केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद क्या बदला है- ये सवाल अक्सर अलग-अलग जगहों पर उठता रहता है। कई लोग इसका तथ्यों के साथ जवाब देते हैं और कई इस प्रश्न के उत्तर को गोल-मोल घुमाते रहते हैं। अब इसी क्रम में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर बिमल जालान (1997-2003) ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत के दौरान अपनी बात रखी है।
जालान ने टाइम्स ऑफ इंडिया से अपनी किताब ‘इंडिया रेकॉनिंग: रिवार्ड्स एंड डिसकन्सेंट्स ऑफ डेमोक्रेसी’ पर बात करते हुए भारतीय तंत्र, शासन और बदलाव पर बात रखी और मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि इस मौजूदा सरकार में भ्रष्टाचार कम है।
भारतीय लोकतंत्र की मजबूती पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में लोगों की जो अलग-अलग राय है यही लोकतंत्र है। उन्होंने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर राय रखते हुए नीति बनाने के मामले में न्यापालिका, संसद, और कार्यपालिका के कार्यों पर बात की। नीति लागू करने में जो देरी होती है उसके लिए उन्होंने न्यायिक देरी को उत्तरदायी कहा। उन्होंने विभिन्न सवालों के जवाब देते हुए इस इंटरव्यू में भारतीय लोकतंत्र को विश्व में सबसे बड़ा कहा और साथ में इस सबसे बड़े लोकतंत्र के सबक बताते हुए उन्होंने ‘आजाद और निष्पक्ष चुनावों’ की इच्छा को कारक बताया।
उन्होंने कहा चुनाव आयोग बिलकुल स्वतंत्र है और वह हर राज्य और केंद्र स्तर पर चुनाव करवाता है और नागरिकों को आजादी देता है कि वह बता सकें नीति अच्छी है या नहीं। वह बोले कि यदि पिछले 74 सालों पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि कोई भी बहुमत वाली सरकार मिली जुली सरकार से ज्यादा सफल शासन करती है। उनसे जब पिछले एक दशक में हुए वित्तीय क्षेत्र के विकास के बारे में पूछा गया तो उन्होंंने कहा कि शायद कोई ये कह सकता है कि सरकार द्वारा बनाई जा रही वित्तीय नीतियाँ या कोई एक पॉलिसी काम की नहीं है। लेकिन हकीकत में वित्तीय सेक्टर स्थिर है।
उन्होंने भारतीय लोकतंत्र में बहुमत की सरकार में भ्रष्टाचार की संभावना को कम बताया और कहा कि अगर सरकार बहुमत में है तो वो कोई भी नीति बना सकते हैं जो जरूरत है। बहुमत नहीं होने पर भ्रष्टाचार अधिक होता है। विभिन्न दल होते हैं तो वो निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार करते और फिर कभी इस पार्टी में कभी उस पार्टी में जाते रहते हैं। ऐसे में सबसे अच्छा तरीका है कि सभी नीतिगत निर्णयों को सार्वजनिक रूप से घोषित किया जाए। ये निर्णय क्यों लिए गए हैं, इन कारणों की घोषणा की जाए। जिन नीतियों की घोषणा की गई है, इस बारे में स्वतंत्र सार्वजनिक चर्चा होनी चाहिए। वर्तमान सरकार में नीति निर्माण के मामले में भ्रष्टाचार बहुत कम है।