सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के कारण ऑपइंडिया ने पिछले दिनों प्रशांत किशोर के साथ काम करने वाले सिद्धार्थ मजूमदार नाम के युवक पर रिपोर्ट की थी। खबर में हमने उस युवक का कनेक्शन न केवल प्रशांत किशोर से पाया, बल्कि ये भी बताया कि ट्विटर पर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने वाला यह युवक फेसबुक का ही कर्मचारी है।
इस खबर के बाद फेसबुक ने ऑपइंडिया की रिपोर्ट पर संज्ञान लिया। ऑपइंडिया की रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए फेसबुक ने हमसे बताया कि ऐसे मामलों को फेसबुक बेहद गंभीरता से लेता है। हालाँकि जब हमने उनसे आधिकारिक तौर पर संपर्क करके पूछा कि अब उस गालीबाज कर्मचारी के ऊपर क्या एक्शन लिया जाएगा, तो उन्होंने हमें ये बताने से मना कर दिया।
18 जून को ऑपइंडिया ने सिद्धार्थ मजूमदार पर अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे सिद्धार्थ अपने विरोधियों पर न्यायसहाय नाम के अपने अलग अकाउंट के जरिए अभद्र टिप्पणी करता है। कैसे एक के बाद एक सिरों को जोड़ते हुए हम उसकी हकीकत तक पहुँचे। हमने एक आर्टिकल के जरिए पहले उसका पुराना अकाउंट जाँचा, जो sid_mazumdar के नाम से ही था।
इसके बाद हम सिद्धार्थ के कुछ अन्य आर्टिकल्स तक पहुँचे। धीरे-धीरे पता चला कि वह Citizens for Accountable Governance का संस्थापक है और प्रशांत किशोर के साथ काम भी करता है। आगे की पड़ताल में हम उसके linkendIn के अकाउंट पर गए। यहाँ से हमें पता चला कि वह तो फेसबुक से जुड़ा हुआ है। वो भी पब्लिक पॉलिसी मैनेजर के पद पर।
इसके बाद सिद्धार्थ की हकीकत की सारी तस्वीर साफ होती गई। मालूम चला कि आखिर कैसे एक फेसबुक कर्मचारी दूसरे अकाउंट से भारतीयों को नीचा दिखाता है। मोदी सरकार का अपमान करता है और हिंदुओं की भावनाओं से ख़िलवाड़ करता है।
सारी सूचना इकट्ठा कर हमने सोशल मीडिया साइट से आधिकारिक तौर पर ई-मेल के जरिए संपर्क किया। पूछा कि देश की अखंडता को हानि पहुँचाने वाले अपने पब्लिक पॉलिसी मैनेजर के ख़िलाफ़ वे क्या एक्शन लेने वाले हैं?
ऑपइंडिया ने इस संबंध में फेसबुक 5 सवाल किए
- क्या फेसबुक को इस घटना के बारे में मालूम था?
- क्या सिद्धार्थ के फेसबुक से जुड़ने से लेकर अब तक उनके गाली वाले ट्वीट फेसबुक के लिए चिंता का कारण हैं? क्या फेसबुक उनके ख़िलाफ़ कोई लीगल एक्शन लेने की सोच रहा है?
- क्या फेसबुक को लगता है कि राजनीति में सक्रिय व्यक्ति अपने कार्यों का निर्वाहन करते हुए निष्पक्ष रह सकता है?
- ट्विटर पर इस बात पर जोर दिया गया है कि फेसबुक ऐसे गालीबाज और पक्षपाती कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करे- क्या फेसबुक इसे लेकर कोई कार्रवाई करेगा?
- क्या फेसबुक के पास सोशल मीडिया के उपयोग के लिए कोई विशिष्ट नीति है जो उसके कर्मचारियों पर लागू होती है? यदि हाँ, तो नीति क्या है और सिद्धार्थ मजूमदार के आचरण से उस नीति का उल्लंघन होता है क्या?
मगर, हमारे सवालों का जवाब देने के बजाय उन्होंने ट्विटर पर एक छोटा सा बयान जारी कर दिया। इसमें उन्होंने लिखा कि ये मामला हमारे संज्ञान में आ चुका है। हम अपने सारे कर्मचारियों से नैतिक आचार संहित का पालन करने की उम्मीद करते हैं और फेसबुक इन मामलों को बहुत गंभीरता से लेता है।
फेसबुक प्रवक्ता की ओर से ये रिप्लाई पाने के बाद हमने बयान जारी करने वाले प्रवक्ता से ही बात करने का प्रयास किया। दरअसल, हम जानना चाहते थे कि क्या सिद्धार्थ के ख़िलाफ़ कोई जाँच होगी भी या उससे कोई सवाल भी पूछे जाएँगे?
हालाँकि, यहाँ फेसबुक ने हमारे पहले सवालों का जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। लेकिन, दूसरी बार में जब एक्शन पर सवाल किया तो सफाई के तौर पर जवाब आया कि फेसबुक अपनी कार्रवाई को सार्वजनिक तौर पर नहीं बता सकता।
अब विचार योग्य बात ये है कि जिस फेसबुक ने हमारी रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए बयान जारी किया कि फेसबुक ऐसे मामलों पर गंभीरता से लेता है, उसी फेसबुक में सिद्धार्थ मजूमदार अभी भी सार्वजनिक नीति प्रबंधक हैं। तो सवाल है कि ऐसी क्या कार्रवाई की जाने वाली है, जिसकी पुष्टि फेसबुक वर्तमान में नहीं कर सकता?
सबसे दिलचस्प बात देखिए। हमारी रिपोर्ट के बाद और फेसबुक के संज्ञान में आने के बाद अब भी सिद्धार्थ मजूमदार लगातार ट्विटर पर जहर उगल रहा है और सुप्रीम कोर्ट जाकर एक स्वतंत्र जाँच आयोग की बात कर रहा है, क्योंकि उसे लगता है कि चीन के मामले में सरकार भ्रामक बयान दे रही है। अब देखना यही है कि क्या फेसबुक सभी चीजों की जानकारी होने के बावजूद भी उसपर एक्शन लेती है या फिर नहीं।