भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के जवानों के अदम्य साहस की कहानियों से पूरा देश बख़ूबी वाक़िफ़ है। ऐसे क़िस्से कई बार हमारे सामने आए हैं, जहाँ जवानों ने बिना अपनी जान की परवाह किए ज़रूरतमंदों की मदद करके अपने कर्तव्य को पूरी ईमानदारी के साथ पूरा किया। ऐसा ही एक ताज़ा मामला जम्मू-कश्मीर का है। दरअसल, 2 जनवरी को रामबन के पास राष्ट्रीय राजमार्ग में पर भूस्खलन की वजह से आसिफा का परिवार जाम में फँस गया था।
विषम परिस्थितियों में आसिफा ने शाम को 5:30 बजे केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) की ‘मददगार’ हेल्पलाइन पर सम्पर्क साधा और बताया कि उनका परिवार जाम में फँसा हुआ है। आसिफा ने फोन पर बताया कि उनके बच्चे भूखे हैं और उन्होंने सुबह से कुछ नहीं खाया है। इतना सुनते ही CRPF की 157वीं बटालियन तुरंत एक्शन में आ गई और दाल-चावल, दो-ढाई लीटर दूध, 6 लीटर गर्म पानी, फल और बिस्किट के पैकेट बाँधकर पैदल ही बर्फ़ीले रास्ते पर निकल पड़े। इस टीम में CRPF के जवान जमा देने वाली कड़ाके की ठंड में 12 किमी तक पैदल चले और आसिफा तक पहुँचे।
@crpfindia troops led by Insp Raghuveer of 157 Bn @JKZONECRPF walked 12 Kms to provide food, water and other items to the family of Asifa who was stuck for hours at Digdol NH-44 along with her kids due to a massive landslide. Asifa had contacted @CRPFmadadgaar for help. pic.twitter.com/LwFtdz52GK
— CRPF Madadgaar (@CRPFmadadgaar) January 5, 2020
CRPF की 157वीं बटालियन के कमांडेंट डीपी यादव ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को बताया कि जम्मू-कश्मीर राजमार्ग पर रामबन के डिगडोल इलाक़े में फँसी आसिफा ने CRPF के जवानों से अपने भूखे बच्चों को खाना मुहैया कराने की मदद माँगी थी। इसके बाद टीम में इंस्पेक्टर रघुवीर सिंह समेत CRPF के अन्य जवानों के साथ खाने का सामना और दूध लेकर पहुँचे।
ख़बर के अनुसार, इंस्पेक्टर रघुवीर सिंह ने बताया कि उनके लिए बच्चों तक खाना पहुँचाने का काम अलग तरह का था। उन्होंने बताया कि इस काम के लिए तुरंत 6 जवानों की टीम बनाई गई। 2 किमी पैदल चलने के बाद उन्हें मार्ग पर लंबा जाम दिखा, लेकिन, उस परिवार तक पहुँचने में कुल 12 किमी चलना पड़ा। उन्होंने बताया कि महिला का फोन आया था इसलिए उन्हें और उनकी टीम को आसिफा के परिवार को खोजने में किसी तरह की कोई समस्या नहीं हुई।
इंस्पेक्टर ने बताया कि वहाँ जाकर उन्होंने देखा कि आसिफा के दो बच्चे हैं, जिनमें से एक की उम्र 3 साल और दूसरे की उम्र 4 साल थी और वो भूख से बेहाल थे। इस दौरान उन्होंने बच्चों और उनके परिवार से कहा,
“हमने कहा कि घबराने की ज़रूरत नहीं है। खाना आ गया है। यह सुनकर उनके चेहरे पर चमक आ गई। बच्चों के होंठों पर मुस्कान आ गई। हमने उस परिवार से कहा कि हमारे साथ चलिए, लेकिन गाड़ी में बैठी दोनों महिलाओं ने पैदल चलने में असमर्थता जताई।”
इसके बाद इंस्पेक्टर सिंह ने कहा कि अगर जाम नहीं खुलेगा तो वो उनकी मदद के लिए उन्हें उठाकर अगले स्टेशन तक ले चलेंगे। इस पर महिलाओं का कहना था कि वो अपने बच्चों के साथ वहीं रुकेंगी। उन्होंने कहा कि जाम में और भी बहुत सी गाड़ियाँ फँसी हुई हैं, इसलिए उन्हें किसी तरह का कोई ख़तरा नहीं है, उन्हें सिर्फ़ खाना चाहिए था।
पूरी घटना के सन्दर्भ में इंस्पेक्टर रघुवीर सिंह का कहना था कि बच्चों ने जब तक खाना खा नहीं लिया, तब तक वो और उनकी टीम वहीं रुके रहे। उन्होंने आसिफा को अपना फोन नंबर भी दिया और कहा कि अगर उन्हें और खाने की ज़रूरत हो तो बताएँ। इतना कहकर जवानों की टीम वहाँ से रवाना हो गई और रात को 11 बजे अपने कैंप में पहुँच गए। इंस्पेक्टर सिंह ने बताया कि यह बात बहुत सुकून देने वाली थी कि जम्मू पहुँचने पर उस परिवार का फोन आया और उन्होंने CRPF का शुक्रिया अदा किया।
ग़ौरतलब है कि कश्मीर में टेलीफोन सेवा बंद होने पर ‘मददगार’ हेल्पलाइन ने हज़ारों लोगों की मदद की थी। इसने देश के अलग-अगल हिस्सों में रहने वाले लोग जो कि कश्मीर में परिजनों के साथ सम्पर्क नहीं कर पा रहे थे, उनके लिए भी इस हेल्पलाइन को शुरू किया गया था। लोग ‘14411’ नंबर और 9469793260 नंबर पर सम्पर्क कर कश्मीर में अपने परिजनों से सम्पर्क कर पा रहे थे। इस हेल्पलाइन से बाबा अमरनाथ की वार्षिक यात्रा में भी लोगों की मदद की थी।
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