अब तक कार्बनेटेड सॉफ्ट-ड्रिंक्स के बाजार में रहा कोका-कोला अब लस्सी, लीची के रस, आम पना जैसे देसी पेयों के बाजार में भी खम ठोंकने के लिए कमर कस चुका है। हाल ही में जलजीरा फ्लेवर की कोल्ड ड्रिंक उतार कर और गर्मियों में आम पना उतारने की घोषणा कर कम्पनी ने इस बाजार में पैठ बनाने की कोशिश शुरू कर दी है।
लस्सी-छाछ अगले वर्ष
भारत और दक्षिणपश्चिम एशिया में कोका-कोला के मुख्य कार्यकारी टी कृष्णकुमार ने ब्लूमबर्ग से बात करते हुए कहा कि कोका-कोला की रणनीति में भारत के 29 राज्य अलग-अलग देशों की तरह हैं। इसके पीछे है हर राज्य के खान-पान, स्वाद की अपनी एक विशिष्टता होना। “यहाँ तक कि कई बार तो दो प्रदेशों के लोगों के जलपान करने के कारण भी अलग-अलग हो सकते हैं।”
दिल्ली स्थित Technopak Advisors नामक कंसल्टिंग एजेंसी के मुताबिक भारत में पैकेटबंद देसी पेय पदार्थों का बाजार लगभग 32% की दर से बढ़ रहा है, जो कि हालिया समय में कोका कोला की माँग में बढ़त का तीन गुना है।
भारत के देसी पेयों के बाजार के बारे में बात करते हुए कृष्णकुमार ने यह भी जोड़ा कि अकेले जूस का बाजार $3.6 अरब (करीब ₹250 अरब) का है। इसका 72% हिस्सा रेहड़ी, छोटी दुकानों और ठेले वालों को जाता है।
इस बाजार में पैर जमाने के लिए कोका कोला भारी-भरकम निवेश भी करेगी। आम और लीची जैसे फलों को उगाने में ही कम्पनी का निवेश $1.7 अरब (₹118 अरब) के करीब होगा। इस साल फलों के रस से शुरुआत कर कम्पनी की योजना अगले साल तक दुग्ध-आधारित पेय पदार्थों जैसे छाछ, लस्सी आदि भी लाने की है। इसके अलावा कम्पनी की रणनीति में इन सभी पेय पदार्थों की कीमत कम-से-कम रख अधिक-से-अधिक ग्राहकों तक पहुँचना भी शामिल है।
बाजार के पुराने खिलाड़ियों से कड़ी टक्कर के आसार
इस बाजार में कोका कोला जहाँ नई होगी, वहीं कई भारतीय कम्पनियों ने इस मार्केट में अच्छी-खासी जड़ें जमा लीं हैं। सबसे पहला नाम योगगुरु बाबा रामदेव की पतंजलि का तो है ही, जो तेजी से भारत की अग्रणी एफएमसीजी कम्पनी बनने के साथ ही भारत के बाहर दूसरे बाजारों में भी पैर पसार रही है। पतंजलि ने आम के रस, आँवले के रस से लेकर करेले पर आधारित पेय पदार्थ तक उतारे हुए हैं और सभी की बिक्री तेज़ी से होती है।
इसके अतिरिक्त बंगलूरु स्थित हेक्टर बेवरेजेज़ के पेपर बोट, Xotik Frujus (मुंबई) के जीरू जैसे अन्य ब्रांड भी हैं जिनसे कोका कोला को कठिन चुनौती मिलने के आसार हैं। यह सभी कम्पनियाँ एक हद तक राष्ट्रवादी भावनाओं पर भी दाँव लगाती हैं और ‘Be Indian, Buy Indian’ का नारा इनकी मार्केटिंग पिच में शामिल है।
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका के एटलांटा राज्य स्थित कोका कोला, जिसके पास अगर 100 साल से भी पुराना ब्रांड होने का दमखम है, ‘राष्ट्रवादी मार्केटिंग’ की क्या काट निकालती है।