लखनऊ में डॉक्टर ने गवाए 2.5 करोड़ रुपए
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पीजीआई की महिला डॉक्टर के साथ 2.5 करोड़ रुपए की ठगी हुई है। ठगों ने पीड़िता को सीबीआई ऑफिसर बनकर अपने जाल में फँसाया। फिर उन्हें 6 दिन डिजिटल अरेस्ट रखा गया और उनसे अलग-अलग खातों में पैसे भी ट्रांसफर भी कराए। जब डॉक्टर को एहसास हुआ कि वो डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुईं हैं तब उन्होंने इस संबंध में साइबर थाने में शिकायत कराई।
शिकायत में उन्होंने बताया कि उन्हें कैसे ठगों ने डिजिटल अरेस्ट किया था। महिला के अनुसार, 1 अगस्त को उनके पास फोन आया जिसमें उन्हें कहा गया कि वो टेलिकॉम अथॉर्टी ऑफ इंडिया का अधिकारी है और अब महिला के सारे नंबर बंद कर दिए जाएँगे। महिला ने हैरान होकर सवाल किया तो जवाब मिला कि आपके खिलाफ 22 बार शिकायत मिल चुकी है।स्काइप को डाउनलोड करिए। सीबीआई ऑफिसर आपसे बात करेंगे। इसके बाद ठग ने सीबीआई ऑफिसर बनकर महिला डॉक्टर को डराया कि उनका नाम मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आया है। इसका पैसा महिला और बाल तस्करी में इस्तेमाल हुआ है। आपको अरेस्ट किया जाना है लेकिन पहले आपको डिजिटल अरेस्ट करके पूछताछ होगी। इस संबंध में घरवालों को नहीं बताना।
इसके बाद धीरे-धीरे केस का डर दिखाकर ठग ने महिला डॉक्टर से सारे पैसे अपने अकॉउंट में ट्रांसफर करवा लिए। जब तक महिला को एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी और सारे पैसे वो अलग-अलग अकॉउंट में डाल चुकी थी।
पति को कर लिया अरेस्ट, 2 लाख रुपए दो
मालूम हो कि ये पहला मामला नहीं है जब कोई महिला डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुई हो। इससे पूर्व अगस्त में दिल्ली में हमला इसी तरह के स्कैम का शिकार हुई थी। उस समय उसे कहा था कि उसके पति को अरेस्ट कर लिया गया है और छुड़वाना है तो 2 लाख रुपए देने होंगे। इस दौरान ठगों ने महिला को 6 घंटे तक फोन पर रखा था। हालाँकि बाद में शिकायत होने के बाद आरोपित बिहार से जाकर गिरफ्तार हुए थे।
हैदराबाद के युवक से ठगे 1.2 करोड़ रुपए
इस प्रकार कुछ समय पहले हैदराबाद का एक युवक भी डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुआ था। रिपोर्टस में बताया गया था कि कैसे ठगों ने लगभद 20 दिन तक युवक को चूना लगाकर उससे पैसे ठगे। युवक के मुताबिक, एक फर्जी पुलिस अधिकारी ने उससे कहा था कि उसके पार्सल में ड्रग्स और नशीले पदार्थ मिले हैं। इसके बाद नकली पुलिस अधिकारी ने उसे धमकाकर पर्सनल जानकारियाँ निकाल लीं। साथ ही 24 घंटे उसे ऑनलाइन रहने को कहा गया और 20 दिन वह घर में ही बंद रहा। इस बीच उससे 1.2 करोड़ रुपए की ठगी हुई।
फरीदाबाद की युवती से ठगे 2.5 लाख रुपए
2023 में फरीदाबाद की 23 वर्षीय युवती को लखनऊ कस्टम अधिकारी बनकर ठगा गया था। फोन करने वाले ने कहा था कि कंबोडिया में एक पैकेज भेजा जा रहा है जिसमें पीड़िता के आधार नंबर से जुड़े कार्ड और पासपोर्ट शामिल हैं। ठग ने पीड़िता को यह विश्वास दिलाया कि उसकी गतिविधि अवैध है जिसके जरिए मानव तस्करी हो रही है। इसके बाद उस ठग ने युवती को पुलिस अधिकारी बनकर 2.5 लाख रुपए ठगे।
डिजिटल अरेस्ट क्या होता है?
डिजिटल ठगी का अपग्रेड वर्जन डिजिटल अरेस्ट है। इसका शिकार बनाने के लिए पहले आपकी डिटेल इकट्ठा करके आपको टारगेट किया जाता है। फिर आपसे जुड़ी कोई ऐसी जानकारी आपको बताई जाती है जो वास्तविक में आपसे संबंधित हो। इसके बाद आपको कानून का डर दिखाकर आप पर ऐसे इल्जाम लगाए जाते हैं कि आप डर जाएँ और फिर धीरे-धीरे आपसे पैसे ऐंठे जाते हैं। ऊपर दिए केसों में में देख सकते हैं कि हर जगह कहीं पति की गिरफ्तारी का डर दिखाया गया, कहीं ड्रग केस का, कहीं मनी लॉन्ड्रिंग का और बाद में उनसे पैसे लूट लिए गए।
क्या पढ़े-लिखे भी हो रहे डिजिटल अरेस्ट का शिकार
आमतौर पर ठगी को लेकर कहा जाता है कि जिसे जानकारी नहीं होती या जो कम-पढ़ा लिखा होता है वो इन स्कैमों में फँस जाता है लेकिन डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा स्कैम है जिसका शिकार पढ़े लिखे लोग ज्याजा होते हैं। डॉक्टर हो या फिर कोई इंजीनियर। इस स्कैम में कोई भी फँसाया जा सकता है। कभी इनकम टैक्स ऑफिसर बनकर आपको धमकी दी जाएगी, कभी पुलिस ऑफिसर बनकर, कभी सीबीआई का कोई अधिकारी बनकर… ये मामले इतने बढ़ गए हैं कि कुछ समय पहले साइबर क्राइम पुलिस ने इसे लेकर एडवाइजरी भी जारी की थी।
फ्रॉड की कैसे करें पहचान
डिजिटल अरेस्ट के मामलों को देखते हुए इस फ्रॉड को पहचानने के कुछ जरूरी बिंदु यही हैं कि अगर कोई अंजान नंबर से कॉल आपको आता है और वो अपने आपको कोई अधिकारी बताकर आपसे डिटेल माँगता है तो समझ जाएँ कि कुछ गड़बड़ है। तुरंत ऐसे मामलों में फोन काट दें और आगे ऐसे ठगों से आगे बात न करें। परेशान करने पर इसकी शिकायत फौरन दें। उनकी बात रिकॉर्ड करके शिकायत कराएँ।
बचने के तरीके
ऐसे ठगी के मामलों से बचने के लिए जरूरी है कि हमेशा खुद को सतर्क रखें। इसके बाद खुद पर यकीन रखें कि जो इल्जाम सामने वाला आप पर लगा रहा है वो सच कैसे हो सकता है जब आपने कुछ किया ही नहीं। अगर आपको लगता है कि ये बात सच हो सकती है कि इस बारे में संबंधित संस्थान से संपर्क करें। बताएँ कि उनके पास ऐसी कॉल आई है और इसकी सत्यता क्या है। पुष्टि होने पर फौरन इस मामले की शिकायत करें और दूसरों को भी बताएँ कि ऐसी कॉल के जरिए उन्हें ठगने का प्रयास हुआ था। कभी भी किसी को घर का एड्रेस, बैंक अकॉउंट की डिटेल, आधार कार्ड, पैन कार्ड की जानकारी न दें।
इसके अलावा तकनीकी रूप से भी खुद को बचाकर रखें। हमेशा अपनी हर साइट के पारवर्ड को अपडेट और स्ट्रॉन्ग रखें। कभी किसी प्रकार के ऑनलाइन झांसे में न फँसे। डिवाइस से कभी ऐसी साइट न इस्तेमाल करें जिन्हें लेकर संदेह हो कि उसमें वायरल हो सकता है। वीपीएन प्राइवेट नेटरवर्क का प्रयोग करें ताकि आपका इंटरनेट कनेक्शन एन्क्रिप्ट रहे। कोई आपकी गोपनीयता और सुरक्षा में हस्तक्षेप न कर पाए। ऑनलाइन सर्विसों के प्रति हमेशा चौकस रहें और सुरक्षित संचार माध्यमों का ही प्रयोग जानकारी साझा करने के लिए करें।