Friday, November 15, 2024
Homeविविध विषयअन्यवीडियो: ट्रैक्टर से बैरिकेडिंग तोड़ पुलिस की ओर बढ़े प्रदर्शनकारी, लोगों ने पूछा- क्या...

वीडियो: ट्रैक्टर से बैरिकेडिंग तोड़ पुलिस की ओर बढ़े प्रदर्शनकारी, लोगों ने पूछा- क्या ऐसे ‘किसानों’ को पकड़ा नहीं जाना चाहिए?

इस वीडियो में कई पुलिसकर्मी बैरिकेडिंग के पीछे नजर आ रहे हैं, लेकिन ट्रैक्टर चलाने वाला लगातार उसे आगे बढ़ा रहा है। वीडियो देख लोग पूछ रहे हैं कि क्या ऐसे किसानों को पकड़ा नहीं जाना चाहिए। ये लोग ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों को मारने का प्रयास कर रहे हैं?

किसान आंदोलन के नाम पर अब प्रदर्शकारियों का समर्थन करने वाले लोग कानून को हाथ में लेकर पुलिस प्रशासन को चुनौती देते नजर आने लगे हैं। समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा जारी की गई हालिया वीडियो में हम देख सकते हैं कि ट्रैक्टर की मदद से कथित किसान समर्थक पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ने पर आमादा हैं। उन्हें ये भी डर नहीं है कि इस हरकत से कोई घायल हो सकता है।

एजेंसी के मुताबिक, उत्तराखंड जिले के उधम सिंह नगर के बाजपुर से यह वीडियो आई है। वीडियो में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले प्रदर्शनकारी पुलिस बैरिकेड पर ट्रैक्टर चढ़ा रहे हैं।

इस वीडियो में कई पुलिसकर्मी बैरिकेडिंग के पीछे नजर आ रहे हैं, लेकिन ट्रैक्टर चलाने वाला लगातार उसे आगे बढ़ा रहा है। अंत में पुलिस को जान बचाते हुए ट्रैक्टर के सामने से हटना पड़ता है और प्रदर्शनकारी बैरीकेड के ऊपर वाहन चढ़ा कर आगे निकल जाते हैं।

इस वीडियो को देखने के बाद लोग अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कोई इसे किसान आंदोलन के मजबूत होने से जोड़ रहा है तो कोई ऐसी हरकत को शर्मनाक बता रहा है। वीडियो को देख लोग पूछ रहे हैं कि क्या ऐसे किसानों को पकड़ा नहीं जाना चाहिए। ये लोग ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों को मारने का प्रयास कर रहे हैं?

यूजर्स को पूछना है कि यदि कोई पुलिसकर्मी ऐसे प्रयासों के दौरान चोटिल हो जाए तो जिम्मेदार किसे माना जाएगा? क्या इस तरह कोई प्रदर्शन हो रहा है? भारत में पुलिस की जान की कोई कीमत नहीं है क्या?

उल्लेखनीय है कि इससे पहले दिल्ली में प्रदर्शनस्थल से एक वीडियो सामने आई थी। इस वीडियो में किसान नेता राकेश टिकैत अन्य प्रदर्शनकारियों के सामने मंदिरों और पंडितों का मखौल उड़ा रहे थे। उनका कहना था कि मंदिर वालों को रोज पूजा जा रहा है, लेकिन वो लोग एक भी दिन भंडारा लगाते नहीं नजर आए। ये लोग कहाँ हैं? इनसे भी हिसाब-किताब ले लो। इनका अता-पता ले लो। हमारी माँ-बहनें इन्हें जा-जा कर दूध दे रही हैं। ये लोग बदले में एक कप चाय भी नहीं पिला रहे हैं। इन सब लोगों को भी पता चलेगा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

नाथूराम गोडसे का शव परिवार को क्यों नहीं दिया? दाह संस्कार और अस्थियों का विसर्जन पुलिस ने क्यों किया? – ‘नेहरू सरकार का आदेश’...

नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे के साथ ये ठीक उसी तरह से हुआ, जैसा आजादी से पहले सरदार भगत सिंह और उनके साथियों के साथ अंग्रेजों ने किया था।

पटाखे बुरे, गाड़ियाँ गलत, इंडस्ट्री भी जिम्मेदार लेकिन पराली पर नहीं बोलेंगे: दिल्ली के प्रदूषण पर एक्शन के लिए ‘लिबरल’ दिमाग के जाले साफ़...

दिल्ली में प्रदूषण को रोकना है तो सबसे पहले उन लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाना होगा जो इसके जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ बोलना होगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -