प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय यात्रा ने बांग्लादेश के कई मंदिरों को चर्चा में ला दिया है। इन्हीं में से एक है, जशोरेश्वरी काली मंदिर। आज (27 मार्च 2021) को पीएम मोदी सतखिरा स्थित जशोरेश्वरी काली मंदिर पहुँचे। यहाँ काली माता के दर्शन कर विधिवत तरीके से पूजा-अर्चना की। चाँदी का बना मुकुट और चरणों में साड़ी अर्पित किए।
बांग्लादेश के सतखिरा के इश्वरीपुर ग्राम में स्थित मशहूर जशोरेश्वरी काली मंदिर 51 शक्तिपीठ में से एक सुगंधा शक्तिपीठ है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यहाँ देवी सती की हथेलियाँ और तालु गिरे थे। इसके बाद वह माँ जशोरेश्वरी के रूप में यहीं रहने लगीं और महादेव का भैरव रूप स्वयं चाँद बनकर उनकी रक्षा करने लगा।
12वीं सदी में इस पवित्र स्थान की महत्ता समझते हुए अनाड़ी (Anari) नाम के एक ब्राह्मण ने यहाँ विशाल मंदिर का निर्माण कराया। ब्राह्मण ने माता के मंदिर में 100 दरवाजे बनवाए। बाद में इसका जीर्णोद्धार 13वीं सदी में लक्ष्मण सेन द्वारा करवाया गया और 16वीं शताब्दी में इसे दोबारा राजा प्रतापादित्य ने बनवाया।
जशोरेश्वरी पीठ को लेकर मान्यता है कि यहाँ माता अभय मुद्रा में कमल जैसे हाथों के साथ विराजमान हैं, जो अपनी शक्तियों से डर और अंधकार को दूर करती हैं। इस मंदिर का इतिहास बताता है कि आखिरी बार इसे लगभग 400 साल पहले बनवाया गया था।
बांग्लादेश में आज भी जशोरेश्वरी माँ को लेकर अटूट विश्वास है। कई श्रद्धालु हर साल यहाँ माथा टेकने, माँ के दर्शन करने, मन्नत माँगने, आत्मा शुद्धि के लिए आते हैं। नवरात्रि में यहाँ पूजा-अर्चना भी होती है। बावजूद इसके यह मंदिर लंबे समय तक जर्जर हालत में था।
बांग्लादेश सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से पहले ही जशोरेश्वरी मंदिर का जीर्णोद्धार किया है। उससे पहले तक ये मंदिर निर्माण के नाम पर लंबे समय से बंद था और धीरे-धीरे पृथक स्थान बन गया था। यूट्यूब पर मौजूद मंदिर की पुरानी वीडियोज में स्थिति देख सकते हैं।
पुरानी वीडियोज में मंदिर को देखकर साफ पता चलता है कि वहाँ सालों से जीर्णोंधार पर कार्य नहीं हुआ। दीवारें बदरंग और आसपास लकड़ियाँ लगी हुई हैं। कई जगह तो केवल पत्थर ही पत्थर हैं और उनके बीच से घास निकलती साफ दिख रही है।
अब पीएम मोदी के दौरे से पहले बांग्लादेश सरकार ने इस मंदिर का कायाकल्प कर दिया है।
बता दें कि बांग्लादेश की स्वतंत्रता के समय साल 1971 के युद्ध के बाद मंदिर का बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया था। इसलिए अब जो इस पीठ के दर्शन को जाता है उसे सबसे प्रमुख संरचना स्तंभ ही देखने को मिलती है। पहले मंदिर की संरचना का एक बड़ा हिस्सा आयताकार था, जो नाथ मंदिर का निर्माण करता है और जो मुख्य मंदिर के बिलकुल समीप है। इस बिंदु से माँ के दर्शन आसानी से होते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा में माँ जशोरेश्वरी के मंदिर जाने को बंगाल चुनाव से जोड़कर भी देखा रहा है। दरअसल, इस मंदिर और ओरकांडी स्थित मंदिर में मतुआ समुदाय के लोगों की अटूट आस्था है और दिलचस्प बात ये है कि इसी समुदाय के दो करोड़ लोग बंगाल में रहते हैं।
बंगाल में 70 विधानसभा सीटों पर मतुआ समुदाय का असर है। ऐसे में आज ओरकांडी मंदिर में प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश में रह रहे इस समुदाय के लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ओरकांडी में भारत सरकार लड़कियों के मिडिल स्कूल को अपग्रेड करेगी और भारत सरकार द्वारा यहाँ एक प्राइमरी स्कूल भी स्थापित किया जाएगा। ये भारत के करोड़ों लोगों की तरफ से हरिचंद ठाकुर जी को श्रद्धांजलि है।
Bangladesh: Prime Minister Narendra Modi address the Matua community in Orakandi
— ANI (@ANI) March 27, 2021
“I was waiting for this opportunity for many years. During my 2015 visit to Bangladesh, I expressed my wish to visit Orakandi, and today that wish has come true,” says PM. pic.twitter.com/z2rCMKYwGs
पीएम ने मतुआ समुदाय के बीच पश्चिम बंगाल में बनगाँव से सांसद शांतनु ठाकुर की तारीफ की। उन्होंने कहा, “मेरा सौभाग्य है कि हरिचंद देव की विरासत को सँभाल रहे शांतनु ठाकुर संसद में मेरे सहयेगी हैं। मुझसे छोटे हैं पर उनसे भी हमें बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है वो बहुत कर्मठ हैं।” वह बोले कि आज वैसा ही महसूस कर रहा हूँ, जो भारत में रहने वाले ‘मतुआ समुदाय’ के मेरे हजारों-लाखों भाई-बहन ओरकांडी आकर महसूस करते हैं।