दक्षिण कोरिया में ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा’ से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। यह बीमारी कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका में इससे संक्रमित 154 लोगों में से केवल 4 लोग ही जिंदा बच पाए हैं। इस बीमारी का वैज्ञानिक नाम ‘नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri)’ है। इसे प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) भी कहा जाता है।
दक्षिण कोरिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कोरिया डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन एजेंसी (केडीसीए) ने बताया कि थाईलैंड में चार माह रहने के बाद 10 दिसंबर 2022 को वापस लौटे एक 50 वर्षीय व्यक्ति की इस बीमारी से 21 दिसंबर 2022 को मौत हो गई। व्यक्ति में सिरदर्द, बुखार, उल्टी, बोलने में कठिनाई और गर्दन में अकड़न के लक्षण दिखाई दे रहे थे और उसकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका
व्यक्ति की मौत के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने मृत्यु के सटीक कारण का पता लगाने के लिए टेस्ट किए, जिसके बाद उसके ‘नेगलेरिया फाउलेरी’ से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। कोरिया में नेगलेरिया फाउलेरी संक्रमण का यह पहला आधिकारिक मामला है।
क्या है ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा
इस बीमारी का पहला मामला अमेरिका में पहली बार 1937 में सामने आया था। ‘नेगलेरिया फाउलेरी’ एक अमीबा होता है जो इंसान की दिमाग में घुसकर टिश्यु को खत्म कर देता है। इसलिए इसे ब्रेन ईटिंग अमीबा भी कहते हैं। यह अमीबा ज्यादातर गर्म मीठे पानी की झीलों, नदियों, नहरों या तालाबों में पाया जाता है। अमीबा नाक के जरिए इंसानी दिमाग में प्रवेश करता है।
क्या है लक्षण
ब्रेन ईटिंग अमीबा के लक्षण की अगर बात करे तो इसके शुरुआती लक्षण में तेज सिरदर्द और उल्टी आना शामिल है। बाद के लक्षणों में गर्दन में तेज दर्द, कन्फ्यूजन होना और कोमा में जाना शामिल है। हालाँकि अच्छी बात यह है कि यह लोगों से लोगों में नहीं फैलता है यानि कोई भी संक्रमित व्यक्ति दूसरे किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर सकता है।
दुनिया में इस संक्रमण के कुल 381 मामले सामने आए हैं, जिसमें अमेरिका, भारत और थाईलैंड भी शामिल थे। वर्ष 1962 से 2021 तक अमेरिका में इस संक्रमण से प्रभावित हुए 154 लोगों में केवल चार लोग ही जीवित बच पाए थे।