जिस समय पूरा भारत टी 20 वर्ल्ड कप की जीत में डूबा हुआ है उस समय भारत के पूर्व कोच अंशुमन गायवाड को लेकर बहुत बुरी खबर है। सामने आया है कि अंशुमन गायकवाड ब्लड कैंसर से जूझ रहे हैं और उन्हें अपने इलाज के लिए पैसे चाहिए। इस संबंध में बीसीसीआई से भी मदद माँगी गई है।
अंशुमन को कैंसर होने की बात ऐसे समय में सामने आई है जब भारत के वर्ल्ड कप जीतने पर बीसीसीआई ने टीम को 125 करोड़ देने का ऐलान किया है और खबर पढ़कर बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष संदीप पाटिल ने एक ऐलान किया। मिड-डे रिपोर्ट में लिखे अपने कॉलम ने बीसीसीआई से अनुरोध किया कि वो अंशुमन गायकवाड के इलाज के लिए मदद करें। वो इस समय में लंदन के किंग्स कॉलेज अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं।
पाटिल ने बताया कि क्रिकेट बोर्ड से ऐसा नहीं है कि गायकवाड को सहायता नहीं मिली, लेकिन उस सहायता के अतिरिक्त उन्हें और मदद की जरूरत होगी। पाटिल ने अपने लेख में बताया कि अंशुमन गायकवाड से मिलने वो और पूर्व खिलाड़ी दिलीप वेंगसरकर गए थे। इसके बाद उन लोगों ने बीसीसीआई कोषाध्यक्ष आशीष शेलार से भी बात की थी। पूर्व क्रिकेटर के अनुसार, शेलार तुरंत स्थिति पर विचार करने के साथ-साथ अन्य पूर्व भारतीय खिलाड़ियों के फंड अनुरोधों पर भी सहमत हो गए।
बता दें कि अंशुमान गायकवाड़ ने दिसंबर 1974 से दिसंबर 1984 के बीच टीम इंडिया के लिए 40 टेस्ट मैच और 15 वनडे मैच खेले। इसके अलावा उन्होंने दो अलग अलग कार्यकाल (पहले 1997-1999 और फिर 2000)में भारतीय क्रिकेट टीम को कोचिंग भी दी। उनकी कोचिंग के दौरान कई उपलब्धियाँ भारत ने अपने नाम देखी। जैसे भारत की टीम साल 20000 में चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल तक पहुँची थी और साथ ही साथ भारत के पूर्व खिलाड़ी अनिल कुंबले के नाम जो 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड है वो भी अंशुमन गायकवाड के कार्यकाल में ही बना था। राहुल द्रविड़ जिनकी कोच रहते आज भारत वर्ल्ड कप जीता है वो द्रविड भी गायकवाड की कोचिंग खेल चुके हैं।
इसके अलावा आज ‘क्रिकेट के भगवान’ कहे जाने वाले ‘मास्टर ब्लास्टर’ की उपाधि पाने वाले सचिन तेंदुलकर ने भी जीवन में जो ऊँचाइयों को छुआ वो अंशुमन गायकवाड के कोच रहते ही था। उनकी इसी उपलब्धियों को लेकर पाटिल ने कॉलम में लिखा भी- “मैं आँकड़ों के बारे में बात नहीं करता, लेकिन मुझे लगता है कि अंशुमन के कार्यकाल के दौरान सचिन तेंदुलकर सबसे सफल रहे। मैं एक बार भी यह सुझाव नहीं कहता कि वो सारे रन अंशु की बल्ले से आए थे, लेकिन जब सचिन को अपना स्वाभाविक खेल खेलने के लिए सभी नैतिक समर्थन की आवश्यकता थी, तो अंशुमन वहाँ मौजूद थे और उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। वह 1990 के दशक में राष्ट्रीय चयनकर्ता भी थे और वर्तमान में भारतीय क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं।”