 2019 का अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई।
घोषणा के अनुसार, “इस साल के पुरस्कार विजेताओं का शोध वैश्विक स्तर पर ग़रीबी से लड़ने में हमारी क्षमता को बेहतर बनाता है। मात्र दो दशक में उनके नए प्रयोगधर्मी दृष्टिकोण ने विकास अर्थशास्त्र को पूरी तरह बदल दिया है। विकास अर्थशास्त्र वर्तमान में शोध का एक प्रमुख क्षेत्र है।” इससे पहले, 1998 में अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
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— The Nobel Prize (@NobelPrize) 14 October 2019
The 2019 Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel has been awarded to Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer “for their experimental approach to alleviating global poverty.”#NobelPrize pic.twitter.com/SuJfPoRe2N
2019 के चुनावों के दौरान, अभिजीत बनर्जी ने कहा था कि कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को सत्ता में आना चाहिए, और NYAY योजना को नए करों के साथ लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि वर्तमान में भारत का राजकोषीय घाटा इतना बड़ा है कि यह योजना बिना करों को बढ़ाए नहीं टिक सकती। तत्कालीन कॉग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ‘फ्री मनी’ योजना के बारे में अपनी छाती पीटते हुए कहा था कि इस कल्याणकारी योजना को लागू करने के लिए कोई नया कर नहीं लगाया जाएगा।
अभिजीत बनर्जी ने कहा था कि कई मौजूदा योजनाओं का कोई उद्देश्य नहीं है और किसी को नहीं पता कि उनके उद्देश्य क्या हैं, और उन्हें कॉन्ग्रेस के NYAY द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि उर्वरक, बिजली, पानी आदि के लिए प्रदान की जाने वाली सब्सिडी विकृति वाली सब्सिडी है, और उन्हें हटा देना चाहिए। उन्होंने कहा था कि ये सब्सिडी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी नहीं हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कॉन्ग्रेस ने अपने प्रमुख चुनावी वादे “न्याय योजना’ के लिए अभिजीत समेत दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों से राय ली थी। इसके तहत तब कॉन्ग्रेस अध्यक्ष रहे राहुल गाँधी ने वादा किया था कि हर ग़रीब के खाते में साल में 72 हज़ार रुपए डाले जाएँगे, यानि 6 हजार रुपए/ महीना। यह योजना गरीबों को मिनिमम इनकम की गारंटी देगी। हालाँकि, वादा में की गई धनराशि राहुल गाँधी की हर रैली के साथ बदलती रही। कभी-कभी यह ₹72,000 वार्षिक हो जाता था, कभी-कभी यह 72,000 मासिक हो जाता था।
अभिजीत बनर्जी के बारे में बता दें कि वो अमेरिकी में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। उन्होंने ने संयुक्त रूप से अब्दुल लतीफ़ ज़मील पॉवर्टी एक्शन लैब की स्थापना की थी। उनका जन्म 21 फ़रवरी 1961 में कोलकाता में हुआ था। इनकी माता निर्मला बनर्जी कोलकाता के सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में प्रोफेसर थीं और पिता दीपक बनर्जी प्रेसीडेंसी कॉलेज में इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर थे।
2015 में अभिजीत बनर्जी ने एस्थर डुफ्लो से शादी की। एस्थर इकोनॉमिक्स के नोबेल के लिए चुनी गई सबसे युवा और दूसरी महिला अर्थशास्त्री हैं। अर्थशास्त्र के लिए एलिनोर ऑस्टार्म को 2009 में भी नोबेल दिया गया था। वे इंडियाना विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थीं। उन्हें इकोनॉमिक गवर्नेंस के लिए सम्मानित किया गया था। एस्थर डुफ्लो ने कहा, “एक महिला के लिए सफल होना और सफलता के लिए पहचान बनाना संभव है। मुझे उम्मीद है कि इससे कई अन्य महिलाएँ अच्छा काम जारी रखने के लिए और पुरुष उन्हें उचित सम्मान देने के लिए प्रेरित होंगे।”