राशिद खान जैसे कई अफगानी क्रिकेटरों ने पिछले कुछ सालों में पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। लेकिन तालिबान का शासन आने के बाद अफगानिस्तान में क्रिकेट के भविष्य को लेकर अनिश्चितता छा गई है। क्रिकेटर तनाव में हैं। दूसरी ओर, भारत के राजस्थान में तालिबान नामक एक क्रिकेट टीम के लोकल टूर्नामेंट में हिस्सा लेने की खबर सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान के जैसलमेर में अलादीन खाँ स्मृति क्रिकेट ट्रॉफी में तालिबान नाम की एक टीम ने हिस्सा लिया। इस टीम ने एक मैच खेला, जिसमें उसे जीत मिली। लेकिन सोशल मीडिया में आलोचना के बाद आयोजकों ने माफी माँगते हुए इस टीम को टूर्नामेंट से बाहर कर दिया।
प्रतियोगिता के आयोजक इस्माइल खान ने सफाई पेश करते हुए कहा कि क्रिकेट के लिए ऑनलाइन आवेदन आए थे। इसी कारण इसको लेकर ध्यान नहीं रख पाए। हम सभी से माफी चाहते हैं। ज्ञात हो कि जैसलमेर के जेसूराना गाँव में हर साल इस टूर्नामेंट का आयोजन किया जाता है। इस साल यह 22 अगस्त 2021 से शुरू हुई थी।
फोकस नहीं कर पा रहे अफगान खिलाड़ी
तालिबान के कब्जे के बाद से क्रिकेट के दीवाने अफगानिस्तान की राष्ट्रीय टीम के कई खिलाड़ियों को खेल पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो रहा है। इस बीच 3 सितंबर से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच होने वाली वनडे सीरीज स्थगित कर दी गई है।
इन हालातों को लेकर तेज गेंदबाज नवीन-उल-हक ने बीबीसी रेडियो को दिए इंटरव्यू में बताया कि उनके साथियों की आँखों में, उनकी आवाज में और उनके संदेशों तक में डर बसा हुआ है। हक ने कहा, “तालिबान ने कहा है कि वे किसी खिलाड़ी को परेशान नहीं करेंगे, लेकिन कोई नहीं जानता।”
तालिबान के खौफ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि काबुल पर तालिबानी कब्जे से कुछ दिन पहले अफगानिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व राष्ट्रीय कप्तान मोहम्मद नबी ने दुनिया के नेताओं से अफगानिस्तान को अराजकता से बचाने की अपील की थी। दरअसल, अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी ने वर्ष 1996-2000 के वक्त ताजा कर दिया दिया है, जब उसने कट्टर इस्लामिक कानूनों को लागू किया था।